Know Your Turncoats
आया राम गया राम, भाग 8: इंडिया गठबंधन के 13 दलबदलू उम्मीदवार
अपनी ‘मां समान पार्टी’ में वापस आने वाले कांग्रेसी नेता और भाजपा में जाने के निर्णय को ‘सर्वश्रेष्ठ हित’ में बताने वाले नेता समेत कुल 20 दलबदलू उम्मीदवार 26 अप्रैल को 13 राज्यों की 89 सीटों पर दूसरे चरण के लोकसभा चुनावों में चुनाव लड़ रहे हैं.
लोकसभा चुनाव लड़ रहे दलबदलूओं पर इस शृंखला के छठे और सातवें भाग में हमने क्रमशः कांग्रेस से भाजपा और एनडीए से कांग्रेस में जाने वाले उम्मीदवारों के बारे में बताया.
भाजपा में कुल 7 उम्मीदवार पाला बदलकर आए और इंडिया गठबंधन में पाला बदलने वाले 13 उम्मीदवारों में से 6 एनडीए से आए हैं. इस भाग में हम इंडिया गठबंधन में बाकी के 7 उम्मीदवारों की राजनीतिक यात्रा के बारे में बताएंगे. इनमें से कई एक सहयोगी दल से दूसरे सहयोगी दल में चले गए.
अली इमराज़ रम्ज़: 3 बार के विधायक, राजनीतिक घराने से ताल्लुक और एक आपराधिक मामला
अली इमराज़ रम्ज़ पश्चिम बंगाल की रानीगंज लोकसभा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
44 वर्षीय रम्ज़ को लोग प्यार से विक्टर कहकर बुलाते हैं. वे 2009 में इंडियन पीपल्स फॉरवर्ड ब्लॉक के टिकट पर 2009 में राजनीति में आए. अगले 14 साल तक वे उसी पार्टी में रहे. साल 2022 में उन्हें “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के आरोप में निष्कासित कर दिया गया.
इसके बाद वे आजाद हिंद मंच में शामिल हो गए और थोड़े वक्त बाद ही कांग्रेस का हाथ थाम लिया.
रम्ज़ एक राजनीतिक घराने से आते हैं. उनके पिता दिवंगत मोहम्मद रमजान अली गोलपोखर सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं. उनके चाचा भी उसी सीट से 3 बार विधानसभा जा चुके हैं. इस बार वह रानीगंज से चुनाव लड़ रहे हैं. रानीगंज पश्चिम बंगाल की उन चंद सीटों में से है, जिस पर 2019 में भाजपा जीती थी.
2019 में जब वे चकुलिया सीट से तीसरी बार विधायक थे, उनपर दंगा करने, फिरौती मांगने, हमला करने और भूमि पर गैरकानूनी कब्जे का मुकदमा दर्ज हुआ था.
उनकी संपत्ति में बीते 14 सालों में 8 फीसदी की वृद्धि हुई है. साल 2011 में 3.5 करोड़ से साल में 2024 में यह 3.8 करोड़ हुई है.
डॉ मुनिश तमांग : गोरखा नेता, अंग्रेजी के प्राध्यापक
डॉ मुनिश तमांग पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.
52 वर्षीय तमांग पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय गोरखा चेहरा हैं. दार्जिलिंग से कुछ घंटों की दूरी पर कलिमपोंग के निवासी तमांग अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं. वे पूर्व में भारतीय गोरखा परिसंघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
तमांग को दार्जिलिंग में कई क्षेत्रीय गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रहे तृणमूल कांग्रेस के गोपाल लामा और भाजपा के उम्मीदवार व वर्तमान सांसद राजू बिष्ट से कड़ी टक्कर मिलने वाली है.
पहली बार चुनाव लड़ रहे तमांग ने हलफनामे में अपनी संपत्ति 2.5 करोड़ बताई है.
दानिश अली: पूर्व बसपा नेता, जामिया के पूर्व छात्र और वर्तमान सांसद
दानिश अली उत्तर प्रदेश के अमरोहा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 49 वर्षीय दानिश अली अमरोहा के वर्तमान सांसद हैं. उन्होंने पिछली बार बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था.
वे दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया से स्नातक हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जेडीएस से की थी. पिछले साल सितंबर में लोकसभा सत्र के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधुड़ी द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां किए जाने के बाद वे चर्चा के केंद्र में आ गए. इसके बाद उन्हें राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं का साथ मिला.
3 महीने बाद तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा पर “कैश फॉर क्वेरी” के मामले में उन्होंने सदन का बहिष्कार किया था. इसके बाद बसपा ने भी उन्हें “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के लिए निष्काषित कर दिया. उन्होंने अब बसपा पर “भाजपा की बी टीम” होने का आरोप लगाया है.
अली की संपत्ति पिछले पांच सालों में 43 प्रतिशत बढ़ी है. 2019 में उनकी संपत्ति 7.4 करोड़ थी जो 2024 में 10.6 करोड़ हो गई है.
डॉ महेंद्र नागर: दो बार के सांसद और कांग्रेस के गुज्जर नेता
डॉ महेंद्र नागर उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
2 बार सांसद रह चुके 68 वर्षीय नागर का राजनीतिक जीवन 25 साल पहले कांग्रेस से शुरू हुआ था. वे 2016 तक 10 साल से गौतम बुद्ध नगर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे. साल 2022 में वह सपा में चले गए.
पहले सपा ने इस सीट से राहुल अवाना को अपना उम्मीदवार बनाया था. पर बाद में अवाना का टिकट काटकर नागर को उम्मीदवार बना दिया गया. नागर की इस सीट पर भाजपा के महेश शर्मा से लड़ाई है. शर्मा इस सीट पर पिछला दो चुनाव जीत चुके हैं.
