Report
कांच के 'पिंजरे' में प्रदर्शन ने स्पीकर बिरला को पत्रकारों पर लगी बंदिशें हटाने को किया मजबूर
सोमवार को सुबह 10 बजे जब पत्रकार नए संसद भवन पहुंचे तो वे एक व्यस्त दिन के लिए तैयार थे. उन्हें नए बजट, दिल्ली कोचिंग सेंटर में हुई मौतों से जुड़े विवाद जैसे कई मुद्दों पर सांसदों से बातचीत करने की उम्मीद थी.
लेकिन उन्हें ये उम्मीद नहीं थी कि सुरक्षा अधिकारियों द्वारा उन्हें मकर द्वार पर जाने से रोक दिया जाएगा, वो द्वार जहां पर संसद में प्रवेश करते और बाहर निकलते समय सांसद मीडिया से बात करते हैं. पत्रकारों को मीडिया कंटेनर में रहने के लिए कहा गया था. यह परिसर के भीतर एक कांच का पिंजरे नुमा घेर था. पत्रकारों को केवल 10 कदम की दूरी के भीतर ही बातचीत करने के निर्देश दिए गए.
इन सबसे खफा पत्रकारों ने विरोध दर्ज करवाने के लिए किसी भी सांसद से बात न करने का फैसला किया.
आठ घंटे के अंदर यह मुद्दा संसद में और एक सलाहकार समिति के समक्ष यह उठाया गया. कई विपक्षी नेताओं ने पत्रकारों से मुलाकात की. आखिर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखा गया. इसके बाद स्पीकर ने मुलाकात की, प्रतिबंध हटाए और यहां तक कि कोविड के बाद बंद किए गए वार्षिक पास की व्यवस्था को फिर से शुरू करने की संभावना पर विचार करने का वादा भी किया.
पिछले चार सालों से कई पत्रकार संगठन और विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि मीडियाकर्मियों को संसदीय कार्यवाही को कवर करने की अनुमति दी जाए. महामारी के दौरान सदन में मीडिया की पहुंच पर लगाए गए प्रतिबंध अभी भी पूरी तरह से हटाए नहीं गए हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मुद्दे पर विस्तार से रिपोर्ट की है.
प्रदर्शन
एएनआई, पीटीआई, न्यूज़ 18, आजतक, एनडीटीवी आदि जैसे संस्थानों के रिपोर्टर पहले दोपहर 3.30 बजे तक कंटेनर के अंदर बैठे रहे.
धरने पर मौजूद एक पत्रकार ने कहा, "आज विभिन्न संस्थानों के रिपोर्टरों में एकता का यह एक दुर्लभ प्रदर्शन था."
एक अन्य पत्रकार ने बताया, "आज हम जिस कंटेनर में फंसे थे, वह गुज़रगाह के बगल में है. सांसदों के लिए वहां रुकना और हमें बाइट देना मुश्किल है, क्योंकि अगर वे वहां पार्क करते हैं तो जाम लग जाएगा. इसलिए हमने आज कोई भी बाइट लेने का ही बहिष्कार करने का फैसला किया ताकि स्पीकर को पता चल सके कि हम कैसे हालात से गुज़र रहे हैं."
एक रिपोर्टर ने कहा कि कंटेनर में मौजूद सभी टीवी पत्रकारों ने किसी भी सांसद का इंटरव्यू लेने से खुद को रोक लिया.
रिपोर्टर ने कहा, "यहां तक कि जो पत्रकार स्पष्ट रूप से भाजपा समर्थक हैं, उन्होंने भी आज किरण रिजिजू जैसे भाजपा सांसदों का साक्षात्कार लेने से परहेज किया. वे अपने बहिष्कार पर कायम रहे."
जैसे-जैसे घंटे बीतते गए, पत्रकारों की एकता, साथ ही कंटेनर में पत्रकारों के वायरल हुए फोटोज़ का असर होता दिखा.
राहुल गांधी का हस्तक्षेप
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पत्रकारों से वादा किया कि वे लोकसभा में इस मुद्दे को उठाएंगे, जिसके बाद उन्होंने ऐसा किया भी. लोकसभा में अपना भाषण खत्म करने के बाद राहुल गांधी पत्रकारों से मिलने पहुंचे. शाम होते-होते, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने करीब 20 पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. उनकी मांगों को सुनने के बाद उन्होंने कहा कि वे आज लगाए गए प्रतिबंध में ढील लाएंगे.
न्यूज़लॉन्ड्री को पता चला कि उन्होंने वार्षिक पास वापस लाने, मौजूदा मीडिया परिसर में सुधार लाने, पत्रकारों के संसद में प्रवेश करने के लिए गेट की संख्या बढ़ाने, उनके लिए नई लाइन शुरू करने और कैंटीन में सुधार करने पर भी विचार करने का वादा किया.
