Report
तिरुपति प्रसादम मिलावट मामला: क्या कहती है लैब रिपोर्ट?
जुलाई 2024 में आंध्र प्रदेश स्थित तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को मुहैया कराए गए घी के चार नमूनों के प्रयोगशाला में हुए विश्लेषण में मिलावट पाई गई है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (सीएएलएफ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि घी में मिलावट करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री में सोयाबीन, सूरजमुखी, रेपसीड, जैतून, अलसी, गेहूं के बीज, मक्का के बीज, कपास के बीज, मछली का तेल, नारियल, पाम कर्नेल वसा, ताड़ का तेल, गोमांस वसा और लार्ड शामिल हो सकते हैं.
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव ने कहा कि परिणाम दुर्भाग्यपूर्ण थे और नमूनों में कई तरह की वसा की मिलावट की गई थी, जिसमें वसा और लार्ड जैसे पशु वसा भी शामिल थे. उन्होंने कहा, "शुद्ध दूध की वसा की रीडिंग 95.68 से 104.32 के बीच होनी चाहिए, लेकिन हमारे सभी घी के नमूनों का मान 20 के आसपास था, जिसका मतलब है कि आपूर्ति किया गया घी अत्यधिक मिलावटी है."
हालांकि, टीएनएम ने जिन वैज्ञानिकों से बात की (सभी ने नाम न बताने की शर्त पर) कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि मिलावट थी, लेकिन मिलावट किस चीज की थी, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती. एक वैज्ञानिक ने इस ओर भी इशारा किया कि ऐसे नतीजे यह संकेत भी दे सकते हैं कि मवेशियों को कम खाना दिया गया था. इस चेतावनी का उल्लेख सीएएलएप रिपोर्ट में भी किया गया है.
श्यामला राव ने प्रयोगशाला रिपोर्ट, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के 18 सितंबर को तिरुमाला मंदिर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में ‘पशु वसा’ की मौजूदगी की बात सार्वजनिक रूप से करने के बाद जारी की.
तेलुगु देशम पार्टी के प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने टीएनएम को बताया कि लैब रिपोर्ट के अनुसार ‘पशु वसा’ संभावनाओं में से एक है. अनम रेड्डी ने कहा, “मैं इस बात से सहमत हूं कि यह एक संभावना है. हमारा कहना ये है कि यह मिलावट भी नहीं होनी चाहिए.”
टीटीडी द्वारा जारी किए गए 8 पन्नों के पीडीएफ दस्तावेज में दो नमूनों के परिणाम हैं. पहला नमूना, जिसे नमूना क्रमांक AB021252 के रूप में बताया गया है, ‘परीक्षण किए गए मापदंडों के लिए विनिर्देश एफएसएसएआई की आवश्यकताओं का अनुपालन करता है.’
प्रयोगशाला के परिणाम में कहा गया है कि दूसरा नमूना - AB021253 - ‘फैटी एसिड प्रोफाइल, β-सीटोस्टेरॉल और दूध वसा की शुद्धता’ के आवश्यक मानकों का पालन नहीं करता है. एफएसएसएआई के अनुसार, घी में β-सीटोस्टेरॉल की मौजूदगी यह संकेत दे सकती है कि इसमें वनस्पति वसा की मिलावट की गई है.
नमूना AB021253 के लिए इस प्रयोगशाला रिपोर्ट में एक अनुलग्नक भी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि घी में पांच ‘S-मानक’ निर्धारित स्तर से बाहर थे. ‘S-मान’ एक गणितीय समीकरण है, जिसका उपयोग दूध की वसा की शुद्धता परखने के लिए किया जाता है.
इसके बाद अनुलग्नक में संभावित मिलावट की एक सूची दी गई है - सोयाबीन, सूरजमुखी, रेपसीड, जैतून, अलसी, गेहूं के बीज, मक्का के बीज, कपास के बीज, मछली का तेल, नारियल, ताड़ की गरी की वसा, ताड़ का तेल, बीफ टैलो यानी गौ-वसा या लार्ड.
