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आगरा गोकशी मामला: वसूली का धंधा और हिंसा का माहौल रचने वाली हिंदू महासभा 

30 मार्च, यानी नवरात्र का आखिरी दिन. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक गोवंश के काटे जाने की सूचना पुलिस को मिली. यह सूचना अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने दी थी. पुलिस के पहुंचने से पहले महासभा के कार्यकर्ता घटना स्थल पर पहुंच गए. जब पुलिस पहुंची तो एक छोटा बछड़ा कटा हुआ मिला.

घटनास्थल, एत्माद्दौला थाने से करीब पांच किलोमीटर दूर गौतमनगर गुफा है. यह खाली जगह है. जहां लोग कूड़ा फेंकते हैं, खुले में शौच करने जाते हैं. झाड़ियां उगी हुई हैं. यहां लावारिस गायें घूमती रहती हैं और कूड़े में से खाती रहती हैं.

घटनास्थल पर हिंदू महासभा के तकरीबन 15 से 20 कार्यकर्ता मौजूद थे. उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया, नारे लगाए. पुलिस पर आरोपियों को पकड़ने के लिए दबाव बनाया गया. करीब तीन-चार घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस, कटे गोवंश को हटा पाने में सफल हो पाई. इस घटना को लेकर हिंदू महासभा के मंडल अध्यक्ष जितेंद्र कुशवाहा ने एक एफआईआर दर्ज कराई. जिसमें उन्होंने रिजवान, नकीम, विज्जु और शानू को आरोपी बनाया.

एफआईआर के मुताबिक कुशवाहा ने बताया, "करीब एक बजे रात मेरे विशेष सूत्रों से खबर मिली कि रिजवान अपने साथियों के साथ गौतमनगर गुफा की झाड़ियों में गाय काटकर उसका गौमांस बेचेगा. सूचना सही मानकर अपने साथियों विशाल और मनीष पंडित के साथ मैं मौके पर पहुंचा तो उपरोक्त लोग गाय को कटी छोड़कर भाग गए."

एफआईआर दर्ज होने के दो दिन बाद तक पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया तब हिंदू महासभा के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया.

एत्माद्दौला थाने में एसएचओ राजकुमार

एत्माद्दौला थाने के एसएचओ राजकुमार न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘हम जांच तो कर रहे थे. लेकिन हमारी जांच किसी और दिशा में आगे बढ़ रही थी. जो कि इन लोगों (हिंदू महासभा के लोग) द्वारा दर्ज एफआईआर की कहानी से बिल्कुल अलग दिख रही थी. तीन चार दिन बाद इन लोगों को शक हुआ कि पुलिस की जांच अलग दिशा में जा रही है तब ये लोग खुद हमारे पास आए और बोले कि आप नदीम उर्फ झल्लू को पकड़ें तो वो कुछ बता सकता है.’’

इसके बाद पुलिस का शक और बढ़ गया. दरअसल 30 मार्च को जो गोवंश कटा हुआ मिला था, उसे एक साजिश के तहत काटा गया था. इस साजिश में हिंदू महासभा के लोग भी शामिल थे. पुलिस को इसकी भनक लग गई थी. 

फिलहाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराने वाले जितेंद्र कुशवाहा, हिंदू महासभा के वरिष्ठ नेता संजय जाट, सौरभ शर्मा और बृजेश भदौरिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. आगे हम इसे और विस्तार से समझेंगे.

पुलिस की जांच अपने खिलाफ जाती देख संजय जाट अपने साथियों के साथ लखनऊ निकल गए थे. वो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर मामले को निपटाना चाहते थे, और पुलिस पर दबाव बनाना चाहते थे. यह जानकारी जाट ने खुद न्यूज़लॉन्ड्री को दी थी. लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात से पहले पुलिस ने 11 अप्रैल की रात में जाट और उनके सहयोगी सौरभ शर्मा और बृजेश भदौरिया को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया. इधर आगरा में जितेंद्र कुशवाहा को भी उनके घर से 11 अप्रैल की रात में ही गिरफ्तार कर लिया गया.

आगरा पुलिस की बढ़िया जांच से एक बड़ा सांप्रदायिक हादसा टल गया. अष्टमी-नवमी की दरम्यानी रात इस घटना को अंजाम दिया गया था. पुलिस के सामने कई सवाल थे. क्या इस घटना को सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए अंजाम दिया गया था? पुलिस अधिकारियों की मानें तो ऐसा नहीं था. दरअसल यह सब व्यक्तिगत बदला लेने और अवैध वसूली के लिए किया गया था.

