Karnataka Election 2023 NL Hindi
कर्नाटक चुनाव: ‘मुफ्त की रेवड़ी’ और चुनावी वायदों से सावधान जनता
हफ्ते भर के लिए मुंबई-कर्नाटक (अब किट्टूर-कर्नाटक) क्षेत्र में सफर करने के बाद, आपके लिए एक और चुनावी स्टोरी लाने के लिए हम अपना बेस उत्तर कर्नाटक बेल्ट - हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र की ओर शिफ्ट कर रहे हैं. हुबली से बेल्लारी तक की हमारी ये रेल यात्रा उस वक्त शुरू हुई जब भाजपा और कांग्रेस अपना चुनावी घोषणापत्र जारी कर चुकी थीं.
200 किलोमीटर लंबे सफर के दौरान खचाखच भरे रेल के डिब्बों में, कर्नाटक विधानसभा चुनावों से ऐन पहले, मतदाताओं की नब्ज़ टटोलने का शायद ही इससे बेहतर कोई और मौका हो.
दोपहर 1.20 पर हम हुबली स्टेशन से अमरावती एक्सप्रेस में सवार हुए. यात्रा का पहला एक घंटा सामान्य स्लीपर कोच में बिताने के बाद हमने अगला एक घंटा एक दूसरे आरामदायक एसी डिब्बे में बिताया. बता दें कि, ट्रेन के टीटीई गंगाधरजी इतने उदार थे कि हमने अपना सामान उनकी सुरक्षित कस्टडी में रख दिया था. फिर हमने मुसाफिरों से चुनाव की जमीनी स्थिति और उससे जुड़ी उनकी उम्मीदों और अपेक्षाओं के बारे में जानने के लिए उनसे बातें करना शुरू किया.
'बीमार मेडिकल सुविधाएं'
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने वाले मुसाफिरों में से पहली यात्री, 34 वर्षीय कावेरी, एक गृहिणी थीं, जो हुबली में एक स्वास्थ्य जांच कराने के बाद वापस कोप्पल जिले में अपने घर जा रही थीं.
मेरे जिले में एक भी मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल नहीं है. इसीलिए बेहतर इलाज के लिए हमें हुबली या बेंगलुरु जाना पड़ता है. यह हमारी जेब पर काफी असर डालता है, कावेरी जो कि अपने पति लिंगराज के साथ सफर कर रही थीं, ने आगे कहा, “मेरे पति एक कुली हैं. मेरे साथ सफर करने के लिए, उन्हें अपनी एक दिन की मजदूरी छोड़नी पड़ती है. पिछली बार जब हम बैंगलुरु गए थे, तो हमें 5,000 रुपए खर्च करने पड़े थे. हमारे पहले दो दिन तो सिर्फ अस्पताल की लंबी कतारों में ही खड़े-खड़े निकल गए.”
कावेरी के दिमाग में खून का थक्का जम गया है. “डॉक्टर का कहना हैं कि मेरे दिमाग का ऑपरेशन करना पड़ेगा. इसमें हमारे दो लाख रुपए खर्च हो जाएंगे. न जाने कैसे हम पैसों का इंतजाम कर पाएंगे?"
“मुझे किसी भी राजनीतिक दल या उनके चुनावी घोषणापत्र पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. ये सभी चुनाव से ठीक पहले झूठे चुनावी वादे करते हैं. हालांकि, मैं जनार्दन भाई की नई पार्टी (कल्याण राज्य प्रगति पक्ष) को वोट दूंगी. वह गरीबों की मदद करते हैं. उन्होंने हुबली के एक अस्पताल में मेरे इलाज के लिए डॉक्टरों की व्यवस्था करवाई.” उन्होंने कहा.
भाजपा के पूर्व मंत्री 56 वर्षीय गली जनार्दन रेड्डी ने पिछले साल दिसंबर में अवैध खनन और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद कल्याण राज्य प्रगति पक्ष या केआरपीपी का गठन किया था.
