Ground Report Videos
शंभू बॉर्डर पर आंदोलन के 100 दिन: किसानों ने चुनाव, गर्मी और आंदोलन के भविष्य को लेकर क्या कहा
14 फरवरी को जब न्यूज़लॉन्ड्री की टीम पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर रिपोर्टिंग के लिए पहुंची तो यहां की स्थिति हैरान करने वाली थी. देर रात को बॉर्डर पर चारों तरफ आंसू गैस के गोले पड़े हुए थे. हरियाणा की तरफ मौजूद सुरक्षा बल के जवान अपनी तरफ आने नहीं दे रहे थे.
अगले दिन सुबह-सुबह किसानों का जत्था अभी एकत्रित ही हो रहा था कि सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोलों की एक तरह से बरसात कर दी. यहां तक कि इसके लिए ड्रोन के इस्तेमाल के आरोप लगे.
तीन महीने बाद यहां के हालात बदले हुए हैं. सुरक्षा बल के लोगों ने भी स्थायी टेंट बना लिए हैं. किसान भी अपनी मांगें बनवाकर जाने का मन बना चुके हैं. कुलविंदर सिंह, शेर-ए-पंजाब किसान संगठन से जुड़े हैं. वो यहां की स्थिति बताते हुए कहते हैं, ‘‘यहां पानी की समस्या थी. हमें पानी लेने के लिए 10-15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. रोज टैंकर लाने-ले जाने में ट्रैक्टर में पांच-छह सौ रुपए का डीजल खर्च हो जाता था. क्योंकि लोग बहुत ज्यादा हैं तो दो-तीन टैंकर के पानी लग जाते थे. ऐसे में हमने यहां सबमर्सिबल पंप लगवा लिया और शौचालय भी बनवा लिए हैं. अब मोदी जी को तय करना है कि और कितने शौचालय बनवाने हैं. हमें पांच साल रुकना पड़े या दस साल हम अपनी मांग पूरी करवा कर जाएंगे. सही बताएं तो ये हमारी मांग है भी नहीं, ये तो सरकार ने खुद ही देने के लिए कहा था.’’
शंभू बॉर्डर पर तामपान 44 से 46 डिग्री तक जा रहा है. इससे बचने के लिए किसानों ने कुछ टेंट में एसी, कुछ में कूलर और पंखें लगाए हैं लेकिन हर वक़्त वो टेंट के अंदर तो रहते नहीं हैं. यहां हमें तरनतारन जिले के 90 वर्षीय बुजुर्ग मिले. जब हमने उनसे पूछा कि इतनी गर्मी के बावजूद आप यहां क्यों हैं तो इसका जवाब इन्होंने पंजाबी में दिया. जिसका तर्जुमा पड़ोस में बैठे एक युवक ने किया. बुजर्ग कहते हैं, ‘‘अगर हमारे बच्चों का भविष्य में रोटी का साधन छिन जायेगा. हमारी खेती बाड़ी चली गई तो हमारे जीने का क्या मतलब है?’’
ऐसी ही बातें दूसरे किसान भी करते हैं. किसानों की मानें तो उनको तो खेतों में काम करने की आदत है. वो अत्यधिक ठंड में भी काम करते हैं और घनघोर गर्मी में भी. गर्मी से उनपर कोई असर नहीं पड़ने वाला.
हरियाणा और पंजाब में किसानों का आंदोलन बड़ा मुद्दा है. दोनों जगहों पर बीजेपी के नेताओं को चुनाव प्रचार करने या गांवों में जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पंजाब में तो किसानों ने बीजेपी नेताओं को घेर कर उनसे सवाल पूछना शुरू कर दिया है. ऐसे में कई नेता गांवों की तरफ जा भी नहीं रहे हैं.
चुनाव को लेकर सवाल करने पर किसानों का कहना है कि बीजेपी को पंजाब में जीतने नहीं देंगे. लुधियाना के रहने वाले किसान तीरथ सिंह वोट देने के सवाल पर कहते हैं, ‘‘वोट देने तो जायेंगे, जिसको दिल होगा उसे देंगे लेकिन मोदी को नहीं देंगे. मोदी ने काफी परेशान किया है.’’
किसानों ने गर्मी, चुनाव और आंदोलन के भविष्य को लेकर और क्या कुछ बताया, जानने के लिए देखें ये वीडियो-
Also Read
-
BJP’s new political frontier: Fusion of Gujarat Hindutva model with Assam anti-immigration politics
-
‘Foreign hand, Gen Z data addiction’: 5 ways TV anchors missed the Nepal story
-
No bath, no food, no sex: NDTV & Co. push lunacy around blood moon
-
Trump loyalist’s killing deepens political fault lines in America
-
नेपाल: सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुआ हिंसक, आगजनी और हमले के बीच सेना ने संभाला मोर्चा