कैसे रची गई साजिश

गोकशी की इस घटना को साजिश के तहत अंजाम दिया गया. पुलिस के मुताबिक नदीम, सलमान और उसके साथी, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया वो लगातार हिंदू महासभा के लोगों के संपर्क में थे.

एत्माद्दौला के एसएचओ राजुकमार न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘हमने एफआईआर के आधार पर विवेचना शुरू की. लेकिन आगे चलकर विवेचना ने यू टर्न ले लिया. सीसीटीवी फुटेज, सर्विलांस और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को जब हमने देखा तो शिकायतकर्ता ही षड्यंत्रकारी निकला. विवेचना में सामने आया कि इमरान, नदीम, इल्ली, सलमान और सोनू ने इस घटना को अंजाम दिया था. हमने इमरान और इल्लू को गिरफ्तार कर लिया. नदीम ने कोर्ट में समर्पण कर दिया. सलमान और सोनू अभी फरार है.’’

हमने षडयंत्र की पूरी कहानी समझने का प्रयास किया. राजुकमार ने बताया, ‘‘षड्यंत्र रचने वालों में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के तथाकथित पदाधिकारी शामिल थे. इसमें संजय जाट नंबर एक पर है. उसके बाद जितेंद्र कुशवाहा, बृजेश भदौरिया, सौरभ शर्मा और शानू शामिल थे. ये षड्यंत्रकारी थे जिन्होंने यह पूरी साजिश रची थी.’’ 

षड्यंत्र की वजहों को बताते हुए राजकुमार कहते हैं, ‘‘नदीम, इमरान और सलमान इन हिंदूवादी नेताओं के अच्छे दोस्त हैं. यह सब इसलिए हुआ क्योंकि नकीम (जिसका नाम एफआईआर में दर्ज कराया गया) वो नगर निगम में काम करता हैं. नदीम और उसके लोग जब अवैध मांस काटते हैं तो वो इसकी सूचना दे देता है. ऐसे में नदीम का मकसद था कि नकीम और उसके साथी अगर जेल चले गए तो हम उससे अपना बदला भी ले लेंगे और अवैध मांस का कारोबार ठीक से करते रहेंगे. नवमी का दिन इसलिए चुना गया कि दंगा हो या मामला उछले और पुलिस पर कार्रवाई की दबाव बने. जिन लोगों का नाम उन्होंने एफआईआर में लिखवाया था, वे अभी तक की हमारी विवेचना में निर्दोष पाए गए हैं.’’

मीना दीवाकर

आखिर उस रात क्या हुआ था ये जानने के लिए हम अखिल भारत हिंदू महासभा की महिला विंग की सदर प्रमुख मीना दिवाकर से मिले. 30 मार्च की रात दिवाकर भी घटना स्थल पर मौजूद थीं. 

दिवाकर न्यूज़लॉन्ड्री को बताती हैं, ‘‘30 मार्च की शाम को नदीम ने संजय जाट को फ़ोन कर कहा कि मुझे तो गोकशी में जेल भेजवा दिए थे. आज रात कुछ लोग गोवंश काटने वाले हैं उन्हें भी जेल भिजवाओ तो जानें. संजय भाई साहब ने पूछा कि बताओ तो उसने कहा कि फोन ऑन रखना मैं सूचना दूंगा. रात को नदीम ने फोन कर बताया कि भगवान टाकीज के पास गोकशी हो रही हैं. संजय जी, सौरभ शर्मा, बृजेश भदौरिया, विशाल समेत हम लोग वहां पहुंचे. वहां पहुंचे तभी फोन आया कि घटना तो गौतम नगर की गुफा के पास हो रही है. फिर हम सब वहां पहुंचे. साथ में पुलिस को भी सूचित कर दिया था. वहां पहुंचें तो सच में बछड़ा कटा हुआ था. ’’

“तो फिर आप लोगों ने रिजवान, नकीम और उनके साथियों को ही आरोपी क्यों बनाया? यह सवाल हमने दिवाकर से किया. तब दिवाकर ने बताया, ‘‘हमें नदीम ने इन लोगों का नाम बताया था.’’ लेकिन जब आप लोग वहां पहुंचे तब रिजवान और उनके साथी वहां मौजूद थे? इस सवाल का जवाब वो ना में देती है. 

दिवाकर पहले भी सुर्खियों में रही हैं. वो ताजमहल में हनुमान चलीसा पढ़ने और शिव पूजा करने के मामले में तीन बार जेल जा चुकी हैं. 

