Khabar Baazi
अडानी का ‘गिरफ्तारी वारंट’: विदेशी मीडिया ने मोदी से 'संबंधों' की ओर किया इशारा
उद्योगपति गौतम अडानी धोखाधड़ी, साजिश और रिश्वतखोरी के आरोपों में घिर गए हैं. अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अडानी पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को 2,029 करोड़ रुपए की रिश्वत देकर राज्य विद्युत वितरण कंपनियों के साथ “लाभदायक सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध” हासिल करने का आरोप है.
अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य छह लोगों के खिलाफ “अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से झूठे और भ्रामक बयानों के आधार पर धन जुटाने की अरबों डॉलर की योजना” में उनकी भूमिका को लेकर गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वारंट विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपा जाएगा.
इस मामले में नामित अन्य लोग विनीथ एस जैन, अडानी ग्रीन एनर्जी के सीईओ रंजीत गुप्ता, अज़्योर पावर ग्लोबल के पूर्व सीईओ रुपेश अग्रवाल, जो पहले अज़्योर पावर के साथ जुड़े थे, और सिरिल कबानेस, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा, जो एक कनाडाई संस्थागत निवेशक के कर्मचारी हैं.
अमेरिकी सरकार के बयान में कहा गया कि इन सौर अनुबंधों से 20 वर्षों में टैक्स के बाद 2 अरब डॉलर से अधिक का लाभ होने की संभावना थी. साथ ही, 2020 से 2024 के बीच “कई मौकों” पर गौतम अडानी ने रिश्वतखोरी योजना को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से एक भारतीय सरकारी अधिकारी से मुलाकात की. भारतीय और विदेशी मीडिया ने भी इस मामले पर व्यापक रिपोर्टिंग की है.
वहीं इस खबर के सामने आने के बाद आज शुरुआती कारोबार में अडानी समूह को शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा, जो फरवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद शॉर्ट-सेलर हमले के समय के बाद से सबसे गंभीर गिरावट है. इन आरोपों में "स्पष्ट शेयर हेरफेर", "अकाउंटिंग धोखाधड़ी" और "मनी लॉन्ड्रिंग" शामिल थे, द गार्जियन की एक रिपोर्ट में कहा गया.
पीबीएस की एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय उद्योगपति, जिन्होंने 1990 के दशक में कोयले के व्यापार से अपनी संपत्ति बनाई, पर "निवेशकों को धोखा देने" का आरोप है. इन निवेशकों ने परियोजना में कई अरब डॉलर लगाए थे, जबकि अडानी ने उन्हें लाभदायक सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंधों को सुरक्षित करने की योजना के बारे में जानकारी नहीं दी.
वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में 54 पन्नों के अभियोग के विवरण का हवाला देते हुए "रिश्वतखोरी योजना" पर प्रकाश डाला गया है. इसमें कहा गया है कि गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने "रिश्वतखोरी की व्यवस्थाओं के सिलसिले में एक भारतीय अधिकारी के साथ व्यक्तिगत रूप से चर्चा की."
रिपोर्ट में कहा गया, "सागर अडानी के मोबाइल फोन में नोट्स थे, जिनमें उस क्षेत्र का उल्लेख था जहां रिश्वत दी गई. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि टेक्स्ट मैसेज से कथित तौर पर पता चलता है कि अडानी समूह के अन्य सहयोगियों ने सबूत नष्ट करने और संघीय जांचकर्ताओं को गुमराह करने का प्रयास किया.
एबीसी की एक रिपोर्ट में अदालत के दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया कि "कुछ आरोपियों ने गौतम अडानी को निजी तौर पर कोड नाम 'न्यूमेरो यूनो' और 'द बिग मैन' से संदर्भित किया." रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि "न्यूयॉर्क के एक जज ने अडानी की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया है, जिसे विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपा जाएगा."
आगे बताया गया कि अडानी के सह-आरोपियों में एक ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायी भी शामिल है. ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायी सिरिल कबानेस, जो फ्रांसीसी नागरिकता भी रखते हैं, सिंगापुर में कनाडाई निवेशक के लिए काम कर रहे थे. उन पर अमेरिकी एंटी-ब्राइबरी कानून, विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
मोदी के साथ करीबी संबंधों पर सवाल
न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि अभियोग के अनुसार, अडानी ग्रीन एनर्जी ने 2021 में अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से धन जुटाने का प्रयास किया. इस दौरान कंपनी की भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी-विरोधी प्रयासों के बारे में "झूठे और भ्रामक बयान" दिए गए.
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि अडानी के राजनीतिक संबंधों ने उन्हें अलग पहचान दी है. इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके व्यक्तिगत संबंधों ने अडानी की कंपनी को लाभदायक अनुबंध दिलाने में मदद की है. कुछ मामलों में सरकार ने बोली लगाने के नियमों में बदलाव किया ताकि कंपनी को हवाई अड्डों पर नियंत्रण मिल सके.
अडानी और मोदी दोनों गुजरात से हैं, और जब मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, तो वह अडानी के विमान से नई दिल्ली पहुंचे थे. इस रिश्ते ने भारत में एक धारणा बनाई है कि अडानी अपनी मनचाही डील कर सकते हैं.
फॉक्स न्यूज़ की एक रिपोर्ट की हेडलाइन थी, "अमेरिका ने उद्योगपति गौतम अडानी पर निवेशकों को धोखा देने और भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना छिपाने के आरोप लगाए." रिपोर्ट में कहा गया कि "अडानी समूह का लक्ष्य 2030 तक देश का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनना है," लेकिन "अडानी के सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करीबी संबंधों को लेकर आलोचना भी होती रही है." रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अडानी की गतिविधियों की संसदीय जांच की मांग की है.
छोटी टीमें भी बड़े काम कर सकती हैं. इसके लिए बस एक सदस्यता की ज़रूरत है. अभी सदस्यता लें और न्यूज़लॉन्ड्री के काम को आगे बढ़ाएं.
Also Read
-
How Jane Street played the Indian stock market as many retail investors bled
-
BJP govt thinks outdoor air purifiers can clean Delhi air, but data doesn’t back official claim
-
India’s Pak strategy needs a 2025 update
-
The Thackerays are back on stage. But will the script sell in 2025 Mumbai?
-
मुस्लिम परिवारों का दावा- ‘बहिष्कार, धमकियों’ की वजह से गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा