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मानसिक बीमारी या सांप्रदायिकता, चलती ट्रेन में रेलवे के जवान चेतन ने क्यों किया ये हत्याकांड?
जयपुर से मुंबई जा रही सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में गत 31 जुलाई को आरपीएफ के एक जवान ने गोली मारकर चार लोगों की हत्या कर दी. मरने वालों में एक आरपीएफ के एएसआई टीकाराम मीणा भी शामिल हैं. इसके अलावा ट्रेन में यात्रा करने वाले तीन मुस्लिम लोग चेतन की गोलियों का शिकार बने. इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है.
वायरल वीडियो में मुस्लिम यात्रियों की हत्या करने के बाद चेतन ये भी कहते नजर आ रहे हैं कि ये सब लोग पाकिस्तान से आए हैं और हिंदुस्तान में रहना है तो मोदी और योगी को वोट दीजिए.
इस सामूहिक हत्याकांड के बाद माना जा रहा है कि तीनों मुस्लिम लोग चेतन की नफरत का शिकार बने. हालांकि, ये जांच का विषय है कि टीकाराम के अलावा बाकी सभी मृतकों का मुस्लिम होना महज एक संयोग है या वाकई चेतन की नफरत के शिकार बने हैं.
मीडिया ने चेतन द्वारा हत्या किए जाने के पीछे दो वजहें रिपोर्ट की. पहली, घटना से पहले सूरत रेलवे स्टेशन पर आरोपी चेतन सिंह चौधरी की ट्रेन में मौजूद कुछ यात्रियों से हुई राजनीतिक बहसबाजी और दूसरा कि वह मानसिक रूप से बीमार है, जिसके चलते उसने आपा खो दिया और अपनी राइफल की 20 में से 12 गोलियां दाग दी.
क्या चेतन वाकई मानसिक रूप से बीमार है या फिर चेतन की वर्ग विशेष के प्रति असहिष्णुता ने बंदूक के रास्ते उस राजनीतिक बहस का जवाब दिया. इसी सवाल का जवाब जानने के लिए हमने मथुरा का दौरा किया. जहां चेतन के परिवार और पड़ोसियों ने उसके व्यवहार के बारे में बताया.
दिल्ली से जब हम मथुरा स्थित चेतन सिंह के घर पहुंचे तो उनका घर मेन रास्ते से करीब 200 मीटर दूरी पर बाएं ओर कोने वाला मकान है. जो मेन रास्ते से ही दूर से देखा जा सकता है. घर के आगे खाली मैदान है. उनके घर की बगल में एक सूबेदार का घर है.
जब हमने घर पर दस्तक दी तो एक अधेड़ उम्र की महिला ने दरवाजे से बाहर झांका और फिर अंदर चली गई. ये चेतन की सास थी. घटना के बाद से चेतन की सास पुष्पा देवी और ससुर रामबाबू यहां पहुंच गए हैं. काफी मान-मनौव्वल के बाद ये लोग बात करने को राजी हुए.
70 वर्षीय रामबाबू कहते हैं, “चेतन परेशान था, उसका मथुरा में ही इलाज चल रहा था. ये किराए का घर है. इसमें मेरी बेटी (चेतन की पत्नी) और उसके बच्चे रहते हैं. कुछ दिन की छुट्टियां बिताने के बाद वो यहां से ड्यूटी पर गया था. तभी ये मामला हो गया.”
वह आगे कहते हैं, “पुलिस हमसे पूछताछ कर रही है. हमने उन्हें चेतन की दवाई और इलाज के कागजात दिए हैं. हमने टीवी पर देखा फिर बच्चों ने बताया कि ये घटना हो गई है, तब मैं यहां आया हूं.” रामबाबू बताते हैं कि कभी-कभी चेतन उनसे भी तीखे लहजे में बात करता था.
