आर्यन मिश्रा की तस्वीर. पृष्ठभूमि में पकड़े गए आरोपी.
Report

फरीदाबाद: गौरक्षा और हत्या के बीच छूटे कुछ अनुत्तरित सवाल

फरीदाबाद के एनआईटी-5 में रहने वाले 19 वर्षीय आर्यन मिश्रा की 23 अगस्त की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस मामले में क्राइम ब्रांच ने कथित गौरक्षक अनिल कौशिक, वरुण, कृष्ण, सौरव और आदेश को गिरफ्तार किया है.

आर्यन ओपन स्कूल से 12वीं की पढ़ाई कर रहा था, साथ में गाजियाबाद में सोशल मीडिया का काम भी करता था.

मीडिया के बड़े हिस्से ने चलाया कि गौरक्षकों ने आर्यन को गौ-तस्कर समझकर गोली मार दी. वहीं, फरीदाबाद पुलिस ऐसा कुछ कहने से बच रही है.

आर्यन की हत्या की एफआईआर एनआईटी-5 थाने में दर्ज हुई. फरीदाबाद  क्राइम ब्रांच के एसीपी अमन यादव का कहना है, ‘‘गोरक्षकों ने गो-तस्कर समझकर गोली मारी यह मीडिया का दावा है. जांच अभी जारी है. हत्या का साफ मकसद अभी तक सामने नहीं आया है. हम हरेक एंगल से इसकी जांच कर रहे हैं.’’

पुलिस अधिकारी का यह बयान आर्यन की हत्या को लेकर चल रही कहानियों पर भरोसा न करने का पर्याप्त आधार है. तीन दिनों तक इस मामले की खोजबीन के बाद हमने पाया कि इस मामले में ऐसा बहुत कुछ है जो गौरक्षकों द्वारा गलतीवश की गई हत्या की कहानी पर सवाल खड़ा करता है. 

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले का रहने वाले सियानंद मिश्रा का परिवार तीन दशक से फरीदाबाद में रह रहा है. इनके तीन बेटे थे, आर्यन सबसे छोटा था. एनआईटी पांच के एल ब्लॉक में मिश्रा ने केवल कृष्ण गुलाटी से गिरवी पर उनके घर का तीसरा फ्लोर लिया था. जिसके बदले मिश्रा ने चार लाख पंद्रह हज़ार रुपये गुलाटी परिवार को दिए थे. गुलाटी परिवार दूसरे फ्लोर पर रहता है. 

न्यूज़लॉन्ड्री के पास दोनों परिवारों के बीच हुआ करारनामा मौजूद है. इसके मुताबिक, मिश्रा परिवार ने जो पैसे दिया, उसके बदले वो ब्याज नहीं लेगा और गुलाटी परिवार उनसे कोई किराया नहीं लेगा. यह एग्रीमेंट 20 अक्टूबर 2024 को खत्म हो रहा है.

“मैगी खाने गया था”

कुछ मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया कि उस रात मृतक आर्यन गुलाटी परिवार के सदस्यों के साथ मैगी खाने के लिए बाहर गया था. आर्यन के बड़े भाई अजय मिश्रा एक अलग कहानी का खुलासा करते हैं. वो कहते हैं, ‘‘उस रात ये लोग लोग मैगी खाने नहीं गए थे. बल्कि ये लोग शैंकी (कृष्ण गुलाटी के बेटे) को छिपाने के लिए जगह ढूंढ़ रहे थे. ये बात खुद शैंकी और हर्षित ने कबूल की है. जिसका ऑडियो मेरे पास मौजूद है. यह सिर्फ पुलिस को भ्रमित करने के लिए कही जा रही है.’’

इसकी तस्दीक उस वक्त गाड़ी में मौजूद हर्षित ने भी की. उसने कहा कि हम शैंकी के लिए जगह तलाशने गए थे. 

रात के घटनाक्रम के बारे में अजय बताते हैं, ‘‘आर्यन अपने एक दोस्त का बर्थडे सेलिब्रेट करके लौटा था. रात के एक बजकर 35 मिनट पर हर्षित ने नीचे आने के लिए फोन किया. उसने मम्मी से कहा कि मैं पांच मिनट में आ रहा हूं. जल्दबाजी में वो अपना फोन लेकर नहीं गया. नीचे हर्षित अपनी डस्टर गाड़ी लेकर इंतज़ार कर रहा था. वो सामने वाली गली में गए जहां से कीर्ति, शैंकी और सुजाता को गाड़ी में बैठाया और वहां से निकल गए.’’

