NL Tippani
महाकवि चुगद दरियाई का कवितापाठ और मंदिर-मस्जिद के खंडहर में दबा भारत का जीडीपी
देश में बहुतेरे लोग बावले होकर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढ़ रहे हैं. उस मंदिर के नीचे जब खुदेगा तब बौद्ध मठ मिलेगा. और मठ की खुदाई पर आर्यावर्त का जीडीपी मिलेगा, जो 5.4 फीसद की गर्त में पड़ा है. बीते दो सालों में जीडीपी सबसे निचले स्तर पर चला गया है. लेकिन समूचा राष्ट्र इस गर्तावस्था में एक साथ दो सपने देख रहा है. विकसित राष्ट्र और मस्जिद के नीचे फंसे मंदिर का सपना.
धृतराष्ट्र रुई की क़लम से कान साफ कर रहे थे. तभी संतरी ने मुनादी की- आमो ख़ास होशियार, दरबार में आर्यावर्त के महाकवि आशु कवि चुगद दरियाईजी तशरीफ लाए हैं. यह सुनकर सब सजग हो गए. धृतराष्ट्र चुगद दरियाई की कविताओं के मुरीद थे. हालांकि, दरबारियों को चुगद दरियाईजी के बारे में कुछ खास पता नहीं था. उन्हें यह भी नहीं पता था कि आशु कवि और आशु कविता क्या बला है. यही जानने के लिए इस बार की टिप्पणी देखें.
Also Read
-
98% processed is 100% lie: Investigating Gurugram’s broken waste system
-
Delhi protests against pollution: ‘We have come to beg the govt for clean air’
-
The unbearable uselessness of India’s Environment Minister
-
After Sindoor, a new threat emerges: How ‘educated terror’ slipped past India’s security grid
-
Pixel 10 Review: The AI obsession is leading Google astray