दिवाकर या हिंदू महासभा के अन्य लोग यही कहानी बताते हैं. लेकिन पुलिस ने जांच में पाया कि हिंदू महासभा के कार्यकर्ता और नदीम इस घटना को अंजाम देने में मिले हुए थे. 

हिंदू महासभा के लोगों का कहना है कि वे गाय बचाने के लिए गए थे. नदीम का नाम उन्होंने पुलिस को बताया. लेकिन एसएचओ राजकुमार ने हमें अलग कहानी बताई, ‘‘हमारे पास एविडेंस हैं तभी हम लोग बोल रहे हैं. घटना वाले दिन नदीम और हिंदूवादी नेताओं की लोकेशन बार-बार एक जगह मिली. ये लोग शाम से ही लोकेशन ढूंढ़ने में लगे थे. पहले ये लोग महताब बाग गए. फिर ये गौतम नगर पहुंचे. यहां भी रेकी करते हैं. रेकी करने के बाद षड्यंत्रकारियों के पास जाकर सारी सूचना देते हैं. इस दौरान इनके बीच फोन पर भी बात हो रही थी. देर रात को नदीम और उसके साथी भी घटनास्थल पर मौजूद थे. हिंदूवादी संगठन के लोगों के साथ ये भी हंगामा कर रहे थे और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगा रहे थे. हमने सिर्फ आरोपी नदीम के कहने पर हिंदूवादी संगठन के सदस्यों को षड्यंत्रकारी नहीं बताया है. हमारे पास तमाम एविडेंस हैं और जल्द ही हम उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे.’’

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह से गोवंश को काटा गया था, वैसे कोई भी मांस बेचने वाला नहीं काटता है. हमें उसी समय शक हो गया था. हमने उसी आधार पर विवेचना शुरू की थी. 

नकीम

एक तीर से दो निशाने

इस मामले में हिंदूवादी संगठन के लोगों ने जिन लोगों को आरोपी बनाया था, उसमें से एक नकीम और उनके भाई बिज्जू भी शामिल हैं. लोहामंडी क्षेत्र के रहने वाले नकीम, नगर निगम में संविदा पर काम करते हैं. वहीं उनके भाई बिज्जू कबाड़ बेचने का काम करते हैं. 

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए नकीम बताते हैं, ‘‘मेरी नदीम से पुरानी दुश्मनी है. 2005 में इन्होंने हमारे घर पर हमला भी किया था. वे अक्सर मेरे भाइयों को धमकाते रहते हैं. मैंने उन्हें अवैध मांस के मामले में बीते दिनों जेल भिजवाया था. इसलिए वो हमसे बदला लेना चाह रहे थे. सबक सिखाने की धमकी भी दी थी. जब मामला दर्ज हुआ तब मैं एक शादी में गया था. पुलिस से मैं अब तक नहीं मिला. पुलिस मेरे घर आई थी, भाई को पकड़ ले गई. भाई ने पुलिस को बताया कि आप हमारे फोन की या जैसे भी जांच करना चाहते हैं कर लें. अगर हम दोषी हैं तो आप सजा दें. मेरे भाई ने ही नदीम के बारे में पुलिस को बताया था.’’

इस मामले में जीतेंद्र कुशवाहा ने जिस रिजवान को मुख्य आरोपी बताया था, वो आगरा के नाई की मंडी इलाके में रहते हैं. इनकी राहुल नगर इलाके में मीट की दुकान है. घटना के बाद से वो अपनी दुकान नहीं खोल रहे हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री से रिजवान कहते हैं, ‘‘मैं बिल्कुल डर गया हूं. मेरे परिवार के लोग आपसे भी मिलने नहीं दे रहे थे. इतने बड़े मामले में मुझे फंसा दिया. वो तो पुलिस को शुक्रिया करता हूं कि उन्होंने मुझे बचा लिया.’’

उस दिन आप कहां थे? इस सवाल के जवाब में रिजवान सीसीटीवी फुटेज दिखाते हैं जिसमें वो रात एक बजकर नौ मिनट पर अपने घर में प्रवेश करते नजर आते हैं. वे कहते हैं, ‘‘रमजान का महीना चल रहा है. रात में इधर काफी रौनक होती है. हम देर रात तक जागते हैं. उस दिन मैं अपने घर के बाहर ही बैठा था. एक बजे के बाद घर में गया. यहां से घटनास्थल पर जाने में एक घंटा का समय लगता है. घटना एक बजे की है. अगर मैं वहां होता तो अपने घर पर कैसे नजर आता. मैं खुद पुलिस से नहीं मिला लेकिन यह सीसीटीवी उन तक पहुंचा दिया था.’’

