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लखनऊ: नर्सिंग कॉलेज की दलित छात्रा ने प्रिंसिपल और डायरेक्टर पर लगाए गंभीर आरोप
उत्तर प्रदेश के बरेली जिला निवासी नेहा लखनऊ के समर्पण इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड पैरमेडिकल साइंस में चौथे वर्ष की छात्रा हैं. नर्सिंग की पढ़ाई कर रही छात्रा का आरोप है कि कॉलेज की प्रिंसिपल, डायरेक्टर उन्हें लंबे समय से परेशान कर रहे हैं. इसके चलते उन्होंने स्थानीय थाने चिनहट में लिखित शिकायत दी है.
नेहा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “प्रिंसिपल मैम, मुझे काफी समय से परेशान कर रही हैं. मुझे सेकेंड ईयर से ही तंग किया जा रहा है. तब कम करती थीं, लेकिन थर्ड ईयर के लास्ट में थोड़ा ज्यादा करने लगीं और फोर्थ ईयर में तो हद ही पार कर दी. मुझे हर दो दिन बाद कभी डायरेक्टर सर बुलाते हैं तो कभी प्रिंसिपल मैम.” उनका दावा है कि वह दलित समुदाय से आती हैं और उन्हें कॉलेज में शूद्र कहकर अपमानित किया जाता है.
बातचीत में वह कहती हैं कि अगर दलितों से इतनी ही समस्या है तो उन्हें कॉलेज में एडमिशन ही क्यों दिया? मैं अपनी फीस तो खुद भरती हूं न? वो मुझे धमकी देती हैं कि तुम्हारी चार साल की डिग्री आठ साल तक रख लूंगी तब भी कोर्स पूरा नहीं होने दूंगी.
नेहा के आरोपों पर हमने कॉलेज की प्रिंसिपल दीप्ति शर्मा से भी बात की. वह कहती हैं, “वो एक अनियमित छात्रा रही हैं, उनके बहुत सारे लेटर हमारे पास रखे हैं. वो कभी कहती हैं कि मां बीमार है, कभी कहती हैं बहन बीमार है. फर्स्ट ईयर से अभी तक उनकी मात्र 12 प्रतिशत उपस्थिति है. जब हमने उन पर फाइन किया तो वो थाने चली गईं. तब उनका फाइन माफ कर दिया गया. फिर उनको फीस नहीं भरनी थी, तब दोबारा थाने चली गईं, पुलिस वालों ने उन्हें एडमिट कार्ड दिलवा दिया. अभी उनको फोर्थ ईयर की फीस नहीं भरनी तो फिर थाने चली गईं.”
जातिवाद और प्रताड़ित करने के आरोपों से प्रिंसिपल दीप्ति शर्मा इंकार करती हैं. उन्होंने कहा, “आज की तारीख में ऐसा कौन करता है. मैं तो यह जानती भी नहीं थी कि वो किस जाति से आती हैं. मुझे तो थाने में आवेदन के बाद नेहा की जाति का पता चला. हम यूपी में रहते हैं. यहां सिंह सरनेम ठाकुर समुदाय के लोग लिखते हैं. हमें तो पता ही नहीं था, वो किस जाति से थीं. यह मेरे लिए आश्चर्य था, मैं उन्हें सवर्ण समझ रही थी. यह सभी बातें सिर्फ झूठे आरोप हैं और कुछ भी नहीं”
शर्मा के मुताबिक, नेहा अपनी पूरी फीस माफ करवाना चाह रही हैं. साथ ही चाहती हैं कि पास करने की पूरी जिम्मेदारी ली जाए और सबसे ज्यादा नंंबर दिए जाएं, जो कि संभव नहीं है.
