(From left to right) Magunta Reddy, Prabhakar Reddy, Etela Rajender, and Dr. Gaddam Rajith Reddy.
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आया राम गया राम, भाग 14: तेलंगाना के त्रिकोणीय मुकाबले और शराब घोटाले से जुड़े आंध्र प्रदेश के सांसद

लोकसभा चुनावों में तेलंगाना में 20 तो आंध्र प्रदेश में 13 दलबदलू उम्मीदवार भाग ले रहे हैं. इनमें से कम से कम 19 को भाजपा के एनडीए गठबंधन ने मैदान में उतारा है. 2019 में एनडीए आंध्र प्रदेश में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी और तेलंगाना में 4 सीटें ही जीत सकी थी. दोनों ही राज्यों की बड़ी क्षेत्रीय पार्टियां- तेलंगाना में बीआरएस और आंध्र प्रदेश में वाईएसआर ने भी क्रमशः 4 और 5 पाला बदलने वाले उम्मीदवार खड़े किए हैं. 

यह लिस्ट काफी लंबी है. चौथे चरण में दोनों राज्यों की प्रमुख पार्टियों द्वारा पाला बदलने वाले सभी उम्मीदवारों के नाम नीचे ग्राफिक में दिया गया है. 

तेलंगाना की दो सीटों मलकाजगिरि और चेवेल्ला में भाजपा, इंडिया और बीआरएस तीनों द्वारा दलबदलू उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. 

जबकि आंध्र प्रदेश में ओंगोले लोकसभा सीट पर दलबदलू नेता एक-दूसरे के साथ सीधा मुकाबले में हैं. कथित तौर पर दिल्ली आबकारी घोटाले से संबंधित और यहां से वर्तमान सांसद मंगुटा श्रीनिवासुलू रेड्डी का मुकाबला राज्यसभा सांसद वी. प्रभाकर रेड्डी से है. इसी साल वाइएसआर कांग्रेस से इस्तीफा देने के एक महीने बाद श्रीनिवासुलू टीडीपी में शामिल हो गए थे. 

कुछ बड़े दलबदलू उम्मीदवारों और उनकी सीटों पर नजर डालते हैं.

मंगुटा रेड्डी : वर्तमान सांसद, बेटा दिल्ली आबकारी घोटाले में आरोपी

मंगुटा श्रीनिवासुलू रेड्डी आंध्र प्रदेश के ओंगोले सीट से टीडीपी के उम्मीदवार हैं. 70 वर्षीय रेड्डी 4 बार सांसद रहे हैं. इसमें से 3 बार वे कांग्रेस की टिकट पर और 1 बार वाईएसआर की टिकट पर सांसद बने. 

1998 में कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले रेड्डी 16 साल बाद कांग्रेस छोड़कर टीडीपी में चले गए. उन्होंने यह कदम फरवरी 2014 में संसद में आंध्र प्रदेश के दो हिस्से करने का बिल लाने के बाद उठाया. उन्होंने कहा, “केवल चंद्रबाबू नायडू ही सुनहरे आंध्र प्रदेश का निर्माण कर सकते हैं. इस नए राज्य को अपने सर्वांगीण विकास और राजधानी बनाने के लिए नायडू के कुशल प्रशासन की आवश्यकता पड़ेगी.” हालांकि, उनकी आशा बहुत दिनों तक बनी नहीं रह सकी. 

2014 में रेड्डी ओंगोले से चुनाव हार गए. अगले लोकसभा चुनाव में वे वाईएसआर कांग्रेस की टिकट पर लड़े. इस बार उन्होंने कहा कि वे “वाईएसआर के प्रमुख जगह मोहन रेड्डी के हाथ मजबूत” करेंगे. पांच साल बाद रेड्डी एक बार फिर इस डाल से दूसरी डाल पर कूद गए हैं. जाहिर तौर पर, इस बार अपने बेटे के खिलाफ दिल्ली आबकारी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई की वजह से उन्होंने पाला बदल लिया है. 

उनके बेटे को पिछले साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था और अक्टूबर में सरकारी गवाह बनने के बाद जमानत दे दी गई थी. इसी क्रम में, जेल में बंद तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली की एक कोर्ट में पिता-पुत्र का नाम लिया था. आप ने रेड्डी पर टिकट के बदले केजरीवाल को “फंसाने” का आरोप लगाया था. 

मंगुटा, बालाजी डिस्टिलरी और दो अन्य कंपनियों के मालिक हैं. उनका परिवार शराब उद्योग में सात दशक से भी ज्यादा समय से रहा है. उनके पास 57 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. यह 2014 में 18 करोड़ रुपये की थी. हलफनामे में अपने उपर उन्होंने बेटे राघव की 20 लाख से ज्यादा की देनदारी बताई है. 