हिंदू महासभा और नदीम की दोस्ती, अवैध वसूली का धंधा 

इन सबके बीच एक सवाल उठता है कि क्या नदीम ने सिर्फ व्यक्तिगत बदले के लिए हिंदू महासभा को अपने पाले में कर इस घटना को अंजाम दिया? इसके जवाब के लिए न्यूज़लॉन्ड्री ने आगरा के लोहामंडी, एत्माद्दौला और सदर थाने समेत अन्य थानों के पुलिस अधिकारियों से भी बात की. संजय जाट और जितेंद्र कुशवाहा का आपराधिक रिकॉर्ड खंगाला.

एत्माद्दौला के एसएचओ राजकुमार ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि संजय जाट के खिलाफ 14, जितेंद्र के खिलाफ 8 मामले दर्ज हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिंदुत्व की आड़ में ये लोग अवैध वसूली को अंजाम देते हैं. संजय जाट के खिलाफ ऐसे मामले कई बार सामने आए हैं.

संजय जाट और उनके साथियों पर लगे इस आरोप की तहक़ीकात के दौरान न्यूज़लॉन्ड्री को तीन लोग ऐसे मिले जिन्होंने बताया कि संजय जाट और उनके साथियों ने गोहत्या करने के मामले में फंसाया और पैसे की मांग की. इनमें से कुछ ने पैसे दिए भी. 

30 मार्च के मामले में, जिन्हें महासभा के लोगों ने आरोपी बनाया था उसमें से एक ने न्यूज़लॉन्ड्री को संजय जाट की एक ऑडियो सुनाई. ऑडियो दो महीने पुरानी है. इसमें कथित रूप से जाट कहते हैं, ‘‘मिलने आ. ठीक से आना.’’ फिर वो हमें बताते हैं कि ठीक से आने का मतलब है पैसे लेकर आना. 

उनका इशारा इस ओर था कि संजय और जीतेंद्र गोवंश की आड़ में मुसलमानों से उगाही करते हैं. 

लोहामंडी इलाके में श्री रत्न मुनि जैन गर्ल्स इंटर कॉलेज से पांच सौ मीटर की दूरी पर मांस की कई दुकानें हैं. यहीं एक दुकान पर हमारी मुलाकात अकबर से हुई. अकबर कुरैशी की मांस की दुकान पहले राहुल नगर, बोदला चौराहे पर थी. जून 2022 में दोपहर के समय वे अपनी दुकान पर बैठे थे. तभी संजय के 10-15 साथी वहां पहुंचे और हंगामा करने लगे.

अकबर बताते हैं, ‘‘उस वक़्त तक मेरा माल बिक चुका था. लगभग 22 हजार रुपए गल्ले में रखे थे. इन लोगों ने सब लूट लिया. उसके बाद बोले कि मैं गाय का मांस बेच रहा हूं. हम लोग भैंस का मांस बेचते हैं. वो भी टैग और मुहर लगाके स्लॉटर हाउस से आता है. मैंने उन्हें बताया लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे. उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया. मैं तीन महीने के लिए जेल चला गया. जो मांस इन्होंने मेरे यहां से उठाया था वो जांच के लिए भेजा गया. रिपोर्ट में आया कि मांस भैंसे का ही था.’’

अकबर के मुताबिक इसी बीच सौरभ शर्मा ने केस से उनका नाम हटवाने के लिए पैसे मांगे. इन लोगों ने 32 हजार रुपए उन्हें दिया. जेल से आने के बाद सौरभ ने अकबर को बताया कि नदीम ने ही उसे फंसवाया था. ये दोनों मिले हुए हैं. वे लोग उन मुसलमानों को टारगेट करते हैं जहां एक दो दुकानें हो. इस घटना के बाद मैंने अपना काम राहुल नगर से बंद कर लोहामंडी में शुरू कर दिया.

मांस बेचने वाले कई और लोग हिंदू महासभा के नेताओं और नदीम की मिलीभगत की कहानी हमें बताते हैं. दरअसल, नदीम भी मांस का कारोबार करता है. एक बार उसे भी हिंदू महासभा के लोगों ने गोवंश काटने के मामले में जेल भिजवाया था. जिसके बाद उसने महासभा वालों से दोस्ती कर ली. इन लोगोंने मिलकर उगाही का एक नेटवर्क बना लिया. नदीम इन्हें मांस काटने वालों का नंबर और डिटेल उपलब्ध कराता था. उसके बाद ये लोग छापा मारते थे. भैंस के मांस को गाय का बताकर हंगामा करते और धमका कर पैसे वसूलते थे. कई बार पुलिस को बुला लेते थे. इस झगड़े में नदीम ने अपनी भूमिका भी बना रखी थी. हंगामें के बाद वो बीच-बचाव करने आता था. मांस विक्रेताओं को समझाता कि कोर्ट और जेल के चक्कर में पड़ने से बेहतर है कुछ ले-देकर मामला रफा-दफा करना चाहिए. एफआईआर से बचना चाहिए. कुछ लोग डर जाते थे और पैसे दे देते थे. कुछ नहीं डरते थे तो उनका नाम एफआईआर में दर्ज हो जाता था. इस तरीके से ये कई लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं.

आगरा के कमाल खां इलाके में एक मांस की दुकान पर काम करने वाले साजिद भी इनका शिकार हुए हैं. साजिद 700 रुपए दिन की मज़दूरी पर वहां काम करते थे. साजिद के छोटे भाई सनी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘मेरे बड़े भाई दुकान पर थे तभी संजय जाट, सौरभ शर्मा और पांच-सात लोग वहां पर पहुंच गए. उन्होंने दुकान से मांस उठाया और कहा कि वो गोवंश का मांस बेच रहा है. उनके साथ पुलिस भी थी. मेरा भाई जेल चला गया. 15 दिनों तक वो जेल में रहा. इसी बीच मांस जांच के लिए गया. जांच में आया कि मांस भैंस का ही था.’’

सौरभ शर्मा की भूमिका पैसे का लेनदेन करने में थी.  सनी कहते हैं, ‘‘सौरभ शर्मा ने मुझसे 50 हज़ार रुपए के बदले मेरे भाई का नाम एफआईआर से हटाने का प्रस्ताव दिया. हमने पैसे नहीं दिए क्योंकि हमें यकीन था कि हम जो मांस बेच रहे थे वो भैंसे का ही है. अगर हम गलत होते तभी पैसे देते न.’’

संजय जाट पर दर्ज एफआईआर

ऐसे ही एक मामले में संजय जाट के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी. आगरा के लोहामंडी थाने में एफआईआर संख्या 116/22 दर्ज है. आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली करना) के तहत दर्ज इस मामले में रौनक ठाकुर, अंकित और अन्य नामजद हैं.

यह एफआईआर पुलिस द्वारा एक वायरल ऑडियो के आधार पर दर्ज कराया गया था. एफआईआर के मुताबिक लोहामंडी निवासी झल्लू से 15 हज़ार लेने-देने के संबंध में रौनक ठाकुर और अंकित के बीच बात चल रही थी जब इस मामले की जांच की गई तो प्रकाश में आया कि स्लाटर हाउस से भैंसों का मांस मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बेचने के लिए लाया जाता है. इसका विरोध कुछ अतिवादी संगठनों द्वारा समय-समय पर यह कहकर किया जाता है कि ये गाय का मांस बेचने के लिए ले जा रहे हैं. इस संबंध में दबाव की राजनीति बनाकर फर्जी अभियोग कर दिया जाता है. फर्जी अभियोग से बचने के लिए कई मुस्लिम व्यापारी जो मांस का कारोबार करते हैं वो इनके द्वारा अवैध धन की मांग पूरा करते हैं.’’

पुलिस ने जब जांच की तो संजय जाट की भी भूमिका सामने आई. लोहामंडी थाने के एसएचओ आशीष शर्मा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं कि विवेचना के बाद इसमें संजय जाट का नाम भी जोड़ दिया गया. वे इस उगाही में शामिल थे.

अवैध वसूली का जाट पर यह कोई पहला मामला नहीं था. इससे पहले साल 2019 में भी एक मामला दर्ज हुआ था. थाना ताजगंज में पारुल नाम की महिला ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

इस तरह न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि आगरा में हिंदू महासभा और नदीम मिलकर मुस्लिम मांस विक्रेताओं को अपना निशाना बनाते थे. ये लोग गौरक्षा की आड़ में अपना नाम चमकाने और रुपए उगाहने में जुटे थे. 30 मार्च को भी उनकी यही योजना थी. जिसमें वो निर्दोष मुसलमानों को फंसाने वाले थे. साथ ही एक ऐसा माहौल तैयार कर रहे थे, जिससे सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती थी. हालांकि, आगरा पुलिस की सूझ-बूझ और निष्पक्ष जांच ने न सिर्फ साजिश को नाकाम किया बल्कि इन अपराधियों को भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. 

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