वह आगे कहती हैं कि 60 विद्यार्थियों में से सिर्फ एक नेहा को समस्या है. जो सोचती हैं कि पुलिस के पास जाने और ट्विटरबाजी से ये समस्या हल हो जाएगी तो ऐसा संभव नहीं है. हम इस बात से चुप हो जाएं कि ये लड़की है और किसी खास समुदाय से आती है तो इससे हमारा पूरा नर्सिंग सिस्टम खराब हो जाएगा. ये कॉलेज में अपने शिक्षक और फैकल्टी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती है, कॉलेज नहीं आती है और थाने में खड़ी रहती है. उन्हें सोचना चाहिए कि उनके लिए क्या जरूरी है.
प्रिंसिपल के इन आरोपों पर नेहा अपनी सफाई में कहती हैं, “फोर्थ ईयर (दिसंबर, 2022) में मेरी सगाई थी, तो थोड़ी मेरी छुट्टियां हो गईं थीं. उसके एक-दो दिन बाद मुझे वायरल हो गया, मेरे पेट में इंफेक्शन हो गया, जिसके प्रिस्क्रिप्शन मैंने कॉलेज में सबमिट किए हैं. मैं 18 दिसंबर को कॉलेज आ गई थी, लेकिन मुझे 2 फरवरी तक क्लास नहीं करने दी गई. बार-बार मुझे क्लास से भगा देती थीं और कहती थीं कि पहले शादी करके बच्चा पैदा कर के आ तब क्लास लगाने दूंगी. ऐसे पैरों में घुंघरू बांध कर चली आई हो यह कोई धर्मशाला है क्या? यह बात तो उन्होंने मुझे पूरी क्लास के सामने बोली है.”
नेहा ने कहा कि उनकी मां ने जब चैयरमैन आरएस दुबे से मुलाकात की तो उन्होंने क्लास अटेंड करने को कहा, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें पूरी क्लास के सामने बाहर निकाल दिया गया.
जब हम थाने गए थे तब कुछ भीम आर्मी कार्यकर्ताओं को इस बारे में पता चल गया था. वे कहती हैं, “भीम आर्मी के लोगों के कहने पर मुझे 2 फरवरी से क्लास में बैठने दिया गया. इसके बाद कभी मैम तो कभी सर बुलाकर उल्टा-सीधा बोलते हैं. गाली-गलौज करते हैं और बोलते हैं कि वॉर्ड बॉय के साथ सो जाओ, शूद्र.”
यही नहीं नेहा ने कॉलेज के डायरेक्टर वीपी तिवारी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. वह कहती हैं, “फरवरी के पहले सप्ताह में डायरेक्टर सर ने मुझे स्पोर्ट्स वीक के दौरान बुलाया. जब पूरा कॉलेज बाहर था. मुझे कहा कि तुम सुधरोगी नहीं न? मैंने कहा- क्या हुआ सर, पूरी बात तो बताइए?” कहा कि अकेले में मुझसे मिलो मैं सब ठीक कर दूंगा. जब मैंने इसका विरोध किया तो ये मुझसे गाली-गलौज करने लगे.”
“मैंने अपनी मां को कॉल किया और कहा कि मुझे यहां नहीं पढ़ना है. ये लोग बहुत बदतमीजी करने लगे हैं. यहां पढ़ने से अच्छा है कि मैं सुसाइड कर लूं. मैं बहुत रो रही थी.” उन्होंने कहा.
वह आगे कहती हैं, “मैंने अपनी मां और भाई के साथ कॉलेज के नजदीकी अप्परोन चौकी में इसकी शिकायत दी. जिस पर दीप्ति शर्मा और वीपी तिवारी ने माफी मांग ली. फिर इन्होंने एक महीने तक मुझे परेशान नहीं किया. सबकुछ सामान्य हो गया. लेकिन इन्होंने मुझे एग्जाम एडमिट कार्ड देने से इंकार कर दिया. पुलिस की मदद से मुझे एडमिट कार्ड मिला.”