बेल्लारी में रेड्डी ने अपने भाई जी सोमशेखर रेड्डी (वर्तमान में भाजपा विधायक) के खिलाफ केआरपीपी उम्मीदवार के रूप में अपनी पत्नी गली अरुणा लक्ष्मी को चुनावी मैदान में उतारा है. जेडी(एस) ने व्यवसायी अनिल लाड को मैदान में उतारा है. 2013 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने यह सीट जीती थी. इस बार इन सबके मुकाबले में कांग्रेस ने एक नए उम्मीदवार, भरत को मौका दिया है.
जैसे ही गाड़ी ने रफ्तार पकड़ी, हुबली में जल आपूर्ति विभाग के 33 वर्षीय कर्मचारी अनिल कुमार ने कहा, “मैं घोषणापत्रों पर भरोसा नहीं करता. जब देश की अर्थव्यवस्था इतनी खराब चल रही है, तो ये दोनों पार्टियां इतनी सारी चीजें मुफ्त में कैसे दे सकती हैं? मैं उम्मीदवार के काम को देखकर वोट दूंगा, न कि पार्टी को.” एक निजी काम से अनिल अपने शहर हॉस्पेट वापस जा रहे थे.
'महंगाई ने हमारी कमर तोड़ दी है'
अनिल कुमार ने आगे कहा, “हमारे देश में बड़ी संख्या में नौजवान लोग हैं. बेरोजगारी ज्यादा है. ये नौजवान क्या करेंगे? और ऊपर से महंगाई ने हमारी कमर तोड़ दी है. गैस की कीमतें देखो. बीजेपी की सरकार से पहले एक गैस सिलेंडर की कीमत 450 रुपए थी और अब इसकी कीमत 1200 रुपए है. ये महंगाई हमारी समझ से परे है.”
कुमार के सहयात्री 55 वर्षीय वीरेन गौड़ा जो ये बातें सुन रहे थे, वो भी इस बातचीत में शामिल हो गए और बोले, "गैस की कीमत की तो बात ही मत करो. मेरे लिए 20,000 रुपए की माहवार तनख्वाह में घर चलाना लगभग नामुमकिन हो गया है."
'भ्रष्टाचार की वजह से परेशानियां झेल रहे हैं'
गौड़ा ने भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. "इससे पहले दो बार हमने बीजेपी के लिए सिर्फ इसलिए वोट किया था क्योंकि हमें उन पर भरोसा था. उनकी जीएसटी की नीति आम आदमी के लिए अच्छी नहीं है. साथ ही भ्रष्टाचार के कारण ही मोदी जी का जल जीवन मिशन बेल्लारी के गांवों तक नहीं पहुंच पाया." उन्होंने आगे कहा, "देश भर में बेल्लारी में पानी की समस्या सबसे जटिल है. जल जीवन नीति की सबसे ज्यादा जरूरत हमें है."
उन्होंने आगे बोलना जारी रखा, "मैंने अखबार में उनका घोषणापत्र पढ़ा, इस बार वे बिल्कुल अव्यावहारिक हो रहे हैं. अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर करने का उनका वादा भी बिल्कुल बेमानी है. इस बार हम बीजेपी को वोट नहीं देंगे. हमारे पास उनसे बेहतर विकल्प है. राहुल गांधी दो बार बेल्लारी आ चुके हैं, एक बार तो भारत जोड़ो यात्रा में भी. इस बार उन पर भरोसा किया जा सकता है."
गौड़ा के विचारों से सहमति जताते हुए आसपास बैठे दूसरे मुसाफिरों ने भी उनकी हां में हां मिलते हुए कहा, "यह सच है, मोदी ने हमें निराश किया है."
