Media
ज़ी न्यूज़ से निकाले जाने के बाद पत्रकार बेच रहा पोहा-जलेबी
ज़ी न्यूज़ से नौकरी से निकाले जाने के बाद पत्रकार ददन विश्वकर्मा ने नोएडा फिल्म सिटी में पोहे का ठेला लगा लिया है. तीन महीने पहले तक इसी फिल्म सिटी में ददन विश्वकर्मा ज़ी न्यूज़ में बतौर असिस्टेंट न्यूज़ एडिटर कार्यरत थे. फिलहाल उन्होंने फिल्म सिटी में आज तक के ऑफिस के ठीक सामने ठेले पर पोहा-जलेबी बेचने का नया व्यवसाय शुरू किया है.
ददन विश्वकर्मा ने बताया, "दिसंबर 2022 में छटनी और ऑफिस पॉलिटिक्स की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया. तीन महीने तक नौकरी ढूंढने के बावजूद जब नौकरी नहीं मिली तो आर्थिक मजबूरियों के कारण मैंने यह ठेला लगाया है."
ददन विश्वकर्मा ने हमें बताया कि उन्हें 13 सालों का पत्रकारिता का अनुभव है. भारतीय जनसंचार संस्थान से वर्ष 2010-11 में हिंदी पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद वह दैनिक भास्कर के साथ जुड़े. 2011 से लेकर 2014 तक दैनिक भास्कर में काम करने के बाद उन्होंने नवभारत टाइम्स के साथ काम किया. यहां 2014 से 2016 तक काम करने के बाद वे आज तक चले गए. यहां उन्होंने चार सालों तक काम किया. इसके बाद 2020 में उन्होंने ज़ी न्यूज़ ज्वाइन कर लिया. हालांकि दिसंबर 2022 में ऑफिस पॉलिटिक्स और छंटनी का शिकार होने के कारण उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ी.
ददन बताते हैं कि उन्होंने पत्रकारिता के जरिए समाज को कुछ देने के मकसद से बीएससी छोड़कर पत्रकारिता की पढ़ाई की थी. लेकिन आज आर्थिक मजबूरियों के चलते उन्हें ठेला लगाना पड़ रहा है. वह कहते हैं यह मत सोचिए कि पत्रकार ठेला लगा रहा है. ये ठेला कोई पत्रकार नहीं लगा रहा है बल्कि मजबूरियों और परिस्थितियों में जकड़ा हुआ इंसान ठेला लगा रहा है.
पत्रकारिता छोड़ने के सवाल पर ददन कहते हैं कि एक पत्रकार हमेशा पत्रकार होता है, चाहे वह किसी संस्थान से जुड़ा हो या न जुड़ा हो. उन्होंने बताया कि ठेला इसलिए शुरू किया है ताकि परिवार गुजारा का हो सके. वे सोशल मीडिया के जरिए पत्रकारिता जारी रखने की बात कहते हैं. वह कहते हैं कि जब उन्हें जरूरत महसूस होगी कि तो मुद्दों पर बोलेंगे भी और लिखेंगे भी.
ददन विश्वकर्मा ने अपने ठेले का नाम ‘पत्रकार पोहा वाला’ रखा है. उनके पास कुल दो तरह के पोहा हैं, एक रिपोर्टर स्पेशल और एक एडिटर स्पेशल.
फिलहाल, ददन पूरी तरह से अपनी आजीविका चलाने के लिए इस पोहा जलेबी के ठेले पर ही निर्भर हैं. उनकी पूरी कहानी जानने के लिए देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट-
Also Read
-
A day in the life of an ex-IIT professor crusading for Gaza, against hate in Delhi
-
‘Total foreign policy failure’: SP’s Chandauli MP on Op Sindoor, monsoon session
-
Crossing rivers, climbing mountains: The story behind the Dharali stories
-
On the ground in Bihar: How a booth-by-booth check revealed what the Election Commission missed
-
Kalli Purie just gave the most honest definition of Godi Media yet