हवा का हक़
दिल्ली: कितना भयावह है वायु प्रदूषण, बता रहे हैं डॉ. जीसी खिलनानी
दिल्ली में हर साल ठंड शुरू होते ही सांसें फूलने लगती हैं. आंखें जलने लगती हैं. विजिबिलिटी लगातार कम होती जाती है. एक समय पर दिल्ली एक धुंध के चैंबर में तब्दील हो जाती है. इसकी वजह है साल दर साल बढ़ता प्रदूषण. इस जहरीली हवा का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां सांस लेने का मतलब एक दिन में 40 सिगरेट पीने के बराबर होता है.
हम दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण पर बात करेंगे और समझेंगे कि ये कितना खतरनाक है और साथ ही इससे कैसे बचा जा सकता है. हमने बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली के पल्मोनरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर जी.सी. खिलनानी से बातचीत की है. वे बताते हैं कि कैसे प्रदूषण दिल्ली की हवाओं का हमसफ़र बन चुका है.
वे कहते हैं कि दिल्ली में नौ हजार तंदूर हैं, जो यहां सब कोयले और लकड़ी से चलते हैं. उनसे सबसे ज्यादा पॉल्यूशन होता है.
प्रदूषण का असर सिर्फ लंग्स पर नहीं बल्कि शरीर के सभी हिस्सों पर होता है. खासतौर पर दिल्ली के 6 से 7 साल तक के बच्चों के फेफड़ों पर ज्यादा असर होता है. आज एक तिहाई बच्चों को अस्थमा है.
वे आगे कहते हैं कि प्रदूषण के चलते एक व्यक्ति का आयुकाल 5.3 साल कम हो जाता है. जबकि दिल्ली में पैदा होने वालों की उम्र 11.9 यानी करीब 12 साल कम हो जाती है.
देखिए पूरी वीडियो-
Also Read
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
I&B proposes to amend TV rating rules, invite more players besides BARC
-
Scapegoat vs systemic change: Why governments can’t just blame a top cop after a crisis
-
Delhi’s war on old cars: Great for headlines, not so much for anything else