प्रभाकर रेड्डी : उद्यमी, वाइएसआर कांग्रेस के इकलौते राज्यसभा सांसद 

वेमिरेड्डी प्रभाकर रेड्डी, नेल्लोर से टीडीपी की टिकट पर उम्मीदवार हैं. 68 वर्षीय रेड्डी खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं. वे उद्यमी और खनन कंपनी वीपीआर माइनिंग इंफ्रा के मालिक हैं. 2013 में वाइएसआर कांग्रेस से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और जल्दी ही पार्टी की एकलौती राज्यसभा टिकट भी ले ली. 2016 में, जगन मोहन रेड्डी द्वारा विजय साईं रेड्डी को टिकट देने के बाद वीपी रेड्डी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उसी समय, उनके पार्टी छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे.   

लेकिन वे वाइएसआर कांग्रेस में ही रहे और पार्टी में सक्रिय नहीं रहने के बावजूद 2018 में राज्यसभा सांसद बनाए गए. 2024 चुनावों से एक महीने पहले उन्होंने पार्टी छोड़ दी और टीडीपी में शामिल हो गए. रेड्डी के स्वागत के दौरान मैच पर से ही टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने जगन रेड्डी पर निशाना साधा. भरी सभा में नायडू ने मुख्यमंत्री को निरंकुश बताते हुए उनके बर्ताव को वेमिरेड्डी व उनकी पत्नी के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला बताया. जिसकी वजह से वे दोनों टीडीपी में आ गए थे. 

नायडू ने कहा कि वे दोनों पार्टी छोड़ने पर “मजबूर” किए गए थे और टीडीपी उन्हें वह सम्मान व दर्जा देगी जिसके वे हकदार हैं. 

गौरतलब है कि रेड्डी की संपत्ति में भारी वृद्धि हुई है. 2018 में उनके पास 213 करोड़ रुपये की संपत्ति थी जो इस साल अप्रैल में 716 करोड़ रुपये की हो गई है. उनपर 6 मामले लंबित हैं. ये सभी आयकर अधिनियम के तहत आर्थिक अपराध से संबंधित हैं. 

मलकाजगिरि: 54 मुकदमे झेल रहे पूर्व मंत्री समेत बीआरएस के 2 दलबदलू उम्मीदवार

एटेला राजेन्दर तेलंगाना के मलकाजगिरि से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 60 वर्षीय राजेंदर तेलंगाना के पहले वित्त मंत्री के साथ साथ स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं . 2021 में वे भाजपा में आ गए थे. उन्होंने यह कदम तब उठाया जब उनपर ‘जमीन हड़पने’ के आरोप लगने के बाद कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था. 4 किसानों ने उनपर 100 करोड़ की जमीन हड़पने और उसपर बिना अनुमति के वाणिज्यिक इमारतें बनाने का आरोप लगाया था. 

राजेंदर ने अपना राजनीतिक जीवन वामपंथी छात्र नेता के तौर पर शुरू किया था. उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को षड़यंत्र बताकर खारिज कर दिया. इस विवाद के बाद और टीआरएस छोड़कर जाने से पहले वे लगातार मोदी सरकार के पक्ष में भाषण दे रहे थे. 

उनके पास 2009 में 7 करोड़ रुपये की संपत्ति थी जो इस साल अप्रैल में 53 करोड़ रुपये की हो गई है. हलफनामे में, अपने ऊपर उन्होंने 54 अपरधिक मुकदमे होने की जानकारी दी है. इनमें “हत्या के प्रयास” और आपराधिक धमकी और चुनावों के संबंध में गलत बयानबाजी के मुकदमे हैं. 

अब वे भाजपा की टिकट पर कांग्रेस की सुनीता महेंदर रेड्डी और बीआरएस के रागिड़ी लक्ष्मा रेड्डी के खिलाफ मैदान में है. सुनीता महेंदर चुनाव के कुछ दिन पहले ही बीआरएस छोड़कर कांग्रेस में आई हैं और रागिड़ी भी पिछले साल कांग्रेस छोड़कर बीआरएस में गए थे. 

46 वर्षीय सुनीता रेड्डी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत रंगा रेड्डी जिले की जिलापरिषद अध्यक्ष के तौर पर शुरू किया था. वे इसी साल फरवरी में भारत राष्ट्र समिति (पहले टीआरएस) से कांग्रेस में आईं. उनके पति महेंदर रेड्डी डॉक्टर और बड़े नेता हैं. वे बीआरएस की टिकट पर तंदूर विधानसभा से 4 बार विधायक रह चुके हैं. रेड्डी पर कोई मुकदमा नहीं है. वर्तमान में उनके पास 57 करोड़ रुपये की संपत्ति है जो 2018 में 15 करोड़ रुपये की थी. 