"चुनावी वादे तमाम लेकिन दूरगामी योजनाओं का अभाव"
जैसे ही हमने स्लीपर कोच से एसी दो में जाने के लिए कोप्पल स्टेशन पर थोड़ी देर के लिए उतरने की तैयारी शुरू की, 16 साल के वेंकट रेड्डी ने हमे रोक लिया. "मैं अभी वोट करने के योग्य नहीं हूं, लेकिन आज से दो साल बाद, मैं इस काबिल हो जाऊंगा. बीजेपी, कांग्रेस और जेडी-एस, सब के सब चोर हैं. जेडी-एस का मुख्य वोट बैंक किसान है, इसलिए वो और लोगों को भूल जाते हैं. बीजेपी के शासनकाल में हमने कमरतोड़ महंगाई देखी है. जबकि कांग्रेस कह रही है कि वो बीपीएल परिवार की महिला मुखियाओं को दो हजार रुपए देगी लेकिन उनकी कोई दीर्घकालिक नीति नहीं है. रोजगार देने के मामले में सभी असफल हुए हैं.
उसने आगे कहना जारी रखा, “मोदी कई बार कर्नाटक आए लेकिन सिर्फ चुनावों से पहले, हाल ही में मेरे एक दोस्त को, जिसके पिता का देहांत हो गया, अपनी मां के साथ खेतिहर मजदूर के तौर पर काम करने के लिए स्कूल छोड़ना पड़ा. किसी राजनेता ने उसकी परेशानियां नहीं सुनी.”
"अपने देश को ज़ेहन में रखकर वोट दूंगा"
जैसे ही आगे की कुछ किलोमीटर की दूरी के लिए हम एसी के कोच नंबर दो में गए तो हमें यहां के मुसाफिरों की चुनावों से जुड़ी चिंताएं कुछ अलग लगीं.
41 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर हरेश, धारवाड़ शहर के रहने वाले हैं. वो अपने कार्यस्थल के लिए बेल्लारी जा रहे हैं. जब बात बीजेपी की आई तो उनका कहना है कि वो 'मोदी जी द्वारा केंद्र में किए गए कामों' को तवज्जो देते हैं.
उन्होंने कहा, “मैं अपने देश को ज़ेहन में रखकर वोट देता हूं कि कौन सी पार्टी रोजगार, शिक्षा और विकास कार्यों के लिए अच्छी है. मैंने कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र पढ़ा है. उन्होंने पिछले 60 सालों से ‘मुफ्त की रेवड़ी’ बांटकर देश को बर्बाद कर दिया है और इस बार भी वो यही कर रही है. हालांकि बीजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र में मुफ्त की सुविधाओं का वादा किया है लेकिन यह उनकी मजबूरी है. आखिर ये सब राजनीति है. लेकिन जब बात बीजेपी की आती है तो मैं उन कामों को तवज्जो देता हूं जो मोदी जी केंद्र में कर रहे हैं. मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों को देखो. और पहले तो कोई भी पश्चिमी देश भारत का सम्मान नहीं करता था लेकिन अब चीजें बिल्कुल बदल चुकी हैं."
केंद्र सरकार की ये योजनाएं एसी कोच के मुसाफिरों के बीच एक हिट थीं.
हुबली के एक व्यवसायी शिवा मूर्ति ने कहा, “कांग्रेस के पास एक ऐसा नेता तक नहीं है जो देश को आगे ले जाए. डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया सिर्फ अपना स्वार्थ देखते हैं. कांग्रेस ने सत्ता के भूखे जगदीश शेट्टार को भी टिकट दिया है."
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी की सारी आलोचनाओं को खारिज करने वाले, मूर्ति ने कहा, “देखिए, सरकारें तो सारी ही भ्रष्ट हैं लेकिन हमें ये देखना चाहिए कि देश के लिए कौन सी सरकार काम कर रही है. चलो मान लिया कि बीजेपी 40 प्रतिशत कमीशन खाती है, लेकिन कम से कम बाकी का 60 प्रतिशत तो देश के विकास पर खर्च करती है. तो एक वोटर के तौर पर आपको आखिर में यही देखना चाहिए कि कौन सी सरकार सबसे कम भ्रष्ट है.”
Also Read
-
When caste takes centre stage: How Dhadak 2 breaks Bollywood’s pattern
-
What’s missing from your child’s textbook? A deep dive into NCERT’s revisions in Modi years
-
Built a library, got an FIR: Welcome to India’s war on rural changemakers
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
Modi govt spent Rs 70 cr on print ads in Kashmir: Tracking the front pages of top recipients