Report
बुलडोजर, मीडिया या सरकार- नूंह के निर्दोष मुस्लिमों को बेघर करने का दोषी कौन?
7 अगस्त को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए नूंह में हरियाणा सरकार द्वारा की जा रही बुलडोजर की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए सवाल किया था क्या कानून-व्यवस्था की आड़ में किसी एक खास समुदाय की इमारतों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है? और क्या राज्य सरकार जातीय संहार की कोशिश कर रही है?
हाईकोर्ट ने भले इस मामले में कड़ा रुख अपनाया हो. हरियाणा की भाजपा सरकार से सवाल किए हों लेकिन पार्टी के विधायक संजय सिंह संभवतः इससे इत्तेफाक नहीं रखते. 13 अगस्त को पलवल में हुई हिंदू महापंचायत में उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा बुलडोजर पर लगाई गई रोक अस्थाई है. आगे भी बुलडोजर चलता रहेगा.
वहीं, हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने से पहले नूंह में 4 दिन तक बुलडोजर चलता रहा. जिसका नतीजा यह हुआ कि नूंह में 750 से अधिक निर्माण- जिनमें लोगों के घर, दुकान और झुग्गियां शामिल हैं- तोड़ दिए गए.
5 अगस्त को नल्हड़ गांव में बुलडोजर की पहली कार्रवाई शुरू की गई. पीड़ितों ने बताया कि उनके घरों पर बुलडोजर चलने के करीब आधा घंटा पहले ही पिछली तारीख (30 जून) का नोटिस चस्पा किया गया और उन्हें मकानों से अपना सामान निकालने का भी मौका नहीं दिया गया.
वहीं, इस कार्यवाही के दौरान आकिल शेख की 3 मंजिला इमारत को भी ध्वस्त कर दिया गया. आकिल ने हमें बताया कि उनका नाम दंगों से संबंधित किसी मुकदमे में नहीं है लेकिन मीडिया द्वारा उनके घर को लगातार निशाना बनाया गया. मीडिया ने प्रसारित किया कि इसी घर से पत्थरबाजी हुई थी.
वह बताते हैं कि पुलिस की जांच में भी हमारे घर पर कोई पत्थर नहीं मिला और ना ही पुलिस ने हमें किसी मामले में आरोपी बनाया लेकिन मीडिया के झूठे नैरेटिव के कारण उनकी जिंदगी भर की पूंजी बर्बाद हो गई.
5 अगस्त को ही नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के पास करीब 25 दुकानों को तोड़ दिया गया. इस रिपोर्ट के दौरान हमने पीड़ितों से बात की. हमारी पड़ताल में ये भी सामने आया कि बुलडोजर की इस कार्रवाई में अधिकतर पीड़ित मुस्लिम समुदाय से हैं.
नूंह के रहने वाले एडवोकेट रमजान चौधरी बुलडोजर की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि "सरकार मुसलमान के घरों पर बुलडोजर चला कर हिंदुओं को खुश कर रही है. कानूनों को ताक पर रखकर सिर्फ मुस्लिमों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की नीयत से ये कार्रवाई की जा रही है."
वहीं, पंचायतों में उठ रही मांग से नूंह के मुस्लिम समुदाय के लोग भी डरे हुए हैं. जिनके घर सलामत हैं, वह भी डर रहे हैं कि कहीं सरकार उनके घर भी ना तोड़ दे.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes