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एनएल सारांश: ईडी डायरेक्टर की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया अवैध, जानिए क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को एक अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा को तीसरा कार्यकाल विस्तार देना अवैध है. कोर्ट ने ये भी कहा कि केंद्र 15 दिनों में नए निदेशक की तलाश करे. कोर्ट के आदेश के अनुसार मिश्रा को 31 जुलाई के बाद पद छोड़ना होगा. इस फैसले को केंद्र सरकार के लिए एक झटका माना जा रहा है.
दरअसल, मिश्रा के तीसरे सेवा विस्तार के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, जया ठाकुर और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ईडी डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय कौल की पीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने 8 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि संजय मिश्रा का सेवा विस्तार सुप्रीम कोर्ट के 2021 के फैसले का उल्लंघन है और डायरेक्टर को लगातार सेवा विस्तार देना अवैध है.
गौरतलब है कि मिश्रा के कार्यकाल में, ईडी के दुरुपयोग के कई आरोप लगे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के बाद से ईडी ने जिन नेताओं पर मामले दर्ज किए हैं उनमें से 95 फीसदी विपक्ष से हैं. इससे यह संदेह पैदा होता है कि एजेंसी विपक्ष को काबू करने के लिए सरकार का हथियार तो नहीं बन रही?
अब तक विपक्षी दलों के जिन नेताओं पर जांच की आंच आई है, उनमें कांग्रेस से पी.चिदंबरम और डी.के. शिवकुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से शरद पवार और अनिल देशमुख, आम आदमी पार्टी से सत्येन्द्र जैन और मनीष सिसोदिया ईडी की कार्रवाई का शिकार हो चुके हैं.. इनमें से कई अभी जेल में हैं.
हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार कहती है कि ईडी विपक्ष की घूसखोरी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्य कर रही है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक ट्वीट कर कहा कि भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई जारी रहेगी. फर्क नहीं पड़ता कि निदेशक कौन होगा. शाह ने अपने ट्वीट में लिखा कि ईडी निदेशक कौन है- यह महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि जो कोई भी इस भूमिका को ग्रहण करेगा, वो विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले परिवारवादियों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार पर जरूर कार्रवाई करेगा.
देखिए सारांश.
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