NL Tippani
14 एंकरों का बहिष्कार और शरशैय्या पर पितामह की टीवी परीक्षा
आज हमारे देश में अनगिनत रेडियो रवांडा जैसे चैनल हैं. आप आंख बंद कर लीजिए और रिमोट से चैनल बदलते रहिए. आपके कानों में एक सी भाषा, एक से हिंसक जुमले और एक से कुतर्क सुनाई देंगे. यहां किसी विविधता के लिए स्थान नहीं है. यहां विपक्ष से सवाल पूछने की नई परिपाटी विकसित हुई है. ऐसे ही 14 एंकरों के बहिष्कार की घोषणा विपक्ष के इंडिया गठबंधन ने की है.
भारत में पत्रकारिता की हत्या का आयोजन करने वाले ये 14 एंकर और इनके चैनलों का एक सच और है. इन्होंने खुद अपने चैनलों पर अघोषित रूप से अनगिनत लोगों के ऊपर इकतरफा प्रतिबंध लगा रखा है. प्रतिबंध और बहिष्कार के बीच एक लंबा धुंधलका फैला हुआ है. जो दूर से नहीं दिखता. सत्ता के साथ आपराधिक गठजोड़ कर चैनलों के मालिकों ने 40-50 की कच्ची उम्र वाले अनगिनत पत्रकारों को बेरोजगार कर दिया है. चैनलों को बिक्री-खरीद का शिकार बना दिया है.
हालांकि, इंडिया गठबंधन ने जो लिस्ट जारी की है उससे बचा जाना चाहिए था. कोई किससे बात करना चाहता है और किससे नहीं यह हमेशा उसका अधिकार क्षेत्र है. इन एंकरों को नज़रअंदाज करने में कोई गलती या बुराई नहीं थी. लेकिन लिस्ट बनाकर घोषणा करने के संदेश दूरगामी हैं. खासकर तब जब आप सार्वजनिक जीवन में विलुप्त हो रहे लोकतांत्रिक मूल्यों को बहाल करने का वादा करते हैं.
Also Read
-
TV Newsance 321: Delhi blast and how media lost the plot
-
Hafta 563: Decoding Bihar’s mandate
-
Bihar’s verdict: Why people chose familiar failures over unknown risks
-
On Bihar results day, the constant is Nitish: Why the maximiser shapes every verdict
-
Missed red flags, approvals: In Maharashtra’s Rs 1,800 crore land scam, a tale of power and impunity