NL Charcha
एनएल चर्चा 286: अडाणी समूह की खुलती परतें, रमेश बिधुड़ी के सांप्रदायिक बोल और कावेरी जल विवाद
इस हफ्ते चर्चा का प्रमुख विषय अडाणी समूह को लेकर इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट रही. जिसमें समूह की निवेशक कंपनी ओपल इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड का स्मामित्व सिर्फ एक व्यक्ति के पास होने और शेल कंपनियों द्वारा पैसे की हेरफेर की ओर इशारा किया गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के उज्जैन में 12 वर्ष की नाबालिग लड़की के साथ यौन हिंसा, देश में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का निधन और लोकसभा में सांप्रदायिक बयान देने वाले भाजपा सांसद रमेश बिधुड़ी को राजस्थान की टोंक लोकसभा संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बनाए जाने पर भी चर्चा हुई.
हफ्तेभर की अन्य सुर्खियों में कनाडा की संसद में नाज़ियों के लिए काम करने वाले व्यक्ति के सम्मान पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को मांगनी पड़ी माफी, एशियाई खेलों में भारत का बेहतर प्रदर्शन जारी, कोचिंग के लिए प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में एक और छात्र ने की आत्महत्या- इस साल आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या हुई 26 और यूपी के संभल में मुस्लिम बच्चे को हिंदू सहपाठी से पिटवाने वाली अध्यापिका गिरफ्तार आदि ख़बरें शामिल रहीं.
वहीं, हिंदूत्व वॉच पोर्टल ने की रिपोर्ट- नफरती भाषण के 255 मामलों में से 80 फीसदी भाजपा शासित राज्यों से, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद फिर से शुरू, मणिपुर में दो छात्रों की हत्या की तस्वीरें सामने आने के बाद हिंसा के नए दौर की शुरुआत और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की नीति नहीं है कि वो किसी दूसरे देशों में जाकर कार्रवाई करे आदि ख़बरों ने भी हफ्तेभर लोगों का ध्यान खींचा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में चुनावी रैली के दौरान कहा कि कांग्रेस का संचालन अब अर्बन नक्सल कर रहे हैं और भाजपा सांसद मेनका गांधी ने कृष्ण भक्ति से जुड़ी संस्था इस्कॉन पर गायों की तस्करी का आरोप लगाना भी चर्चा में बना रहा.
इस हफ्ते चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार रवि नायर और पत्रकार चारू कार्तिकेय शामिल हुए. न्यूज़लॉन्ड्री टीम से अवधेश कुमार ने चर्चा में हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल नायर से पूछते हैं, “हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस ने अडाणी समूह पर रिपोर्ट की है. बताया कि समूह में निवेशक कंपनी ओपल इन्वेस्टेमेंट प्राइवेट लिमिटेड सिर्फ एक व्यक्ति के स्वामित्व वाली कंपनी थी. इस रिपोर्ट के ज़रिए भी शेल कंपनियों द्वारा हेरफेर की जानकारी दी गई है. इससे पहले भी अडाणी समूह के व्यापार में अनियमितता देखी गई है. ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में भी शेयरों में हेरफेर की बात कही गई. ऐसे में क्या अडाणी समूह से जुड़ी और भी चीज़ें हैं, जो अभी सार्वजनिक होनी बाकी हैं?”
इसके जवाब मे नायर कहते हैं, “ओसीसीआरपी की रिपोर्ट ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कई तरह के सबूत जोड़े. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडाणी समूह के शेयरों में इनके लोगों द्वारा ही निवेश करने की संभावना व्यक्त की गई थी. इसके पीछे कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया था. हिंडनबर्ग का बेहतरीन काम यह था कि उसने विनोद अडाणी की कई शेल कंपनियों के बारे में जानकारी दी. ओसीसीआरपी ने और भी बहुत सारी कंपनियों के बारे में जानकारी निकाली और इस संभावना को सबूत के साथ साबित किया. अडाणी ग्रुप से जुड़े ताईवानी चांग चुंग ली और अरबी नासिर अली शाबान अहली ने अडाणी के शेयरों में निवेश किया था. जो डॉक्यूमेंट हमें मिले उससे पता चला कि इन लोगों ने अडाणी कंपनी में 431 मिलियन डॉलर का निवेश किया था.”
इसी मामले में सेबी की भूमिका पर जवाब देते हुए चारू कहते हैं, “मेरे मन में सेबी को लेकर हमेशा से सवाल रहा है कि आखिर यह संस्था कर क्या रही है. अडाणी समूह पर लगे आरोप नए नहीं हैं. समूह के खिलाफ व्यापारिक अनियमितता के आरोप सालों से लगते रहे हैं. भारत में कई पत्रकारों ने कोशिश की कि अंदर से जानकारी निकालें और सार्वजनिक रिपोर्ट्स के आधार पर कंपनी की हालात लोगों को बता सकें. इसको लेकर कई रिपोर्ट्स आईं भी. और उसके बाद हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने एक तरह से धमाका कर दिया. ओसीसीआरपी की रिपोर्ट इसे और आगे लेकर गई. हिंडनबर्ग ने भी माना कि जहां उसकी रिपोर्ट पूरी तरह से खुलासा नहीं कर पाई थी, वहीं ओसीसीआरपी चीज़ों को सबूत के साथ लोगों के सामने लाया. जिससे अडाणी समूह के खिलाफ रिपोर्ट पूरी हो जाती है. दिलचस्प बात यह है कि ओसीसीआरपी ने जिन कंपनियों और लोगों को खोज निकाला है, उन्हीं को सेबी नहीं खोज पाया था. उसने यह कहकर बात खत्म कर दी थी कि मामला बहुत जटिल है, हम इसकी जांच नहीं कर पा रहे हैं. रेगुलेटरी बॉडी के बारे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि कैसे जब कोई गैर लाभकारी संस्था काम करती है तो ऐसी जानकारी ढूंढ़ निकालती है लेकिन सरकारी नियामक ऐसा नहीं कर पाते हैं. जिनका कि काम ही यही है.”
इसके अलावा रमेश बिधूड़ी और कावेरी जल विवाद आदि मुद्दों पर भी चर्चा हुई. सुनिए पूरी बातचीत.
टाइम्स कोड्स
00ः00 - 03:12 - इंट्रो और ज़रूरी सूचना
03:17 - 20:36 - सुर्खियां
20:37 - 52:59 - अडाणी समूह
53:00 - 01:14:10 - रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल
01:14:10 - 01:20:28 - कावेरी जल विवाद
01:20:28 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
अवधेश कुमार
डॉक्यूमेंट्री- लव किल्स: अमरोहा हत्याकांड
डॉक्यूमेंट्री- लव किल्स: मधुमिता हत्याकांड
चारू कार्तिकेय
इब्ने सफी का उपन्यास: जासूसी दुनिया
अतुल चौरसिया
फिल्म: जाने जान
अशोक लवासा का लेख
रवि नायर
परंजॉय गुहा और रवि नायर की किताब- द राफेल डील: फ्लाइंग लाइज
ट्रांसक्रिप्शन: तस्नीम फातिमा/नाज़िर हुसैन
प्रोड्यूसर: चंचल गुप्ता
एडिटर: उमराव सिंह
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away