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लखनऊ पुलिस की हिरासत में दलित पत्रकार की बिगड़ी तबीयत
बीते दिनों लखनऊ में बारिश के बीच जमकर हुई हुड़दंग के वीडियो आपने जरूर देखे होंगे. उसमें राहगीरों के ऊपर कुछ लफंगे पानी उड़ेलते नजर आए थे. इसके बाद ये मामला जब सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने लगा तो पुलिस ने कई लड़कों को गिरफ्तार किया. ऐसे आरोप लगे कि पुलिस ने कुछ ऐसे लोगों को भी गिरफ़्तार कर लिया है जो घटना में शामिल नहीं थे.
लखनऊ के स्वतंत्र पत्रकार सत्य प्रकाश भारती इस विषय पर रिपोर्ट कर रहे थे. उनका दावा है कि उनके मोबाइल में पुलिस की एकतरफा कार्रवाई के सबूत थे जिन्हें अब लखनऊ पुलिस ने डिलीट कर दिया है.
इस मामले में पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया है कि पत्रकार शांति भंग कर रहा था और चोरी से पुलिस की वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहा था.
भारती 17 अगस्त को खबर के सिलसिले में लखनऊ के डीसीपी ईस्ट (डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस) शशांक सिंह से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे थे. बातचीत के दौरान उन्होंने अपने फोन की ऑडियो रिकॉर्डिंग ऑन कर दी, जिसे डीसीपी ने देख लिया. इसके बाद सिंह ने पत्रकार को गोमतीनगर थाने की पुलिस के हवाले कर दिया.
पत्रकार भारती कहते हैं कि इस मामले में पुलिस ने पहले 16 लड़कों को गिरफ्तार किया था, बाद में ये संख्या बढ़कर 25 हो गई थी. भारती का दावा है कि पुलिस ने कई बेगुनाह लड़कों को भी गिरफ्तार किया था.
वे कहते हैं, “मैं डीसीपी पूर्वी कार्यालय गया था. जहां मेरी मुलाकात डीसीपी शशांक सिंह से हुई. इस दौरान मैंने सवाल किया कि 31 जुलाई को बारिश के बीच हुई हुड़दंग में कुछ गिरफ्तारियां गलत हुई हैं. कहीं ऐसा तो नहीं है कि पुलिस ने मुख्यमंत्री के बयान के दबाव में ये गिरफ्तारियां की हैं? इस पर डीसीपी भड़क गए और कहा कि तुम पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हो.”
भारती का कहना है कि वे इस दौरान बिना इजाजत के बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग करने लगे. इसकी जानकारी डीसीपी को हो गई तो उन्होंने गोमती नगर थाने से पुलिस बुलाकर मेरा फोन छीन लिया और उसमें से सारी रिकॉर्डिंग डिलीट करवा दी.
भारती के मुताबिक़, “इसके बाद मुझे पुलिस पीटते हुए गोमती नगर थाने ले गई. थाने ले जाकर मुझसे जबरदस्ती लिखवा लिया कि मैं चोरी से डीसीपी की रिकॉर्डिंग कर रहा था. मुझे 5-6 घंटे तक बिठा कर रखा. इस बीच मेरी तबीयत बिगड़ने लगी. मेरी पैंट में ही पेशाब हो गया. ज्यादा तबीयत बिगड़ती देख पुलिस मुझे पत्रकारपुरम के पास नौवा अस्पाताल लेकर गई.”
“वहां से मुझे सरकारी लोहिया अस्पताल भेज दिया, लेकिन पुलिस मुझे मेट्रो ट्रामा सेंटर ले गई. तब तक करीब साढ़े आठ बजे चुके थे. यहां मुझे आईसीयू में भर्ती किया गया. इसके बाद रात करीब 12 बजे मेरे घरवाले आ गए, फिर मुझे यहां से डिस्चार्ज कर दोबारा गोमती नगर थाने ले जाया गया. जहां पर कुछ दस्तावेजों पर मुझसे हस्ताक्षर कराए गए. फिर रात को करीब ढाई बजे मुझे जमानत देकर भेज दिया गया. 18 अगस्त की सुबह करीब साढ़े चार बजे हम अपने घर आए.” भारती कहते हैं.
