Video
महाकुंभ: गुमशुदा की तलाश में कितने कारगर रहे डिजिटल खोया-पाया केंद्र?
महाकुंभ को जहां इस साल 'डिजिटल आयोजन' का दर्जा दिया गया, वहीं आम आदमी को प्रयागराज स्थित मेला क्षेत्र में दस कम्प्यूटरीकृत खोया-पाया केंद्रों से कोई ख़ास लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में गुमशुदा लोगों के परिजनों ने खोया-पाया केंद्रों की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. इनमे से कुछ अब स्थानीय थानों में एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं.
डिजिटल खोया-पाया केंद्र एक इंट्रानेट नेटवर्क मात्र है, जो कुछ बेसिक जानकारी के आधार पर काम करते हैं. इन केंद्रों के बाहर और पूरे मेला क्षेत्र में अब हताश हुए लोग अपने परिजन का गुमशुदा पोस्टर चिपका कर वापस अपने घरों की ओर निकल रहे हैं.
स्नान की विशेष तिथियों से पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट में महाकुंभ मेला प्राधिकरण द्वारा खोये हुए व्यक्तियों को ढूढ़ने के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के इस्तेमाल का दावा किया गया था. वो श्रद्धालु जो अब अपने घर वापस लौट चुके हैं. जब हमने उनसे इस नई तकनीक के बारे में पूछा तो ज़्यादातर का जवाब लगभग एक जैसा था- 'प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली'.
आखिर इन खोया-पाया केंद्रों पर आने वाले लोगों को किन तकनीकी कमियों का सामना करना पड़ा, जानने के लिए देखें आकांक्षा कुमार की ये रिपोर्ट.
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?