हलफनामे के अनुसार, 2024 में उनकी संपत्ति 8.7 करोड़ है.
सुनीता वर्मा: गोविल के खिलाफ खड़ी उत्तर प्रदेश की पहली दलित महापौर
सुनीता वर्मा उत्तर प्रदेश के मेरठ से सपा की उम्मीदवार हैं.
47 वर्षीय सुनीता का राजनीतिक जीवन शून्य से शिखर तक का रहा है. 2007 में पंचायत चुनाव लड़ने से लेकर 2017 में बसपा की टिकट पर वह महापौर का चुनाव जीतीं. वह उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में महापौर के पद पर चुनी जाने वाली पहली दलित महिला थी.
2019 में सुनीता और उनके पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा को बसपा से निकाल दिया गया. योगेश को सपा के सहयोग से मेरठ में विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था. दोनों पति-पत्नी जल्दी ही सपा के साथ हो लिए.
मेरठ में भी सपा ने पहले विधायक अतुल प्रधान को टिकट दिया था. उन्होंने नामांकन भी कर दिया था. लेकिन फिर सपा ने अतुल का टिकट काटकर अरुण गोविल के खिलाफ सुनीता वर्मा को टिकट दे दिया.
सपा के वरिष्ठ नेताओं ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया कि वर्मा की दलित मतदाताओं और विशेष कर महिलाओं में लोकप्रियता के चलते यह निर्णय लिया गया है. सपा के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के दौरान सपा विधायक शाहिद मंजूर ने हमसे बात की. उन्होंने कहा, “सुनीता के समर्थन में आई दलित महिलाओं का सैलाब देखिए. उत्तर प्रदेश में दलित महिला नेताओं के लिए इस तरह का समर्थन कम ही देखने को मिलता है. ऐसा समर्थन सिर्फ मायावती के लिए देखा गया है. सुनीता का राजनीति में भविष्य उज्ज्वल है.”
लोकप्रियता की तरह ही वर्मा की संपत्ति में भी तेजी से इजाफा हुआ है. उनकी संपत्ति 2017 में 2.7 करोड़ थी जो 248 प्रतिशत बढ़कर 2024 में 9.4 करोड़ हो गई है.
अमर शारदराव काले : कांग्रेस के गढ़ से लड़ रहे, पूर्व में तीन बार के विधायक
अमर शारदराव काले एनसीपी के शरद पवार धड़े की टिकट पर वर्धा से चुनाव लड़ रहे हैं.
50 वर्षीय काले 12वीं तक पढ़े हैं. वह महाराष्ट्र की राजनीति में जाना-पहचाना चेहरा हैं. वह अरवी से तीन बार विधायक रह चुके हैं. 30 मार्च को काले कांग्रेस छोड़कर इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टी एनसीपी (शरद पवार) में चले गए.
जब कांग्रेस ने गढ़ माने जाने वाली वर्धा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया था तो काले ने पाला बदलते वक्त मीडिया से कहा था कि जल्दी ही उन्हें उम्मीदवार घोषित किया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि “भाजपा को हराना” उनका लक्ष्य है.
कांग्रेस भी जल्दी ही उनके समर्थन में आ गई. काले के एनसीपी में जाने के दो हफ्ते बाद कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में पहली बार वर्धा से अपना उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा की और यह सीट गठबंधन के सहयोगी शरद पवार की पार्टी एनसीपी को दे दी.
काले के हलफनामे के मुताबिक, वह किसान हैं. 2019 में 2.3 करोड़ के मुकाबले 2024 में उनकी संपत्ति 360 गुण बढ़कर 10.6 करोड़ हो गई है.
बीमा भारती: फरवरी में ‘अगवा’ की गईं, एक वक्त पर पति को जेल से भागने में “मदद” की थी
बीमा भारती बिहार की पूर्णिया से राजद की नेता हैं. भारती ने चुनाव के कुछ हफ्ते पहले ही जदयू छोड़ दिया था.
भारती रुपौली विधानसभा से 5 बार विधायक रही हैं. वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के दबंग नेता पप्पू यादव से है. मतदान के कुछ दिन पहले ही उनके दो सचिव चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में 10-10 लाख रुपयों के साथ पकड़े गए थे.
फरवरी में जब नीतीश कुमार पाला बदलकर भाजपा के साथ चले गए और फ्लोर टेस्ट में जीते, उसी समय जदयू ने भारती को ‘अगवा’ किये जाने की शिकायत की थी. पार्टी ने राजद पर दल बदलने के बदले 10 करोड़ रुपये का लालच देने का भी आरोप लगाया था .
गौरतलब है कि भारती के पति अवधेश मण्डल को 2016 में एक हत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. भारती ने कथित तौर पर मंडल को जेल से भागने में मदद की थी. उनके पति और बेटे को इस साल फरवरी में भी शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था.
पिछले 4 सालों में भारती की संपत्ति 89 प्रतिशत बढ़ी है. 2020 में उनकी संपत्ति 2.8 करोड़ थी जो 2024 में 5.3 करोड़ हो गई है.
मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
अनुवाद- अनुपम तिवारी
आम चुनावों का ऐलान हो चुका है. एक बार फिर न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के पास उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेना प्रोजेक्ट्स हैं, जो वास्तव में आपके लिए मायने रखते हैं. यहां क्लिक करके हमारे किसी एक सेना प्रोजेक्ट को चुनें, जिसे समर्थन देना चाहते हैं.
Also Read
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
I&B proposes to amend TV rating rules, invite more players besides BARC
-
Scapegoat vs systemic change: Why governments can’t just blame a top cop after a crisis
-
Delhi’s war on old cars: Great for headlines, not so much for anything else