Media
लुटियन की दिल्ली में बैंड-बाजा-बारात
पत्रकारिता में यह बहस बहुत पुरानी है कि पत्रकार और नेता का रिश्ता कैसा होना चाहिए. कुछ इस बात के प्रबल समर्थक हैं कि पत्रकार का राजनीतिक पक्ष स्पष्ट होना चाहिए, कुछ इसके प्रबल विरोधी हैं. लेकिन संतुलित सोच कहती है कि पत्रकार और नेता का रिश्ता तेल और पानी के जैसा होना चाहिए. आस पास रहें, लेकिन आपस में पूरी तरह घुलें नहीं और जब जरूरत हो, अलग हो जाएं.
नेता और पत्रकार के रिश्ते की यह पुरानी बहस लुटियन दिल्ली की एक शादी ने नए सिरे से ताजा कर दी है. टाइम्स समूह की नेटवर्क एडिटर नाविका कुमार के बेटे की शादी दिल्ली के गॉसिप सर्किल में उबाल मार रही है. भारत के सत्ता प्रतिष्ठान के लगभग हर बड़े चेहरे की मौजूदगी ने यह ऐलान कर दिया है कि नाविका कुमार पत्रकारों के उस एलीट समूह में शामिल हो चुकी हैं जिनकी पहुंच प्रधानमंत्री तक है. यह दिल्ली का नया लुटियन क्लब है. नाविका कुमार खान मार्केट के सबसे ताजातरीन गैंग की मुखिया हैं.
सियासत और पत्रकारिता के इस अंतरसंबंध को समझने के लिए थोड़ा पीछे से शुरुआत करते हैं. साल 1988 में यही फाल्गुन-चैत्र का महीना था जब दिल्ली में टाइम्स ग्रुप के हिंदी अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के संपादक सुरेंद्र प्रताप सिंह की शादी में सात राज्यों के मुख्यमंत्री, दर्जनों केंद्रीय मंत्री, अभिनेता और क्रिकेटर शामिल हुए थे. यह शादी लुटियन दिल्ली के मौर्या शेरटन होटल में हुई थी.
तब इस शादी में हुए खर्च और मंत्रियों को बुलाए जाने की जमकर आलोचना हुई थी. लेखक-पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा ने इस वाकया का वर्णन अपनी किताब ‘पत्रकारिता का अंधा युग’ में किया है. वो लिखते हैं, ‘‘जिन नेताओं के खिलाफ आपसे लिखने और बोलने की अपेक्षा की जाती है, उनसे अगर इतने मधुर संबंध दिखाई देंगे तो यह चिंता की बात है.’’
सियासत और पत्रकारिता के रिश्तों के लिहाज से देखें तो यह इतिहास खुद को बार-बार दोहराता है. 35 साल बाद एक और शादी हुई है लुटियन दिल्ली में. इस बार शादी संपादक की नहीं, संपादक के बेटे की थी. इत्तेफाकन यह संपादक भी टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप से ही जुड़ी हैं, नाम है नाविका कुमार.
प्रधानमंत्री आवास से मात्र 800 मीटर की दूरी पर स्थित जिमखाना क्लब में बीते 11 मार्च को काफी गहमागहमी का माहौल था. नाविका कुमार के बेटे सिद्धांत कुमार की रिसेप्शन पार्टी थी. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण समेत बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, पत्रकार और अन्य लोग मौजूद थे.
निजी बातचीत में टाइम्स ग्रुप के कुछ पत्रकारों ने दावा किया कि इस समारोह में पत्रकारों के ऊपर नेताओं को बुलाने की जिम्मेदारी दी गई थी. टाइम्स ग्रुप के ऐसे कई रिपोर्टर्स ने हमसे यह बात स्वीकार की है.
एक पत्रकार के मुताबिक, “इस समारोह में अंग्रेजी के पत्रकारों को नहीं बुलाया गया था, सिर्फ हिंदी वाले ही गए थे.”
दिलचस्प बात यह रही कि नाविका कुमार ने इस शादी से जुड़े तमाम फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए. लेकिन जैसे उनके शो से विपक्ष के मुद्दे अमूमन गायब रहते हैं, उसी तरह से उनके बेटे की रिसेप्शन पार्टी से भी विपक्ष के नेता गायब दिखे. पार्टी में शामिल हुए एक पत्रकार बताते हैं, “इस कार्यक्रम में विपक्ष और कांग्रेस का कोई नेता नहीं था.”