हर्षित और शैंकी, केवल कृष्ण गुलाटी के बेटे हैं. सुजाता गुलाटी उनकी पत्नी हैं. कीर्ति शर्मा सुजाता की दोस्त हैं.

आर्यन मिश्रा का घर 
आर्यन मिश्रा का घर 

अजय बताते हैं, ‘‘रात के तीन बजकर अठाइस मिनट पर कृष्ण गुलाटी, इमरजेंसी-इमरजेंसी कहते हुए हमारे दरवाजे पर आए. उन्होंने कहा कि फटाफट चलो. सब घबरा गए. पिताजी ने पूछा क्या हुआ तो उन्होंने कहा, चलो पलवल चलना है. बहुत इमरजेंसी है. मैंने जाने से मना कर दिया और सोने चला गया. तब तक इन्होंने बताया नहीं था कि आर्यन को कुछ हुआ है. पापा को उठाकर ले जाने लगे तो मैं उठा और उनके साथ गया. इसके बाद मैं अस्पताल में पहुंचा. वहां जाने के बाद हमें पता चला कि मेरे भाई को गोली लगी है.’’ 

फरीदाबाद के सेक्टर-20 स्थित एसएसबी अस्पताल में आर्यन ने आखिरी सांस ली. अस्पताल द्वारा जारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि उसे अचेत (unconscious and unresponsive) अवस्था में हॉस्पिटल लाया गया था. इसमें दो गोली लगने की बात है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘आर्यन को सिर में गोली लगी थी, जिससे ब्रेन का हिस्सा बाहर आ गया. जब उसे भर्ती कराया गया तब खून बह रहा था. जिसके वजह से शरीर के अंदर एसिड बढ़ गया और उसकी मौत हो गई.’’ 

गुलाटी परिवार ने दिया गोलमोल जवाब

इस घटनाक्रम की सबसे अहम कड़ी गुलाटी परिवार है. हमने पाया कि ये परिवार लगातार भ्रमित करने वाली जानकारी दे रहा था. जिससे इसकी भूमिका पर शक होता है.

पहला भटकाव

घटना की अगली सुबह 24 अगस्त को सुजाता गुलाटी, हर्षित और कीर्ति शर्मा ने मीडिया से बात की.

हर्षित ने कहा कि घटना के वक़्त गाड़ी में शैंकी नहीं था. फिर सुजाता ने जोड़ा कि शैंकी एक लड़ाई-झगड़े के मामले में फरार है. मैंने उसे कहीं और रखा हुआ है. वो लोग शैंकी समझकर गोली चला रहे थे. उन्होंने पहले जान से मारने की धमकी भी दी थी.

इस मामले की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने हमें बताया कि घटना के वक़्त शैंकी गाड़ी में ही मौजूद था. मृतक आर्यन के भाई अजय ने भी यही बताया.

इसके बाद 29 अगस्त को पुलिस ने शैंकी को एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. दरअसल, इसी साल 15 अगस्त को फरीदाबाद के कोतवाली थाने में चिराग भाटिया ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें आर्म्स एक्ट, भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (1) (हत्या के प्रयास) समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया था. इस मामले में शैंकी और अक्षय शर्मा समेत पांच आरोपी थे. इसी मामले में पुलिस ने 29 तरीख को उसे जेल भेजा.

अक्षय शर्मा जेल में है और ये आर्यन के साथ हुई घटना के वक्त मौजूद कीर्ति शर्मा का इकलौता बेटा है. 

दूसरा भटकाव

मीडिया से बातचीत में सुजाता गुलाटी कहती हैं, ‘‘जिन लोगों ने आर्यन पर गोली चलाई, मैं उन्हें पहचानती हूं. बिक्कु, उसकी छोटी सी हाईट है. पुलकित और पीयूष. (इसके बाद वो नाम भूल जाती हैं तो पास में खड़ी कीर्ति शर्मा भूरे का नाम याद दिलाती है.) भूरे, और दो लड़के और थे. चारों मेरे सामने ही गाड़ी से उतरे हैं.’’ 