इन आरोपों पर कॉलेज के डायरेक्टर कहते हैं कि नेहा की प्रिंसिपल के साथ कुछ समस्या है. इसीलिए उन्होंने मेरा नाम भी साथ जोड़ दिया. गलत नीयत से अकेले में बुलाने के आरोपों पर वे हंसते हुए कहते हैं, “ये सरासर झूठे आरोप हैं.”
इस मामले में चिनहट पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर आलोक राव जांच कर रहे हैं. वह कहते हैं, “सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी संस्था के खिलाफ शिकायत दर्ज करने से पहले उसकी जांच की जाए. उसके बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी. हमने शिकायत डीसीपी साहब को भेज दी है. वहां से आदेश आते ही अभियोग पंजीकृत कर दिया जाएगा.
जातिवाद और उत्पीड़न को लेकर क्या कहते हैं अन्य छात्र?
नेहा के आरोपों में कितना दम है. ये जानने के लिए हमने कुछ छात्रों से बात की. छात्रों ने नेहा के आरोपों को न सिर्फ सही बताया है बल्कि शोषण की आपबीती भी बताई है. नेहा के ही बैचमेट एक छात्र विकास (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि कॉलेज की प्रिंसिपल ने उन्हें इतना परेशान किया कि उनकी मेंटल हैल्थ बिगड़ गई और थैरेपी तक लेनी पड़ी.
वे कहते हैं कि जिन छात्रों की फीस बची रहती है, उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाता. अगर बैठने भी देते हैं तो तीन घंटे की परीक्षा में से एक घंटे या दो घंटे ही बैठने देते हैं ताकि बच्चा फेल हो जाए.
छात्र आगे कहते हैं कि कॉलेज में जाति-सूचक शब्दों का प्रयोग आम बात है. प्रिंसिपल ने उन्हें धमकी दी कि चार साल की डिग्री आठ साल में भी पूरी नहीं होने देंगे. इसकी रिकॉर्डिंग न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद है.
वहीं एक अन्य छात्रा अंजलि (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि नेहा के साथ जो भी लड़की होती है उन्हें प्रिंसिपल टारगेट करके टॉर्चर करती हैं. वह कहती हैं, “मैम सवर्ण और दलित बच्चों में भेदभाव करती हैं. मैंम ने मेरे सामने ही सार्वजनिक तौर पर कहा है कि जो भी बच्चा नेहा का साथ देगा वह उसे भी घसीटेंगी.”
कई अन्य छात्रों ने भी हमसे प्रिंसिपल के खराब व्यवहार के बारे में बात की. हालांकि उन्होंने अपने बारे में कुछ भी छापने से इंकार कर दिया.
इन सभी आरोपों पर प्रिंसिपल ने भी हमारी कुछ छात्रों से बात कराई. यह सभी छात्र कहते हैं कि नेहा और उसके साथियों का व्यवहार फैकल्टी के साथ अच्छा नहीं है. एक छात्र तो यहां तक कहते हैं कि यह सभी आरोप झूठे हैं और नेहा ने ये सोच-समझकर ड्रामा तैयार किया है.
नेहा के आरोपों और उसके परीक्षा ना दे पाने को लेकर हमने कॉलेज के चेयरमैन आरएस दुबे से बात की. दुबे, नेहा को अनियमित छात्रा बताते हैं. वे कहते हैं कि सरकार ने नया नियम बनाया है कि जिन भी छात्रों का 80 प्रतिशत से कम उपस्थिति रहेगी उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जब प्रिंसिपल ने नेहा को लेटर भेजा तब इसके रिएक्शन में ये सारी चीजें शुरू हुई हैं. प्रिंसिपल नियमों और अनुशासन को लेकर सख्त हैं, इस वजह से भी ये सब हो रहा है. नेहा द्वारा लगाए गए जातिगत भेदभाव के आरोपों को वे सिरे से खारिज करते हैं.
फिलहाल इस मामले में नेहा को डीसीपी ने बुलाया है. आगे की कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
अपडेटः छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कई छात्रों के नाम हटा दिए गए हैं.
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