चंद्रशेखर आजाद और बैकग्राउंड में भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के साथ आंदोलनकारी.
Report

आरक्षण में वर्गीकरण के खिलाफ दलितों का भारत बंद कितना असरदार

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससीएसटी आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ आज पूरे देश में दलित संगठनों द्वारा भारत बंद किया गया. इस बंद को बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) जैसे राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया. 

भारत बंद का सबसे व्यापक असर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में देखने को मिला वहीं झारखंड पंजाब और दिल्ली में भी बंद का प्रभाव देखने को मिला.

दिल्ली के तुगलकाबाद, राजा गार्डन, लक्ष्मी नगर सहित गाजियाबाद और हापुड़ में दलित संगठनों और राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रदर्शन किया गया. वहीं दिल्ली के जंतर मंतर पर लोग जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और आजाद समाज पार्टी द्वारा प्रदर्शन किया गया. 

जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते हुए आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा, “हम लोग खुशी में नहीं बल्कि मजबूरी में अपना काम छोड़कर सड़कों पर आए हैं. क्योंकि हमें लगता है सरकार की नियत में खोट है.”

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए वह कहते हैं, “जिस तरह की टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट ने की हैं कि क्रीमीलेयर लगाना चाहिए, एक बार के बाद आरक्षण नहीं मिलना चाहिए. उससे हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के लोग तीन-तीन पीढियां से जज बन कर बैठे हैं पर हमको कह रहे हैं कि एक पीढ़ी के बाद आरक्षण नहीं मिलेगा.”

आजाद समाज पार्टी के अलावा इस प्रदर्शन में आम लोग, छात्र और वकील भी शामिल हुए. दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दलित छात्र नेता आशुतोष ने हमें बताया, “सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दलित समुदाय के भीतर विभाजन पैदा करने वाला है. हमारे पुरखों ने सर्दियों के संघर्ष के बाद हमारे समुदाय को एक पहचान दी है, जिस कारण आज गर्व से कहते हैं कि हम दलित हैं. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस समुदाय के अंदर भी वर्गीकरण कर देगा जिसका सीधा असर दलितों के राजनीतिक और सामाजिक चेतना पर पड़ेगा.”

प्रदर्शन में शामिल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा, “शेड्यूल कास्ट को 15% रिजर्वेशन मिलता है. रिजर्वेशन लागू होने के इतने सालों बाद भी अभी तक शिक्षा संस्थाओं, ब्यूरोक्रेसी और बाकी सभी सरकारी नौकरियों में दलितों को 15% प्रतिनिधित्व नहीं मिला. केवल पांच प्रतिशत लोगों को प्रतिनिधित्व मिला. ऐसे में बाकी के 10% बैकलॉग को पहले भरने के बजाय सुप्रीम कोर्ट का यह कहना कि जिन पांच प्रतिशत लोगों को आरक्षण मिल रहा है उसमें वर्गीकरण किया जाए, यह दर्शाता है कि कोर्ट इस मसले पर न्याय नहीं करना चाहता है.”

दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पंजाब में  देर शाम तक भारत बंद जारी रहा. बिहार में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. 

देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट-

Also Read: बदलापुर यौन उत्पीड़न मामला: कवरेज के दौरान शिवसेना शिंदे गुट के नेता ने महिला पत्रकार पर की अभद्र टिप्पणी

Also Read: ममता राज, भारत में #RapeCulture और ABVP न्यूज़ वाले रजत शर्माजी