सुजाता के बयान के आधार पर ही मृतक आर्यन के पिता ने 24 अगस्त को एफआईआर दर्ज कराई और उसमें योगेश राजपूत, पीयूष भाटिया उर्फ बिक्कु और अन्य तीन का नाम दर्ज करवाया. 

24 अगस्त की सुबह मीडिया से बात करते हर्षित और उनकी मां सुजाता गुलाटी 

लेकिन इस मामले में मोड़ तब आया जब पुलिस ने 28 अगस्त को कथित गोरक्षक अनिल कौशिक और उनके चार अन्य साथियों को गिरफ्तार किया. यानि एफआईआर में दर्ज नाम से अलग लोगों को. पुलिस ने सीसीटीवी के आधार पर ये गिरफ्तारी की.

यह जानने के बाद आर्यन के भाई अजय, सुजाता गुलाटी के पास गए. इस बातचीत का ऑडियो अजय के पास है. 

बातचीत का ऑडियो

अजय- आपने 18-19 मिनट का जो इंटरव्यू दिया उसमें आपने पुलकित वगैरह का नाम क्यों लिया. सीधे-सीधे ये क्यों नहीं बताया कि मैं गोली चलाने वाले को नहीं जानती या पहचानती हूं.

सुजाता- हमें थोड़ी पता था कि गोशाला वाले थे.

अजय- तब आपको ये बताना चाहिए था कि मैं नहीं जानती कि कौन गोली मारकर गया है. अगर आप गोली मारने वालों को नहीं जानती तो ज़रूरी था पहचान देना?

सुजाता- तुम बुलाओ, मैं दोबारा बयान दे देती हूं. मैं तो तुम्हारे साथ हूं. तुम जैसे कहोगे मैं वैसे गवाही दे दूंगी.

अजय हमें बताते हैं, ‘‘आखिर सुजाता और कीर्ति ने घटना के बाद झूठ क्यों बोला कि इन्होंने गोली मारने वालों को पहचान लिया था. पुलिस के सामने और मीडिया से भी इन्होंने चार नाम बताये कि गोली चलाते हुए इन्होंने देखा?” 

एक बात समझ आती है कि सुजाता और कीर्ति ने उन लोगों के नाम लिए जिनकी दुश्मनी उनके बेटे शैंकी और अक्षय से थी. खुद सुजाता और कीर्ति शर्मा पुलकित भाटिया के परिवार से अपनी दुश्मनी की बात मीडिया को बताते नज़र आते हैं. 

इसके बाद 25 अगस्त की शाम को सुजाता का परिवार घर में ताला लगाकर भूमिगत हो गया. यह अपने आप में कई सवाल खड़ा करता है. अजय कहते हैं, ‘‘अगर वो निर्दोष हैं तो अपना घर छोड़कर कहीं और रहने क्यों गए हैं? वो मेरे भाई के किसी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए.’’ 

गुलाटी के घर पर ताला लगा था 
गुलाटी के घर पर ताला लगा था 

गुलाटी परिवार की भूमिका और उनके गायब होने को लेकर हमने एसीपी अमन यादव से पूछा तो उनका कहना था, ‘‘मुझे नहीं पता कि वो घर पर ताला लगाकर कहीं चले गए हैं. हमें जब उनका बयान लेना होगा तो हम बुलाएंगे. नहीं आएंगे तो हम आगे देखेंगे.’’

कीर्ति शर्मा का घर सुजाता गुलाटी के घर से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर है. वो हमें अपने घर पर ही मिली. 

15 अगस्त को दर्ज एफआईआर.

शर्मा से हमने पूछा कि आप लोग उस रात कहां और क्या करने गए थे? इस पर वो कहती हैं कि मैं आपसे बात नहीं करना चाहती हूं.

हमने आगे पूछा कि क्या आप आर्यन से पहले से परिचित हैं? इस सवाल का जवाब वो कहती हैं, ‘‘गुलाटी के घर वालों को मैं जानती हूं. घटना के बाद से उनसे मेरी कोई बात नहीं हुई है और न उनसे मिली हूं. अब तो सारा मामला खुलकर सामने आ चुका है. मीडिया में सब कुछ आ गया है. आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. आप हमसे क्या जानना चाहते हैं. पुलिस को भी मैंने सबकुछ बता दिया है. आप यहां से जाइये.’’ 