बातचीत के दौरान, चेतन सिंह की सास पुष्पा देवी भी दरवाजे पर आ जाती हैं. वह कहती हैं कि चेतन सिंह करीब एक साल पहले फिसलकर गिर गया था, तब उसके दिमाग में चोट आई थी. इस परेशानी के चलते उन्होंने गुजरात में डॉक्टर को भी दिखाया.
वह आगे कहती हैं, “चेतन सिंह को कभी कोई परेशानी नहीं हुई. वह बच्चों के साथ प्रेम से रहते थे. हमारी भी फोन पर बातचीत होती रहती थी. जब से फिसलकर गिरे हैं तभी से उन्हें यह दिक्कत हुई है.”
चेतन सिंह के भाई ने क्या कहा
यहीं मथुरा में ही चेतन के भाई लोकेश कुमार भी अपने परिवार के साथ रहते हैं. लोकेश बताते हैं, “चेतन की मुंबई में नई पोस्टिंग हुई थी, उसकी वजह से वह परेशान था. साथ ही उसका इलाज भी चल रहा था.”
वे आगे कहते हैं, “हमें भी समझ नहीं आ रहा है कि क्या हुआ है. हम खुद बहुत दुखी हैं.”
आपकी चेतन से आखिरी बार कब बात हुई थी? इस सवाल पर वह कहते हैं, "हम 5-10 दिन बाद बात करते रहते थे, लेकिन जिस दिन ये केस हुआ उस दिन बात नहीं हुई थी. वो कुछ दिन पहले ही घर पर आया था, तब हमारी मुलाकात हुई थी.
लोकेश एक ट्रक ड्राइवर हैं. वो बताते हैं कि जैसे ही उन्हें चेतन द्वारा किए कांड का पता चला तो तुरंत घर लौट आए.
वह आगे बताते हैं, "चेतन कुछ टाइम से गुमसुम और सहमा हुआ रहता था. मुझे लगता है कि चेतन का अधिकारियों से कोई न कोई विवाद हुआ था. मेंटल परेशानी तो है ही.”
वहीं, लोकेश की पत्नी प्रीति चौधरी कहती हैं, "जो भी हुआ अच्छा नहीं हुआ है. कोई भी मां-बाप इस तरह की सलाह नहीं देता है. हमें चेतन के लिए तो दुख है ही लेकिन जो निर्दोष मारे गाए उनका ज्यादा दुख है.”
हत्याकांड के बाद चेतन द्वारा मोदी-योगी की तारीफ करने पर वह कहती हैं, "हम भी एक नागरिक ही हैं. हमारा काम राजनीति करने का नहीं था. चेतन का ऐसे बोलना गलत है."
हत्या के बाद चेतन की राजनीतिक अपील
हत्या के बाद वीडियो में चेतन जो कहता नजर आ रहा है, उसके बाद से माना जा रहा है कि उसने इस घटना को जान-बूझकर अंजाम दिया और मुस्लिम यात्री उसकी नफरत का शिकार बने.
वायरल वीडियो में चेतन कहता नजर आ रहा है कि, "ये सब पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे हैं. हमारी मीडिया कवरेज दिखा रही है. पता चल रहा है उनको, सब पता चल रहा है, इनके आका हैं वहां. अगर वोट देना है, हिंदुस्तान में रहना है, तो मैं कहता हूं मोदी-योगी को दीजिए, यही दो हैं, और ठाकरे."
चेतन का इलाज करने वाले डॉक्टर ने क्या कहा
चेतन के परिवारवालों और रिश्तेदारों ने बताया कि वह मानसिक रूप से बीमार था, और मथुरा में उसका इलाज चल रहा था. इन सभी दावों की पड़ताल करने के लिए हमने डॉक्टर प्रवीन कुमार नाथ से उनके अस्पताल में मुलाकात की.
मथुरा न्यूरो सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर नाथ कहते हैं, “चेतन सिंह हमारे यहां सिर्फ एक बार 13 फरवरी को आए थे. उसके बाद कभी नहीं आए. दूसरी बात इस बीमारी और घटना का कोई लेना देना नहीं है. वह सिर्फ सिर दर्द की दवाई लेने आए थे तो मैंने उसे पुराने इलाज के आधार पर 10 दिन की दवाई दी थी.”
