Media
समीर कुमार ने पीबीएनएस प्रमुख के पद से दिया इस्तीफा, चल रही थी विजिलेंस की जांच
प्रसार भारती न्यूज़ सर्विस के प्रमुख समीर कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्हें 22 अप्रैल से पद मुक्त कर दिया गया.
24 अप्रैल को इस संबंध में प्रसार भारती ने इसको लेकर आदेश जारी किया. न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद इस आदेश में बताया गया है कि 22 अप्रैल से समीर कुमार को प्रसार भारती से मुक्त कर दिया गया है. कुमार, अपना एक महीने का नोटिस पीरियड भी नहीं करेंगे जिस कारण उन्हें चार दिन का बकाया दिया जाएगा.’’
न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक समीर कुमार के ऊपर प्रसार भारती की आंतरिक विजिलेंस कमेटी जांच कर रही है. यह जांच किस मामले को लेकर चल रही थी, इसे लेकर हमने प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी से बात की.
समीर के इस्तीफा की उन्हें जानकारी है, लेकिन विजिलेंस की जांच से वे खुद को अनजान बताते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए द्विवेदी कहते हैं, ‘‘इस्तीफे की मुझे जानकारी है लेकिन क्यों हुआ ये नहीं पता. वहीं जहां तक विजिलेंस की जांच की बात है, यह मुझे पता करना होगा.’’
बता दें कि न्यूज़लॉन्ड्री ने कुमार को लेकर एक रिपोर्ट की थी. जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं.
कुमार कैसे बने प्रसार भारती न्यूज़ एजेंसी के प्रमुख
आईआईटी और आईआईएम से पढ़े समीर कुमार कैसे प्रसार भारती की न्यूज़ एजेंसी पीबीएनएस के प्रमुख बने उससे पहले जानते हैं कि पीबीएनएस की शुरुआत कैसे हुई.
अगस्त 2020 में न्यूज़लॉन्ड्री ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट की थी. दरअसल, पीबीएनएस खोलने की बड़ी वजह सरकार का पीटीआई पर कब्जा करने में असफल होना था. 2014 में पहली दफा भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने मीडिया के तमाम महत्वपूर्ण हिस्सों पर प्रत्यक्ष-परोक्ष तरीके से अपना नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश की. इन कोशिशों में एक अहम कोशिश थी पीटीआई पर नियंत्रण स्थापित करने की.
26 फरवरी, 2016 को पीटीआई निदेशक मंडल की एक आपात बैठक बुलाई गई. गौरतलब है कि पीटीआई के निदेशक मंडल में देश के 98 महत्वपूर्ण अखबारी घरानों के सदस्य हैं. आशा के विपरीत बैठक में सदस्यों को जानकारी दी गई कि मोदी सरकार पीटीआई के कामकाज में हस्तक्षेप करना चाहती है. अपनी पसंद का संपादक लाना चाहती है. निदेशक मंडल ने बहुमत से तय किया कि वह सरकार की तरफ से होने वाले ऐसे किसी हस्तक्षेप का विरोध करेगी और पीटीआई की स्वायत्तता को कायम रखने का काम करेगी.
उस वक्त पीटीआई बोर्ड के चेयरमैन होरमुसजी एन कामा ने साफ शब्दों में बयान जारी किया, “हमने हमेशा अपनी स्वतंत्रता को महत्व दिया है. मैं इस मौके पर आप सबको भरोसा देना चाहता हूं कि हम पीटीआई में किसी तरह के राजनीतिक प्रभाव या हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देंगे.”
पीटीआई के 16 सदस्यीय बोर्ड के बाकी सदस्यों ने भी उस मीटिंग में चेयरमैन के विचार को पूरा समर्थन दिया. इस तरह से पीटीआई पर कब्जे की मोदी सरकार की पहली पहल नाकाम रही. यहां से मोदी सरकार का पीटीआई से अदावत का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद सरकार ने विकल्प के तौर पर अन्य समाचार एजेसियों से खबर लेना शुरू कर दिया. इसमें 'हिन्दुस्थान समाचार' भी था.
'हिन्दुस्थान समाचार' का स्वामित्व बीजेपी नेता आरके सिन्हा के पास है. उस वक्त समीर कुमार ‘हिन्दुस्थान समाचार’ में सीईओ थे. हालांकि ‘हिन्दुस्थान समाचार’ और प्रसार भारती के बीच चीजें तय नहीं हो पायीं और यह करार रुक गया. इसके बाद ही पीबीएनएस की शुरुआत हुई. जो समीर कुमार पहले 'हिन्दुस्थान समाचार' के लिए सरकार से बात कर रहे थे, वे खुद पीबीएनएस के पहले प्रमुख बन गए.
बाद में प्रसार भारती ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार सामग्री की आपूर्ति के लिए ‘हिंदुस्थान समाचार’ के साथ दो साल (14 फरवरी, 2023 से 31 मार्च, 2025 तक) के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह अनुबंध 7.70 करोड़ में हुआ है. इससे पहले ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ ये सेवाएं मुहैया करवाता था. इसको लेकर जब सवाल उठे तो सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक लिखित जवाब में बताया, “प्रसार भारती की दैनिक समाचार फीड के लिए हिंदुस्थान समाचार "एकमात्र स्रोत" नहीं होगा बल्कि यह “कई स्रोतों" में से एक होगा.’’
एक तरफ प्रसार भारती और हिन्दुस्थान समाचार के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए वहीं दूसरी तरफ कुमार पीबीएनएस से अलग हो गए.
Also Read
-
A conversation that never took off: When Nikhil Kamath’s nervous schoolboy energy met Elon Musk
-
Indigo: Why India is held hostage by one airline
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?