हमने पूछा कि आर्यन को एक गोली उन्होंने पीछे से मारी और दूसरी गोली गाड़ी से रुकने के बाद? हमारा सवाल खत्म होने से पहले ही वो कहती हैं, ‘‘होनी बहुत बलवान होती है. गोली पूछकर तो लगती नहीं है. जब उसे गोली लगी तो वो अपनी दांई तरफ झुक गया. उसके बाद गाड़ी रोक दी. सब लोग नीचे उतर गए. मुझे बहुत दर्द था. मैं बहुत देर में उतरी थी. उसे दूसरी गोली कब और कैसे लगी ये मुझे नहीं पता है.’’

सामने के घर के ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद हैं कीर्ति शर्मा का घर 

शर्मा का यह जवाब हैरान करता है क्योंकि खुद हर्षित ने 24 अगस्त की सुबह बताया था, ‘‘गाड़ी रुकने के बाद उन्होंने दूसरी गोली मारी थी. जबकि हम लोग बाहर आकर हाथ ऊपर कर दिए थे. तो वो हमें छोड़कर चले गए.’’

अजय सवाल करते हैं कि गाड़ी रोककर वो चारों गाड़ी से निकल गए थे. आर्यन के सर में गोली लगी थी तो वो गाड़ी से नहीं निकला. ये लोग तो गोली मारने वालों के निशाने पर थे बावजूद इसके इनपर फायरिंग न करके गाड़ी में घायल पड़े आर्यन को ही दूसरी गोली क्यों मारी? इसका जवाब इन्होंने हमें नहीं दिया.

हर्षित उस दिन गाड़ी चला रहा था. उसकी बगल वाली सीट पर आर्यन था. वहीं पीछे वाले सीट पर शैंकी, सुजाता और कीर्ति शर्मा बैठी थी? आर्यन को जो पहली गोली लगी वो पीछे का शीशा तोड़कर अंदर आई थी.

तीसरा भटकाव

अजय सवाल करते हैं, ‘‘इनका कहना है कि 30 किलोमीटर तक उन्होंने पीछा किया. उस दौरान लगातार गोली चली. तो पूरी गाड़ी में कोई और गोली नहीं लगी, सिर्फ एक गोली लगी और सीधे आर्यन को लगी. पुलिस को सिर्फ दो बुलेट मिली जो आर्यन के शरीर में मौजूद थी. गाड़ी रोकी तो आपने पुलिस को फोन क्यों नहीं किया? रास्ते में पुलिस के सामने इन्होंने गाड़ी क्यों नहीं रोकी? अस्पताल में आने के बाद पुलिस को बताया गया. घटना के बाद गाड़ी लाकर इन्होंने बड़खल में एक पेट्रोल पम्प पर लगा दी.’’

न्यूज़लॉन्ड्री ने हर्षित गुलाटी से बात की. हमने उनसे पूछा कि आपने कहा कि उस वक़्त शैंकी मौजूद नहीं था. आप लोगों ने उनका नाम लिया जिनसे आपकी दुश्मनी थी लेकिन पुलिस ने किसी और गिरफ्तार किया. वो कहते हैं, ‘‘हम लोग उस वक़्त घबरा गए थे इसलिए ऐसा कुछ हुआ. हमने क्या बोला ठीक से याद नहीं है. उसके बाद खुद को व्यस्त होने की बात कहकर फोन काट देते हैं.’’  

अनिल कौशिक से मुलाकात

अजय और उनके पिता सियानंद मिश्रा इस मामले के आरोपी अनिल कौशिक से मिले हैं. दावा किया जा रहा है कि कौशिक ने उनसे कहा कि गलती से उससे ब्राह्मण की हत्या हो गई.

अजय उस मुलाकात के दौरान अपने पिता के साथ मौजूद थे. वो कहते हैं, ‘‘अब तक हमें लग रहा था कि आर्यन की हत्या पुलकित और उनके साथियों ने की है, या गुलाटी परिवार ने कुछ किया है. जब पुलिस की जांच में कौशिक की भूमिका सामने आई तो हमने उससे मिलने की मांग की. यहां के सेक्टर 30 स्थित पुलिस लेन (जहां क्राइम ब्रांच का दफ्तर है) में हम कौशिक से मिले. पुलिस उसे हमारे सामने लेकर आई. उसने सिर्फ अंडरवियर पहन रखा था.’’