अनुलग्नक में यह भी कहा गया है कि कुछ मामलों में गलत सकारात्मक परिणाम आने की संभावना है. ये गलत सकारात्मक परिणाम तब सामने आ सकते हैं जब नमूने गाय के दूध के अलावा किसी अन्य गोजातीय दूध से लिए गए हों, बिन-ब्याही गायों से या शुद्ध वनस्पति तेलों पर बहुत ज़्यादा भोजन करने वाली गायों से, कम खाना पाने वाली गायों से या कॉलेस्ट्रॉल हटाने जैसे इलाजों से गुजरने वाली गायों से लिए गए हों.
जून 2024 में जब टीडीपी सत्ता में आई, तो उन्होंने तिरुमाला मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता में गिरावट की शिकायतों की जांच करने का वादा किया था. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुरेंद्रनाथ, डेयरी विशेषज्ञ डॉ. विजय भास्कर रेड्डी, तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय की डॉ. स्वर्णलता और डॉ. महादेवन (आईआईएम बैंगलोर) की एक समिति बनाई गई थी. तदनुसार, तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर फूड्स नामक कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए घी के नमूने टीटीडी गोदाम से एकत्र किए गए और परीक्षण के लिए भेजे गए.
एआर फूड्स ने कोविड-19 के बाद वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के शासन में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) की जगह यह ठेका जीता, जो दशकों से टीटीडी को घी की आपूर्ति करती आ रही थी. टीडीपी तभी से आरोप लगा रही है कि टेंडर को जिस दर पर निर्धारित किया गया था, उस दर पर शुद्ध घी का उत्पादन और आपूर्ति नहीं की जा सकती. अनम रेड्डी ने पूछा, “एक किलो शुद्ध घी की कीमत 1,000 रुपये होगी, तो टेंडर 320 रुपये में कैसे दिया जा सकता है?”
इस आरोप ने तूल पकड़ लिया और चर्चा सांप्रदायिक हो गई क्योंकि वाईएसआरसीपी के पिछले मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ईसाई पंथ के अनुयायी हैं. टीडीपी और भाजपा दोनों ने इससे पहले, जगन सरकार को मंदिरों पर कथित निशाना बनाकर हमलों और मूर्तियों के अपमान के लिए दोषी ठहराया था. चंद्रबाबू नायडू ने जगन को “हिंदुओं का विश्वासघाती” तक कहा और सुझाव दिया कि पूर्व सीएम हिंदुओं को “धर्मांतरित” करने का लक्ष्य बना रहे थे.
वाईएसआरसीपी ने सीएम के आरोपों का जोरदार खंडन किया. नायडू के बयान के कुछ ही देर बाद, राज्यसभा सांसद और टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने आरोपों की निंदा करते हुए उन्हें "निराधार" और "अनिष्ट" बताया.
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, "एक बार फिर ये साबित हो गया है कि चंद्रबाबू राजनीतिक लाभ के लिए कुछ भी गलत करने से नहीं हिचकिचाएंगे. भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए मैं और मेरा परिवार, तिरुमाला प्रसाद के मामले में उस भगवान के साक्षी के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार हैं.”
जब उनसे पूछा गया कि क्या राज्य सरकार इस मुद्दे के सांप्रदायिक होने को लेकर चिंतित है, तो अनम रेड्डी ने कहा कि 'बिल्ली के गले में घंटी बांधने' के लिए रिपोर्ट जारी की जानी चाहिए.
उन्होंने बात समाप्त करते हुए कहा, "हमें ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए करना पड़ा कि कोई भी तिरुमाला की पवित्रता के साथ फिर से खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे."
मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
अनुवाद- शार्दूल कात्यायन
Also Read
-
Operation Sindoor debate: Credit for Modi, blame for Nehru
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
Air India crash: HC dismisses plea seeking guidelines for media coverage