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महिला पहलवानों के पक्ष में हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में महापंचायतों का सिलसिला

आंदोलनरत पहलवानों के समर्थन में पश्चिम उत्तर प्रदेश और हरियाणा में लगातार खाप पंचायतें हो रही हैं. 1 जून को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सोरम गांव में नरेश टिकैत के आह्वान पर सर्वजातीय सर्वखाप पंचायत हुई. वहीं 2 जून को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सर्व जातीय सरकार की दूसरी पंचायत हुई.

कुरुक्षेत्र में हुई पंचायत के फैसले के बारे में बताते हुए राकेश टिकैत ने कहा, "अगर 9 जून तक सरकार बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं करती और पहलवानों को सुरक्षा मुहैया नहीं कराती तो हम पहलवानों को जंतर-मंतर पर वापस धरने पर बैठा देंगे"

वहीं, इससे पहले मुजफ्फरनगर में हुई पंचायत को लेकर राकेश टिकैत ने कहा था कि खाप पंचायतों की एक कमेटी राष्ट्रपति, गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से बातचीत करेगी और मसले का निपटारा करेगी. इसके अलावा इस मुद्दे पर देश भर में खापों और सामाजिक संगठनों की मीटिंग की जाएगी. 

गौरतलब है कि 28 मई को दिल्ली पुलिस द्वारा जंतर-मंतर से पहलवानों का धरना खत्म कराए जाने के बाद पहलवान हताश हो गए थे. करीब 5 हफ्ते तक धरना देने के बाद भी उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 30 मई को साक्षी मलिक, विनेश फौगाट और बजरंग पूनिया ने कहा कि वह हरिद्वार जाकर गंगा में अपने मेडल प्रवाहित कर देंगे. इसके बाद पहलवान अपने मेडल लेकर हरिद्वार पहुंचे. यहां भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने पहलवानों को मेडल गंगा में बहाने से रोक लिया और आश्वासन दिया कि अगले 5 दिनों में समाज और खाप मिलकर पहलवानों की लड़ाई लड़ेंगे और उन्हें इंसाफ दिलाएंगे. इसी सिलसिले में फिलहाल हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगातार खाप पंचायतें हो रही हैं.

इन पंचायतों का मकसद पहलवानों के आंदोलन को तेज करना और आमजन को इस मुद्दे को लेकर जागरूक करना है. 

गौरतलब है कि अब तक पहलवानों के आंदोलन में ग्राम पंचायतों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही है. पहलवानों के प्रदर्शन के सभी रणनीति फैसले खाप पंचायतों से ही तय हुए. 28 मई को नए संसद भवन पर महिला पंचायत करने का फैसला भी रोहतक में हुई एक खाप पंचायत में लिया गया था, जिसे पहलवानों ने मान लिया था. अगली पंचायत 4 जून को सोनीपत के मुंडलाना और 11 जून को मुजफ्फरनगर के बाजू में होने वाली है.

वहीं, पंचायत में शामिल होने वाले लोगों का कहना है कि पहलवानों के साथ हो रही नाइंसाफी उनके गांव और समाज पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव डाल रही है. 

सोनीपत के रहने वाले और गठवाला खाप के प्रदेश अध्यक्ष अशोक मलिक कहते हैं,  "हम अपनी बेटियों को गांव क्षेत्र से तो पहलवानी की प्रैक्टिस करवा देंगे लेकिन जब हमें पता चलेगा कि उसे बाहर के कैंप जाकर में ऐसे घिनौने तंत्र से गुजरना पड़ेगा तो हम अपनी बेटियों को बाहर भेजने से पहले सौ बार सोचेंगे."

वह आगे कहते हैं, "जो पहलवानों के साथ हो रहा है, उसका हमारे गांव और समाज पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है. उसका घाटा यह होगा कि होनहार बेटियां अब गांव में ही घुट कर रह जाएंगी."

वहीं, पावड़िया खाप के प्रधान कैप्टन दिलबाग कहते हैं, "सरकार बिल्कुल अंधी-बहरी हो चुकी है, जिसे किसी की तकलीफ न दिखाई दे रही है और न ही सुनाई दे रही है. यह सरकार सिर्फ अपनी तानाशाही चलाती है. हमारी बेटियों के साथ जो सलूक हो रहा है, वह हमारी पगड़ी उतारने जैसा है. अगर हमारी बेटियों को न्याय नहीं मिला तो हम सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने पर मजबूर होंगे."

पंचायत में आए लोगों से बात करके हमने पाया कि हरियाणा के लिए यह मुद्दा अब स्वाभिमान और सम्मान का बनता जा रहा है. देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट.

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