‘‘मुझे गलती हो गई है. मुझसे ब्रह्म हत्या हो गई है. मुझसे कोई कसाई, गो तस्कर या मुसलामन मर जाता तो मुझे अफसोस नहीं होता. मुझसे गलती से ब्रह्म हत्या हो गई इसके लिए मैं माफी चाहता हूं.’’ अजय के मुताबिक कौशिक ने यही बात कही. 

सेक्टर 30 स्थित क्राइम ब्रांच का दफ्तर 

इसके बाद मिश्रा ने सवाल किया कि आपको हथियार चलाने का अधिकार किसने दिया? आप 30 किलोमीटर तक गोली चलाते रहे तो गोली सिर्फ आर्यन को क्यों लगी? गाड़ियों पर गोली के निशान क्यों नहीं है? आपको इसका दुःख था तो आप पहले ही पुलिस के सामने क्यों नहीं आए? अजय कहते हैं, ‘‘पापा के किसी भी सवाल का जवाब कैशिक ने नहीं दिया. माफी मांगी और उठकर चला गया.’’

पुलिस जांच कर रही है? 

इसके अलावा भी कई सवाल हैं, जो रिपोर्टिंग के दौरान सामने आए.  क्या कोई गो-तस्कर डस्टर गाड़ी से गोतस्करी करने जाता है? वहीं अगर कौशिक ने गोतस्कर समझकर गाड़ी का पीछा तो क्या गो-तस्कर अपनी गाड़ी में महिलाओं को लेकर जाते हैं? और तीसरा सवाल यह है कि सामान्यत ऐसा देखा जाता है कि गो-तस्कर गाड़ी के पहिये में गोली मारते हैं. उनकी अलग-अलग नाके पर टीम होती है, जो सड़क पर कील फेंककर टायर को पंचर कर देती है. यहां तो सीधे एक शख्स को गोली मार दी गई. 

वहीं, आर्यन के परिवार ने जो सवाल उठाए हैं उन सवालों को हमने क्राइम ब्रांच के एसीपी अमन यादव के सामने रखा. अमन कहते हैं, ‘‘जब हमारी जांच पूरी हो जाएगी तब हम मीडिया के सामने ज़रूर खुलसा करेंगे लेकिन अभी कुछ भी बोलने से जांच प्रभावित होगी.’’ 

क्या आरोपियों ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने गो तस्कर समझकर पीछा किया और फिर गोली मारी. इसपर यादव कहते हैं, ‘‘उन्होंने हत्या की है, यह स्वीकार कर लिया है. हथियार भी हमने बरामद किया है. हत्या की वजह अभी तक साफ नहीं हो पायी है. हम हरेक एंगल से जांच कर रहे हैं.’’ 

इस जांच से जुड़े क्राइम ब्रांच के एक सीनियर अधिकारी गोरक्षकों द्वारा गोली मारे जाने पर कहते हैं, ‘‘कौशिक गोरक्षक है. लेकिन उसके द्वारा किए गए सभी काम गोरक्षा से जुड़े हो यह ज़रूरी नहीं है. हम इस एंगल से भी जांच कर रहे हैं.’’

यानी खुद पुलिस को भी शक है कि इस हत्या की वजहें कुछ और भी हो सकती हैं. इसलिए वो फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. दूसरी तरफ आर्यन मिश्रा की मां और पिता अपने बेटे को खोने के गम में टूट चुके हैं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है. इन सब को संभाल रहे बड़े बेटे अजय मिश्रा के पास सिर्फ सवाल हैं- ‘‘गोली सिर्फ मेरे भाई को ही क्यों लगी? गुलाटी परिवार घर छोड़कर गायब क्यों है?’’ 

यह कोई विज्ञापन नहीं है. कोई विज्ञापन ऐसी रिपोर्ट को फंड नहीं कर सकता, लेकिन आप कर सकते हैं, क्या आप ऐसा करेंगे? विज्ञापनदाताओं के दबाव में न आने वाली आजाद व ठोस पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें. सब्सक्राइब करें.  

Also Read: हत्या, हथियार और नशे का कारोबार, फिर भी सनातन संस्था है पाक-साफ?

Also Read: अलवर लिंचिंग: यहां पुलिस और गौरक्षक एक ही घाट का पानी पीते हैं