Report
कॉफी उद्योग की कमर तोड़ रही मौसमी अस्थिरता
अगर आप कॉफी पीने के शौकीन हैं तो संभव है कि ये आंकड़ा आपको चौंका देगा. आपके हर चार कप कॉफी में से तीन कप कर्नाटक के किसी कॉफी इस्टेट में पैदा होती है. दरअसल, भारत दुनिया भर में कॉफी उत्पादन के मामले में सातवें स्थान पर है. कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया का आंकड़ा बताता है कि पिछले साल यहां तीन लाख अड़तालिस हजार पांच सौ टन कॉफी पैदा हुई. इतनी सारी कॉफी का 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा देश के सिर्फ एक राज्य में पैदा होता है, जिसका नाम है कर्नाटक. कर्नाटक में सबसे अच्छी मानी जाने वाली अरेबिका और रोबस्टा दोनों तरह की कॉफी का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है.
हालांकि, कॉफी इंडस्ट्री की ये तो गुलाबी तस्वीर है लेकिन इसके पीछे एक स्याह सच भी है. भारत का कॉफी उद्योग इस समय बहुत बड़े संकट का सामना कर रहा है. पिछले कई सालों से लगातार कॉफी उत्पादन में गिरावट आ रही है. इसकी दो प्रमुख वजहें हैं, एक तो पर्यावरणीय परिवर्तन के कारण पैदा हो रही चरम मौसमी स्थितियां और दूसरा मजदूरों की उपलब्धता में कमी.
दरअसल, हाल के चार-पांच सालों में पश्चिमी घाट के इस इलाके में मौसम का मिजाज बहुत तेजी से बदला है. कभी कम समय में बहुत ज्यादा बारिश हो रही है तो कभी बेमौसम ही बरसात हो जाती है. बेतरतीब बारिश और तापमान में बढ़ोतरी जैसे कारणों से कॉफी का उत्पादन घट रहा है. और इसकी गुणवत्ता पर भी उल्टा असर पड़ रहा है. अच्छी गुणवत्ता वाली कॉफी के लिए एक विशिष्ट तरह की जलवायु बहुत जरूरी है.
इस मौसमी आपदा के अलावा लेबर फोर्स की उपलब्धता में कमी भी कॉफी उत्पादन में कमी की एक वजह है. कॉफी की खेती के लिए स्किल्ड लेबर की जरूरत होती है. इसकी खास किस्म की ट्रेनिंग होती है. कर्नाटक में कॉफी इस्टेट में काम करने वाले लेबर ज्यादातर बाहर से आ रहे हैं. इनको प्रशिक्षण देना पड़ता है और दिक्कत ये है कि अक्सर किसी तरह की मुसीबत में ये लेबर सारा कामकाज छोड़कर अपने घर वापस लौट जाते हैं.
इतना बड़ा उद्योग और उस पर पैदा संकट भारत के विकसित और आत्मनिर्भर होने के रास्ते में बड़ी बाधा बन सकता है. इसीलिए, वेक अप एंड समेल द कॉफी. यानी चौकन्ना हो जाइए, नजरअंदाज करने से समस्या खत्म नहीं होगी.
देखें पूरा वीडियो-
Also Read
-
The curious case of Kikki Singh: From poet photographed with president to FIR over CJI Gavai AI video
-
Will Delhi’s air pollution be the same this winter?
-
IPS officer’s ‘suicide’: Pressure mounts on Haryana govt after ‘weak’ FIR, no autopsy
-
7 दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं, हरियाणा में दलित अधिकारी की खुदकुशी पर क्यों हो मचा है बवाल
-
Behind India’s pivot in Kabul: Counter to Pak ‘strategic depth’, a key trade route