इस पूरे मामले पर हमने लखनऊ के डीसीपी ईस्ट शशांक सिंह से बात की.
वे कहते हैं, “सत्य प्रकाश भारती जनसुनवाई के दौरान हमारे यहां बैठे हुए थे. इसी दौरान भारती बिना इजाजत के फोन से रिकॉर्डिंग करने लगे. मुझे पता चला तो मैंने पुलिस को बुलाकर उन्हें थाने भेज दिया.”
शशांक कहते हैं, “थाने वालों ने इनका मेडिकल कराया और इनके खिलाफ पुरानी धारा 107/16 और 151 (शांतिभंग) की कार्रवाई की गई. एसएचओ ने मुझे बताया कि ये थाने में भी तेज आवाज में बात कर रहे थे.”
गोमती नगर पुलिस ने क्या कहा
इस मामले में गोमती नगर थाने की पुलिस ने एक बयान भी जारी किया है, इसमें कहा है कि 17 अगस्त को कार्यालय में जन सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति सत्य प्रकाश भारती चोरी चुपके से अपने मोबाइल से स्टिंग ऑपरेशन करते हुए बातचीत को अवैध तरीके से रिकार्ड कर रहा था. वहां मौजूद लोगों ने इस पर आपत्ति की तो उसने अपने को पत्रकार बताते हुए अक्रामक होकर अनर्गल वार्तालाप की.
जब सत्यप्रकाश भारती से इस बारे में पूछताछ कि तो उसने स्वीकर किया कि वो वर्तमान में पत्रकारिता नहीं कर रहा है. बल्कि रुपयों की आवश्यकता के चलते एक सडयंत्र के तहत सनसनी फैलाने के लिए स्टिंग ऑपेशन कर रहा था. पुलिस ने शांतिभंग के निवारणार्थ व संज्ञेय अपराध कारित होने की आशंका के दृष्टिगत सत्य प्रकाश भारती के खिलाफ धारा 170/126/135 बीएनएसएस की निरोधात्मक कार्यवाही की.
साथ ही पुलिस ने लिखा कि किसी तरह की मारपीट व गाली गलौच व कोई भी अमानवीय व्यवहार नहीं किया गया है.
सत्य प्रकाश भारती ने पुलिस के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ और मानवाधिकार आयोग में शिकायत करने की बात कही है.
क्या है मामला
बता दें कि लखनऊ में 31 जुलाई को गोमतीनगर में अंबेडकर पार्क के पास तेज बारिश के कारण इलाके में जलभराव हो गया था. इस दौरान वहां मौजूद कुछ लफंगों ने राहगीरों से अभद्रता की. सोशल मीडिया पर इसके वीडियो देखे गए जिनमें दोपहिया वाहनों पर बैठी महिलाओं से दुर्व्यवहार किया गया. उन्हें घसीटकर पानी में गिरा दिया गया. यही नहीं इन लफंगों ने कारें रोककर जबरन दरवाजे खोले और अंदर पानी फेंका, वाइपर तोड़ दिये.
इस घटना के बाद ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर तैरने लगे. फजीहत होती देख पुलिस ने आनन फानन में कई गिरफ्तारियां कीं.
दरअसल, वीडियो वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गिरफ्तार आरोपियों में से सिर्फ दो का नाम लेकर नया विवाद शुरू कर दिया जिस पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि सीएम इस मामले में राजनीति कर रहे हैं.
बढ़ते दबाव और कानून व्यवस्था की फजीहत होती देख योगी सरकार ने डीसीपी, एडीसीपी और एसीपी का तबादला कर दिया था. साथ ही एसएचओ समेत चौकी इंचार्ज और कई सिपाहियों को निलंबित भी कर दिया था.
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