Karnataka Election 2023 NL Hindi

एक और चुनावी शो: कर्नाटक चुनाव को लेकर एचडी देवेगौड़ा पर किताब लिखने वाले श्रीनिवास राजू से चर्चा

एक और मॉर्निंग शो में आपका स्वागत है. कर्नाटक से हमारा यह दूसरा मॉर्निंग शो है. इस शो में हमने बेंगलुरु में फरोज इन ए फील्ड: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ: द अनएक्सप्लोर्ड लाइफ ऑफ एच.डी. देवेगौड़ा (Furrows In A Field: The Untold Story Of: The Unexplored Life of H.D. Deve Gowda) किताब के लेखक सुगाता श्रीनिवास राजू से बात की. अतुल चौरसिया और मनीषा पांडे द्वारा की गई इस बातचीत का केंद्र बिंदु ‘कर्नाटक में मौजूद जातिगत राजनीति’ रहा. 

सुगाता श्रीनिवास राजू ने जाति के सवाल पर कहा ‘जाति के आते ही लोगों को लगता है कि यह तो सिर्फ दिल्ली, यूपी और बिहार की राजनीति में अपनी भूमिका निभाता है, जबकि यह अन्य राज्यों की तरह कर्नाटक में भी महत्व रखता है. 

अतुल सवाल करते हैं, क्या अमित शाह ने जिस जातीय चुनावी समीकरण का इस्तेमाल हरियाणा की राजनीति में किया था, कुछ इस तरह का कर्नाटक में भी देखने को मिल रहा है? इस सवाल पर सुगाता श्रीनिवास राजू कहते हैं, “नहीं, नहीं यह उससे अलग है. जो आप कह रहें हैं, वो काम देवराज ने किया था.” 

मनीषा ने अगला सवाल टीपू सुल्तान और हिजाब बैन पर किया. जिस पर राजू कहते हैं कि कर्नाटक बीजेपी के लिए थोड़ा मुश्किल है. उन्होंने प्रयोग किया था कि धार्मिक बातों को दस महीने या साल पहले ही छोड़ दिया. उनका मुस्लिमों पर टिप्पणी करना मजबूरी थी. अब वो आगे इस तरह से नहीं कहेंगे क्योंकि चुनाव सिर पर है.

उन्होंने शो की समाप्ति कर्नाटक मीडिया से जुड़े सवालों से की. इस दौरान राजू कहते हैं ‘सभी कन्नड़ न्यूज़ पेपर पर नियंत्रण ब्रह्मणों का है’ पूरी देश की तरह यहां भी सवर्णों के द्वारा ही मीडिया कंपनी इनके द्वारा नियंत्रित की जाती है. 

सब देख लिया अब ये देखिए!

क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.

Also Read: एक और चुनावी शो: न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के साथ कर्नाटक चुनाव पर चर्चा

Also Read: कर्नाटक में चुनावी महीना और समुदाय आधारित जनाधार पर निशाना