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घुटनों के बल आना कुछ यूं भा गया है उन्हें, खड़े होने में अब तकलीफ होती है: राजकमल झा की तीखी चुटकी
द इंडियन एक्सप्रेस समूह के मुख्य संपादक राजकमल झा ने पत्रकारिता की दशा, दिशा और उस पर बढ़ते अंकुश को लेकर चिंता जाहिर की. साथ ही उन्होंने इस दौरान मीडिया मालिकों के राजनीतिक झुकाव पर भी अपने चिर परिचित अंदाज में तीखी चुटकी ली.
उन्होंने कहा कि राजनेताओं से लेकर जज तक सब पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं. दूसरी ओर कुछ मीडिया मालिक तो सरकार के सामने यूं झुक गए हैं कि उन्हें अब सीधा खड़ा होने में तकलीफ होती है. झा यहां रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार वितरण के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे.
अपने संबोधन में उन्होंने बीते महीने की कुछ घटनाओं का जिक्र किया. कहा कि इन घटनाओं से पत्रकारों, राजनेताओं और मीडिया के मालिकों का हालत का पता चलता है.
अपना संबोधन शुरू करते हुए वे बोले, "हाईकोर्ट के एक जज ने भरी अदालत में एक रिपोर्टर को कहा कि उसे रिपोर्टिंग करते हुए नहीं देखना चाहते. बाद में इसी जज ने एक राजनीतिक पार्टी की सदस्यता ले ली. वहीं, बीते दिनों एक पत्रकार ने भी राजनीतिक पार्टी ज्वाइन की." झा का इशारा सागरिका घोष की ओर था, जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस पार्टी का हाथ थामा है.
झा ने इस दौरान फ्रांसीसी पत्रकारा वेनेसा के देश छोड़कर जाने की घटना भी याद दिलाई. उन्होंने कहा, ”दो दशकों तक यहां रहने के बाद एक पत्रकार को आखिरकार देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह ‘दुर्भावनापूर्ण रिपोर्टिंग’ कर रही थीं.”
झा ने राहुल गांधी की यात्रा के दौरान पत्रकार से हाथापाई की घटना का भी जिक्र किया. झा ने कहा, "पत्रकार के सवाल पूछने पर नेता के समर्थकों की भीड़ ने रिपोर्टर के साथ मारपीट की."
गोदी मीडिया पर चुटकी
राजकमल झा ने बिना नाम लिए बड़े मीडिया समूहों को मालिकों पर तीखा और करारा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कुछ मालिकों ने तो सरकार के सामने इस तरह से घुटने टेक दिए हैं कि अब उन्हें खड़े होने में तकलीफ होती है.
राजकमल ने आगे चुटकी लेते हुए कहा, ‘उन (मीडिया मालिकों) को व्यापार करना ज्यादा सुविधाजनक लगता है जबकि पत्रकारिता करने में उन्हें खासी असुविधा महसूस हो रही है.”
झा ने कहा कि सरकार ठीक से चले इसके लिए पत्रकारिता का ठीक होना बहुत जरूरी है.
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