एक अस्पताल का ओपीडी का पर्चा दिखाते हुए वह कहते हैं, “चेतन का इंदौर में पहले से इलाज चल रहा है जो कि इस पर्चे पर भी लिखा है, उसी के आधार पर हमने दवाई दी. हमने एमआरआई भी करवाई थी.”
वह आगे कहते हैं, “मुंबई के पुलिस कमिश्नर से मेरी बात हुई. मैंने उन्हें वही सब बताया जो अभी आपको कहा.”
क्या कहती है रेलवे?
हत्याकांड के बाद जब चेतन सिंह के मानसिक रूप से बीमार होने की बात फैलने लगी तो पहले रेलवे ने बयान दिया कि उनके रिकॉर्ड के मुताबिक, चेतन सिंह ठीक हैं. हालांकि, बाद में रेलवे अपने बयान से पीछे हट गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलने ने कहा कि चेतन सिंह ने बीमारी की बात उनसे छिपाई थी. फिलहाल, रेलवे ने एक हाईलेवल कमेटी बना दी है, जो इस पूरे मामले की जांच कर रही है.
गौरतलब है कि कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि चेतन सिंह मानसिक तौर पर बीमार था.
क्या कहते हैं पड़ोसी
हमने चेतन सिंह के बारे में और अधिक जानने के लिए उनके पड़ोसियों से भी बात की. उनके ज्यादातर पड़ोसियों का कहना है कि उन्होंने कभी चेतन को नहीं देखा है. हालांकि, उनकी पत्नी कभी-कभार पड़ोसियों से बात करती हुईं दिख जाती थीं.
मूल रूप से हाथरस का है चेतन का परिवार
यह परिवार मूल रूप से हाथरस जिले के मितई गांव का रहने वाला है. चेतन सिंह के पिता बच्चू सिंह रेलवे सुरक्षा बल में ही सब इंस्पेक्टर थे. मध्य प्रदेश के रतलाम में पोस्टिंग के दौरान वे वहीं बस गए. बाद में उनका तबादला महू में हो गया. यहीं पर ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद ये परिवार रतलाम से घर बेचकर मथुरा आकर बस गया.
2009 में पिता की जगह, चेतन सिंह की रेलवे सुरक्षा बल में नौकरी लग गई. इसके बाद से वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ मथुरा में ही किराए के घर में रहते हैं. वहीं, चेतन के दूसरे भाई लोकेश चेतन से 10-15 किलोमीटर दूर एक दूसरी कॉलोनी में रहते हैं.
कौन थे एएसआई टीकाराम और तीन मुस्लिम यात्री
रेलवे पुलिस के मुताबिक, मृतकों की पहचान राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के श्यामपुरा गांव निवासी 58 वर्षीय एएसआई टीकाराम मीणा, महाराष्ट्र के पालघर निवासी 58 वर्षीय अब्दुल कादर मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला, बिहार के मधुबनी निवासी 48 वर्षीय असगर अब्बास शेख और 40 वर्षीय सैयद सैफुल्लाह के रूप में हुई है. सैफुल्लाह हैदराबाद के नामपल्ली इलाके के रहने वाले थे.
एएसआई टीकाराम को छोड़ दिया जाए तो बाकी तीनों मुस्लिम यात्री चेतन को नहीं जानते थे. मृतक असगर शेख काम की तलाश में मुंबई जा रहे थे जबकि सैयद मुंबई के रास्ते हैदराबाद जा रहा था. वहीं, अब्दुल कादिर इसी महीने दुबई जाने वाला था. फिलहाल, वह अभी अपने गांव भानुपुर से मुंबई जा रहे थे. वह एक व्यापारी हैं और मुहर्रम पर अपने घर आए हुए थे.
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