बीआरएस के उम्मीदवार रागिड़ी लक्ष्मा रेड्डी हैं. उन्होंने पिछले साल तेलंगाना विधानसभा चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस द्वारा टिकट नहीं देने पर पार्टी छोड़ दी थी. उसके पहले वे चर्चा में तब आए थे जब उनके समर्थक एक अन्य कांग्रेसी नेता मंडुमुला परमेश्वर रेड्डी के समर्थकों के साथ एक बैनर लगाने के लिए आपस में भिड़ गए थे. इससे पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आा गई थी.

रेड्डी ने 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. अपने हलफनामे में उन्होंने खुद को व्यवसायी बताया है. अप्रैल 2024 में उनके पास कुल 82 करोड़ रुपयों की संपत्ति है. उनपर “घातक हथियारों से जख्मी करने” और आपराधिक धमकी देने से संबंधित मुकदमे चल रहे हैं. 

रेड्डी 1985 में एनएसयूआई में शामिल हुए और 29 साल तक कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रहे. वे इस बार पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 

चेवेल्ला: करोड़पति उम्मीदवार, 4568 करोड़ की संपत्ति के मालिक एक उम्मीदवार

वर्तमान सांसद गद्दाम रंजीत रेड्डी तेलंगाना के चेवेल्ला सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. उन्होंने चुनावों के ठीक पहले बीआरएस को छोड़ दिया था. यहां पर दलबदलू करोड़पति उद्यमी उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. 

59 वर्षीय डॉ रंजीत रेड्डी उद्यमी हैं जिनकी संपत्ति पिछले पांच साल में 163 करोड़ रुपये से रॉकेट की गति से बढ़कर 435 करोड़ रुपये की हो गई है. उनका मुकाबला भाजपा के कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी से होगा जिन्होंने अपने पास 4,568 करोड़ रुपये की संपत्ति होने का ब्योरा दिया है. कोंडा रेड्डी साल 2022 में कांग्रेस से भाजपा में आए थे. इसके अलावा इस सीट से बीआरएस के कसानी ज्ञानेश्वर भी खड़े हैं जिनके पास कुल 227 करोड़ की संपत्ति है. जबकि कसानी पिछले साल टीडीपी से बीआरएस में आए. 

2019 में हुए दिशा सामूहिक बलात्कार के मामले में राज्य की बीआरएस सरकार का बचाव करने में असफल रहने के कारण रंजीत की आलोचना की जाती है. उन्होंने अपना पहला चुनाव उसी साल चेवेल्ला से 14,000 वोटों से जीता था. केसीआर के नेतृत्व वाली पार्टी छोड़ते हुए उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके “सार्थक अवसर देने” के लिए बीआरएस का आभार जताया. इसके साथ ही उन्होंने पार्टी छोड़ने के निर्णय को कठिन कहा और उसका कारण “बदलती राजनीतिक परिस्थितियों” को बताया था. 

भाजपा के कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी पहले बीआरएस में थे. वे थोड़े समय के लिए कांग्रेस में भी गए पर अंततः भाजपा में आ गए. 69 वर्षीय रेड्डी अमेरिका में रहकर वापस आए हैं. उनके दादाजी केवी रंगा रेड्डी आंध्र प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनके पिताजी के. माधव रेड्डी पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. पिछले चुनावों में रेड्डी चेवेल्ला सीट से हार गए थे. उनकी संपत्ति में पिछले पांच सालों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई. उनके हलफनामे के अनुसार, पांच साल पहले उनके पास 895 करोड़ रुपये की संपत्ति थी जो वर्तमान में 4,568 करोड़ रुपये हो गई है. 

कसानी ज्ञानेश्वर 2019 के चुनावों में बीआरएस से हारकर दूसरे नंबर पर रहे थे. नवंबर 2023 में वे बीआरएस में चले गए. कसानी कक्षा 8 तक पढ़े हैं. वे पिछड़ों के नेता माने जाते हैं. वे टीडीपी के तेलंगाना अध्यक्ष थे. 2007 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी मान पार्टी भी बनाई थी लेकिन 2018 में वे कांग्रेस में और फिर 2022 में टीडीपी में चले गए. 

कसानी ने नायडू के चुनाव लड़ने के निर्णय पर उनपर निशाना साधा था. प्रेस के साथ बातचीत में  उन्होंने कहा था कि उनके जेल से छुटने के बाद टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने उन्हें फोन तक नहीं किया और वे बीआरएस में इसीलिए जा रहे हैं क्योंकि उन्हें वहाँ “सम्मानपूर्वक बुलाकर पार्टी में शामिल होने के लिए पूछा” गया. 

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