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‘मिट्टी में मिलाने’ के चक्कर में प्रयागराज में अधिकारियों ने पत्रकार का घर गिराया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में हुई उमेश पाल की हत्या के बाद विधानसभा में कहा, “किसी अपराधी और माफिया को नहीं छोड़ा जाएगा, उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाएगा.”

सदन में मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद एक मार्च को प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनसे जुड़े लोगों के घरों पर बुलडोजर चला दिया. प्राधिकरण ने इस मुहिम में प्रयागराज के चकिया में स्थित उस घर को भी गिरा दिया, जिसमें अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन अपने बच्चों के साथ रहती थीं.

तुरंत न्याय के चक्कर में प्रशासन ने यह घर तो गिरा दिया, लेकिन यह पड़ताल नहीं की कि जिस घर को वह गिरा रहे हैं उसके मुखिया का इस पूरे घटनाक्रम से कोई लेना-देना है भी या नहीं.

पत्रकार के घर में रह रही थीं अतीक की पत्नी

अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन चाकिया स्थित जिस घर में रह रही थीं, वह बांदा के रहने वाले एएनआई के पत्रकार जफर अहमद का है. अहमद बताते हैं कि शाइस्ता इस घर में अप्रैल 2021 से रह रही थीं. बता दें कि मीडिया पर चल रही खबरों में ज़फ़र को अतीक अहमद का खास बताया गया है.

जफर कहते हैं, “मैंने यह घर जनवरी 2021 में अपने बहनोई शौलत हनीफ के जरिए खरीदा था. मार्च 2021 में बहनोई ने ही कहा कि 20 हजार रुपए महीना में एक किराएदार मिल रहा है, तो हमने कहा कि जैसा आप सही समझें वैसा कर लीजिए.”

यहां यह जानना जरूरी है कि जफर अहमद के बहनोई शौलत हनीफ, अतीक अहमद के वकील भी हैं.

जफर बताते हैं कि इस घर के बारे में उनके बहनोई ने ही बताया था, जिसके बाद अपनी पत्नी के गहने बेचकर और रिश्तेदारों से उधार लेकर उन्होंने कुल 27 लाख रुपए में यह घर खरीदा था. घर की कीमत 40 लाख रुपए थी इसलिए बाकी पैसा उनके बहनोई ने ही दिया. उन्होंने यह घर मिराज सिद्दीकी से खरीदा था.

अहमद बताते हैं, “शौलत हनीफ ही घर की देखरेख करते थे. जिस दिन हमने यह घर खरीदा था बस उस दिन ही वहां गए थे, उसके बाद से कभी गए भी नहीं.” 

घर तोड़े जाने को लेकर वे कहते हैं, “हम सरकार-प्रशासन सबसे यह मांग कर रहे हैं कि हमारी 14-15 साल की पत्रकारिता की जांच करवा लीजिए कि हमारे खिलाफ कोई मामला हुआ हो. हमें न तो नोटिस दिया गया और न ही कुछ पूछा गया, अचानक से घर तोड़ दिया गया.”

इस पूरे घटनाक्रम पर वह कहते हैं, “मेरा 14 साल का पत्रकारिता करियर बर्बाद हो गया. जो भी सम्मान मुझे मिला वह पल भर में बर्बाद हो गया.” 

जफर बताते हैं कि कर्जदारों को पैसे चुकाने थे इसलिए मैंने अपने बहनोई से छह महीने पहले यह घर बेचने की बात कही थी. तब उन्होंने कहा था कि देखते हैं.

मीडिया रिपोर्टिंग और प्रशासन का पक्ष

इस मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं. जब घर गिराया जा रहा था तो अधिकतर टीवी चैनलों और अखबारों ने यह खबर चलाई की यह घर अतीक अहमद के गुर्गे का है.

बता दें कि विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में अतीक अहमद का नाम भी जुड़ा है. हत्या के बाद पूर्व सांसद अतीक अहमद के भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता और उनके बेटे अदहम और अबान व अन्य के खिलाफ आईपीसी और विस्फोटक अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. 

इसके बाद से अतीक एवं उसके गुर्गों की अवैध संपत्ति का विवरण तैयार कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई. मीडिया रिपोर्ट्स पर जफर ने कहा, “मुझे अतीक अहमद का गुर्गा बताया जा रहा है, कहीं कुछ बताया जा रहा है. यदि मुझे मालूम होता कि अपना मकान भी किसी को किराए पर देना अपराध हो सकता है, तो मैं कभी भी अपना मकान किराए पर नहीं देता.”

घर तोड़े जाने के खिलाफ जफर के बहनोई और उनके वकील शौलत हनीफ हाईकोर्ट का रुख करेंगे. जफर कहते हैं कि वे शुक्रवार को पहले कमिश्नरेट जाएंगे और वहां अपना पक्ष रखेंगे. 

शौलत हनीफ कहते हैं कि, “प्रशासन ने अवैध घर बता कर बिना नोटिस दिए घर को ध्वस्त कर दिया. यह घर अतीक अहमद का नहीं बल्कि जफर अहमद का है. इस घर में अतीक की पत्नी किराए पर रह रही थीं. प्राधिकरण ने गलत तरीके से यह घर गिराया है और इसके खिलाफ हम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, सब जगह जाएंगे.”

घर तोड़े जाने की घटना पर प्रशासन ने भी एक बयान जारी किया है. बयान में कहा गया कि घर तोड़े जाने के बाद यह तथ्य प्रकाश में आया है कि तोड़ा गया घर जफर अहमद का है. इसको लेकर जांच की जा रही है.हमने प्रयागराज के कलेक्टर संजय कुमार खत्री से इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इस विषय पर कुछ भी पता होने से इंकार करते हुए फोन काट दिया.

वहीं प्रयागराज विकास प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन अरविंद चौहान से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी. लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में चौहान के हवाले से बताया गया कि मकान प्राधिकरण से नक्शा पास कराए बिना बनाया गया था और कई बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद भी प्राधिकरण को कोई जवाब नहीं मिला, मकान मालिक को आखिरी नोटिस मई 2022 में भेजा गया था.

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