एक रिपोर्टर ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि राहुल गांधी के हस्तक्षेप के कारण बिरला ने इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की. रिपोर्टर ने कहा, "राहुल गांधी ने इस मुद्दे को इतने बड़े पैमाने पर उठाया कि बिरला को इसे हल करने में मुश्किल से चार घंटे लगे. हम संसद में अपनी प्रतिबंधित पहुंच के मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं, प्रेस संस्थाओं ने भी हस्तक्षेप किया है, लेकिन हमें इससे पहले तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली."
बजट पर अपने 49 मिनट के भाषण के अंत में राहुल गांधी ने स्पीकर से कहा, "आपने मीडियाकर्मियों को पिंजरे में बंद कर दिया है. उन्हें बाहर निकालिए."
जब उन्होंने मीडियाकर्मियों को बेचारा कहना शुरू किया तो बिरला ने उन्हें टोकते हुए कहा, "बेचारे नहीं हैं वो. उनके लिए इस शब्द का इस्तेमाल न करें." गांधी ने जवाब दिया, "नॉन-बेचारे मीडिया वालों ने मुझसे हाथ जोड़कर कहा है कि आप उन्हें बाहर निकाल दें. वे बहुत परेशान हैं."
बिरला ने उनसे कहा कि वे उनके चेंबर में आकर उनसे बात करें. अखिलेश यादव, प्रियंका चतुर्वेदी, डेरेक ओ-ब्रायन और मनोज झा जैसे विपक्षी नेता भी पत्रकारों से कंटेनर में मिलने गए थे.
कांग्रेस नेताओं ने आज बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में भी इस मामले को उठाया. इस बीच, आप नेता राघव चड्ढा ने भी स्पीकर को एक पत्र लिखा.
बिरला के साथ बैठक में मौजूद एक रिपोर्टर के अनुसार, स्पीकर ने वार्षिक पास की व्यवस्था को वापस लाने का भी वादा किया, जिसे कोविड के बाद बंद कर दिया गया था. वर्तमान में, स्थायी वार्षिक पास के लिए पात्र पत्रकारों को भी केवल मौसमी और अस्थायी पास दिए जाते हैं. पत्रकारों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि ये सीमित पास भी "मनमाने तरीके" से दिए जाते हैं.
मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना था कि स्पीकर ने कहा है कि वह वार्षिक पास वापस लाने पर विचार करेंगे, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा नहीं बताई गई है.
प्रतिबंध की क्या वजह थी?
आज कंटेनर में मौजूद दो पत्रकारों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि संभवतः आज का प्रतिबंध कुछ दिन पहले हुई घटना की वजह से “आनन-फानन” में लगाया गया है.
“कुछ दिन पहले ही समस्या तब शुरू हुई जब किसान नेता राहुल गांधी से मिलने आए. उन्हें एक अस्थायी पास दिया गया था और नियम यह है कि आप अस्थायी पास पर मीडिया से बातचीत नहीं कर सकते. लेकिन उन्होंने मीडिया को बाइट दी, राहुल गांधी के साथ और अलग से भी. यह सब मकर द्वार पर किया गया.”
गांधी के भाषण के दौरान भी जब उन्होंने बताया कि किसानों को तभी अंदर जाने दिया गया जब वे उन्हें लेने गए, तो बिरला ने उन्हें जवाब में बताया था कि यह नियम है कि सांसदों के अलावा कोई भी मीडिया को बाइट नहीं दे सकता.
पिछले चार वर्षों में, कई मीडिया निकायों और विपक्षी दलों ने स्पीकर से कोविड के दौरान पत्रकारों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया है. लोकसभा और राज्यसभा की प्रेस सलाहकार समितियां भी नहीं बची हैं.
इस बीच, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने प्रतिबंध हटाने की मांग की और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने कहा कि आज संसद के अंदर, मान्यता प्राप्त पत्रकारों की आवाजाही पर जिस तरह से प्रतिबंध लगाया गया उससे वे “स्तब्ध” हैं.
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री से पुष्टि की कि पत्रकार मकर द्वार के बैरिकेड पर “पिछले सप्ताह की तरह ही रिपोर्टिंग कर सकेंगे”.
स्थायी पास को फिर से शुरू किए जाने के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि स्पीकर ने कहा है कि वे “इस पर विचार करेंगे”, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है. अधिकारी ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा मीडिया सलाहकार समितियों को फिर से शुरू किए जाने पर कोई चर्चा नहीं हुई.
मीडिया के बारे में शिकायत करना आसान है, क्या आप इसे बेहतर बनाने के लिए कुछ करते हैं? आज ही न्यूज़लॉन्ड्री की सदस्यता लें और स्वतंत्र मीडिया का समर्थन करें.
Also Read
-
Exclusive: Bihar SIR rolls reveal 2,92,048 voters with house number ‘0’
-
TV Newsance 309: Uttarkashi disaster, Trump dhokhaa and Godi media’s MIGA magic
-
Swachh Bharat dream vs Delhi ground reality: ‘Struggle to breathe, a landfill within colony’
-
Gold and gated communities: How rich India’s hoarding fuels inequality
-
Uttarkashi: No power, no calls, families anxious for news of the missing