नेताओं के अलावा जो लोग इस पार्टी में शामिल रहे वो नाम बहुत स्वाभाविक हैं, फिर भी जान लीजिए. नाविका के शो में शामिल होने वाले गेस्ट आनंद रंगनाथन (इनसे हमारा पुराना याराना है), राजनीतिक विश्लेषक शहजाद पूनावाला, इंडिया टीवी के प्रधान संपादक रजत शर्मा समेत कई अन्य पत्रकार शामिल हुए. लेकिन काबिले जिक्र नाम है विनीत जैन और समीर जैन का. टाइम्स ग्रुप के मालिकान इस पार्टी में करीब तीन घंटे तक मौजूद रहे जो कि सभी मेहमानों के लिए अचरज की बात रही.
एक शख्स जो इस रिसेप्शन में मौजूद थे, उन्होंने चुहल करते हुए कहा, “पार्टी में इतने वीवीआईपी मौजूद थे कि आंख बंद करके कोई पत्थर उछालो तो वो किसी वीवीआईपी के सिर पर ही गिरता.”
एक अन्य मेहमान जो शादी में शामिल हुए बताते हैं कि समारोह में खाने से लेकर गाने तक कहीं भी पंजाबी संस्कृति की झलक देखने को नहीं मिली. हालांकि नाविका कुमार पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती हैं.
अक्सर प्रधानमंत्री चुनावी कार्यक्रमों में तय समय से लेट पहुंचते हैं लेकिन रिसेप्शन में वह थोड़ा जल्दी पहुंचे. हालांकि उनके आने का समय शाम 7 बजे का था. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री तीनों रात करीब 8 बजे तक वापस चले गए थे.
जो चिंताएं एसपी सिंह की शादी के वक्त जाहिर की गई थीं, वो 35 साल बाद कोई मायने ही नहीं रखतीं. तब ये चिंता व्यक्त की गई थी कि एक पत्रकार का सत्ता पक्ष से इतना करीबी रिश्ता उसके काम पर असर डालेगा. आज की राजनीतिक और सार्वजनिक संस्कृति इतनी बदल चुकी है कि सत्ता और नेता के साथ रिश्ता स्वीकार्य तथ्य है.
जिस लुटियन दिल्ली और लुटियन मीडिया के ऊपर नाविका कुमार वक्त-बेवक्त लठैती करती थीं, समय ने उन्हें स्वयं उसी लुटियन का आसामी बना दिया है. साल 2019 में इम्पैक्ट मैगजीन को दिए इंटरव्यू में नाविका कहती हैं, “मुझे आज भी खबरों की एक तरह से भूख रहती है. इसलिए रात को नौ बजे अपने प्राइम टाइम शो में मैं पॉलिटिकल ‘ज्ञान’ इसलिए दे पाती हूं, क्योंकि मैं फील्ड रिपोर्टिंग करती हूं.”
नाविका की खबरों की भूख कुछ ऐसी है कि 24 जनवरी को अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रीसर्च की रिपोर्ट आई. इसके बाद दुनिया के अमीरों में गौतम अडानी तीसरे नंबर से फिसलकर 20 नंबर के भी नीचे चल गए लेकिन नाविका ने उस दिन कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के एक बयान पर फुल शो किया. सिंह ने उस दिन सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर बयान दिया था.
नाविका स्टूडियो में बैठकर जो ज्ञान देती हैं उसका एक उदाहरण है यह आकंड़ा. न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा जनवरी 2022 से जून 2022 तक रिसर्च में पाया कि न्यूज़आर शो में कुल 123 डिबेट हुए जिसमें से 45 यानी 36 प्रतिशत सांप्रदायिक विषयों पर थे और 37 यानी 30 प्रतिशत की थीम "विपक्ष विरोधी" थी.
अपने शो के टॉपिक और विपक्ष से सवाल को लेकर नाविका के साथ काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि कुमार इस बात से अनभिज्ञ नहीं हैं कि वे क्या कर रही हैं.
जैसा की आनंद स्वरूप, एसपी सिंह की शादी को लेकर उनके दोस्तों के हवाले से लिखते हैं कि इसे किसी व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि एक बड़े घराने के निकलने वाले राष्ट्रीय समाचार संस्थान के संपादक की शादी का आयोजन माना जाए.
नाविका कुमार के मामले में भी यही बात कही जा सकती है. नविका के बारे में विस्तृत से पढ़ने के लिए यह क्लिक करें.
Also Read
-
Adani indicted in US for $265 million bribery scheme in solar energy contracts
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
Progressive legacy vs communal tension: Why Kolhapur is at a crossroads
-
BJP’s Ashish Shelar on how ‘arrogance’ and ‘lethargy’ cost the party in the Lok Sabha
-
Voter suppression in UP? Police flash pistol, locals allege Muslims barred from voting