Report
रायबरेली: अमित शाह के भाषण के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने की पत्रकार की पिटाई
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में कल हुई अमित शाह की रैली में एक पत्रकार को भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा पीटने का वाकया सामने आया है. पत्रकार राघव त्रिवेदी मोलिटिक्स नाम के एक डिजिटल मीडिया संस्थान में काम करते हैं. पिटाई के बाद उनके साथियों द्वारा उन्हें अस्पताल ले जाया गया. हमने उनसे अस्पताल में ही बात की.
राघव का कहना है कि उन्हें “मुल्ला” और “आतंकी” कहकर पीटा गया. बकौल राघव हुआ यूं कि राघव के पास रैली में आई कुछ महिलाओं से बातचीत की क्लिप थी. इस क्लिप में महिलाओं ने रैली में आने के बदले रुपए मिलने का दावा किया था. इस बाबत जब उन्होंने किसी भाजपा के पदाधिकारी से सवाल करते हुए वीडियो का जिक्र किया तो वहां कई और लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई जिन्होंने राघव से वीडियो डिलीट करने को कहा और साथ ही खींचते हुए मंच के पास ले गए. इसके बाद वे राघव को पीटने लगे. इसी दौरान उनके कैमरा पर्सन संजीत डरकर वहां से हट गए.
पत्रकार का कहना है कि जब यह सब हो रहा था तब अमित शाह मंच पर भाषण दे रहे थे. वहां पर मौजूद 40-50 पुलिस वालों से राघव ने मदद भी मांगी पर किसी ने कुछ नहीं किया. राघव ने मदद के लिए वहां मौजूद एएनआई और आजतक के पत्रकारों का हाथ तक पकड़ा लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं किया.
इसके बाद भीड़ राघव को मंच के पीछे वेटिंग रूम में ले गई. जहां राघव के मुताबिक उनको कम से कम 150-200 घूंसे मारे गए. उन्हें वेटिंग रूम में ही बंद कर देने के कारण बेहद घुटन हुई थी और बाहर आकर बेहोश हो गए. कैमरा पर्सन संजीत का कहना है कि वेटिंग रूम से बाहर आने के बाद राघव ने उल्टियां कीं. इसके बाद राघव को अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, राघव इसके बाद और दृढ़ हो गए हैं कि वे रिपोर्टिंग पूरी करके ही वापस जाएंगे.
देखिए वीडियो.
आम चुनावों का ऐलान हो चुका है. एक बार फिर न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के पास उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेना प्रोजेक्ट्स हैं, जो वास्तव में आपके लिए मायने रखते हैं. यहां क्लिक करके हमारे किसी एक सेना प्रोजेक्ट को चुनें, जिसे समर्थन देना चाहते हैं.
Also Read
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
I&B proposes to amend TV rating rules, invite more players besides BARC
-
Scapegoat vs systemic change: Why governments can’t just blame a top cop after a crisis
-
Delhi’s war on old cars: Great for headlines, not so much for anything else