मजदूरों का कहना है कि दिन में सिर्फ़ एक घंटे की छुट्टी मिलती है और 12 घंटे की शिफ्ट में काम करना पड़ता है.
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मजबूरी की मजदूरी, जानलेवा तापमान और सरकारी फरमान की पड़ताल

दिल्ली की भीषण गर्मी ने राष्ट्रीय राजधानी में कथित तौर पर कम से कम 53 लोगों की जान ले ली है. इस हफ्ते, भारतीय मौसम विभाग ने दिल्ली में रेड अलर्ट जारी किया, जिसमें हीटस्ट्रोक और गर्मी से होने वाली बीमारियां होने की “अत्यधिक संभावना” होने की चेतावनी दी गई थी. 

19 जून को दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल ने 22 अज्ञात शव मिलने की सूचना दी.  उनके बेघर होने और “शहर में भीषण गर्मी की वजह से” मौत होने का अंदेशा लगाया जा रहा है. न्यूज़लॉन्ड्री ने पुरानी दिल्ली में रहने वाले दो बेघर परिवारों से भी मुलाकात की.  उन्होंने दावा किया कि गर्मी की वजह से उनके एक नवजात शिशु की मौत हो गई.

इससे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मई में आदेश दिया था कि “हीटस्ट्रोक से सबसे ज्यादा प्रभावित” होने वाले निर्माण कार्य में लगे मज़दूरों को भारी गर्मी के मद्देनजर दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक तीन घंटे का सवेतन अवकाश दिया जाए. लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि इस आदेश का अनुपालन न के बराबर हुआ. 

दिल्ली के दो प्रमुख निर्माण स्थलों- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और सराय काले खां मेट्रो प्रोजेक्ट- के मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें तीन घंटे की सवेतन छुट्टी कभी नहीं मिली है. उनमें से ज़्यादातर को तो इस आदेश के बारे में पता ही नहीं था. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उन्हें दिन में सिर्फ़ एक घंटे की छुट्टी मिलती है और 12 घंटे की शिफ्ट में काम करना पड़ता है.

एक मजदूर ने कहा, "रविवार को भी हमें दोपहर 2 बजे तक काम करना पड़ता है." वहीं एक अन्य मजदूर का कहना है, "हम क्या कर सकते हैं? हम सभी मजबूरी में यहां काम कर रहे हैं."

देखिए हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट. 

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