अतुल चौरसिया और मनीषा पांडे की तस्वीर.
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव

एक और चुनावी शो: जम्मू-कश्मीर में वापसी करता राजनीति का ‘राष्ट्रवाद’

जम्मू और कश्मीर क्षेत्र की राजनीति एक दूसरे से मुख्तलिफ रही है. ‘एक और चुनावी शो’ के इस सफर में हमने जम्मू क्षेत्र के महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों को समझने का प्रयास किया. इसके लिए हमने जम्मू और कश्मीर के दो वरिष्ठ पत्रकारों- ‘द पॉयनियर’ के मोहित कांधारी और ‘डेली एक्सेलसियो’ के निशिकांत खजूरिया से बातचीत की.

इस बातचीत के दौरान यह समझने का प्रयास किया गया कि जम्मू में राजनीतिक दलों और उनके मुद्दों के लिहाज से इस चुनाव की दशा और दिशा क्या होगी. साथ ही अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे संघ शासित प्रदेश बनाने को जम्मू के लोग किस तरह से देखते हैं.  

अनुच्छेद 370 हटने से जुड़े एक सवाल के जवाब में मोहित कांधारी ने कहा, “घाटी में लोगों ने काफी संख्या में मतदान किया है, जिससे लगता है कि यहां लोकतंत्र अपनी जगह ले रहा है.” 

वहीं, भाजपा की चुनावी रणनीति  पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के पीछे के तर्क को साबित करने में वो कामयाब  रहे. इसके अलावा इस क्षेत्र में घर-घर तक अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए “विलेज डिफेंस कमेटी” जो कि 1996 में होने वाले नरसंहारों से लोगों को बचाने का काम करती थी, उसे पुनर्जीवित करने, उनके सदस्यों का मानदेय बढ़ाने से लेकर उनको प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) आदि जैसी सुविधाएं प्रदान करने और घाटी में आतंकवाद खत्म करने का दावा करने जैसी बातों ने लोगों को काफी हद तक प्रभावित भी किया है. 

देखिए जम्मू-कश्मीर के सियासी माहौल पर हुई हमारी ये पूरी बातचीत. 

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