हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव
दुष्यंत चौटाला: इस्तीफ देता तब भी भाजपा की सरकार नहीं गिरती
पिछली बार हरियाणा की राजनीति में किंगमेकर बनकर उभरे दुष्यंत चौटाला की राहें इस बार मुश्किल नजर आ रही हैं. इस बार वे आजाद समाज पार्टी से गठबंधन कर चुनावी मैदान में है.
प्रदेश की जिम्मेदारी होने के बावजूद इन दिनों वे अपनी ही विधानसभा, उचाना कलां में बैठकें कर रहे हैं. दुष्यंत जहां एक तरफ पार्टी दफ्तर में अलग-अलग गांवों से कार्यकर्ताओं को बुलाकर बैठकें कर रहे हैं. वहीं गठबंधन के साथी चंद्रशेखर आजाद को गांवों में लेकर जा रहे हैं.
दुष्यंत का इस चुनाव में कितना जोर है यह जानने के लिए हमने खुद दुष्यंत चौटाला से बात की.
उचाना के गांव में एक नाराजगी आपके प्रति देखी जा रही है, 2019 के चुनाव में करसिंधु गांव से आपको 2700 वोटों की बढ़त मिली थी लेकिन लोकसभा चुनाव में आपकी माताजी को 215 वोट मिले थे, लोग कह रहे है इस बार 215 भी नहीं मिलेंगे?
इस सवाल पर दुष्यंत कहते हैं कि आप देश का इतिहास कितना जानते हैं, क्या अटल विहारी तीन चुनाव नहीं हारे थे, क्या इंदिरा गांधी चुनाव नहीं हारीं. चुनाव में हार जीत हवा तय करती है. अगर मेरे साथी मेहनत करेंगे तो 200 को दोबारा 4000 कर देंगे. अगर मेरे में दम है, हिम्मत है तो मैदान में उतर कर लड़ने से मुझे कोई नहीं रोक सकता.
इस बार ऐसी क्या स्तिथि बदली की आपको चंद्रशेखर आजाद के साथ गठबंधन करना पड़ा?
इस पर वे कहते हैं कि दो युवा हैं. दोनों देश को आगे ले जाने में देश की प्रगति में अपना हिस्सा देने में अपनी सोच रखते हैं. दोनों ने मिलकर ये फैसला लिया है कि एक और एक ग्यारह की ताकत होती है, राजनीति में दो नहीं बनते. उस ग्यारह की ताकत के साथ आगे बढ़ेंगे और मैं मानता हूं कि जब किसान कमेरा इकट्ठा होगा तो हरियाणा पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेगा.”
हालांकि दुष्यंत चौटाला कॉन्फिडेंट है कि उनके कार्यकर्ता चुनाव बदल देंगे.
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