Report
जिला न्यायालय ने कहा हाथरस केस में साबित नहीं हुआ रेप
2020 के बहुचर्चित हाथरस केस में 3 मार्च को अनुसूचित जाति जनजाति कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया, जिसके अंतर्गत चार आरोपियों में से तीन को बरी कर दिया गया. इस घटना ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रशासन पर काफी सवालिया निशान उठाए थे. हालांकि हाथरस के जिला न्यायालय ने अपने फैसले में सभी आरोपियों द्वारा गैंगरेप किए जाने के आरोप को सही नहीं पाया है.
पीड़िता के परिवार द्वारा एफआईआर फाइल करने में देरी से लेकर फॉरेंसिक सैंपल देने में 11 दिन की देरी का जिक्र होता रहा है, फिर आखिर क्या वजह रही कि सीबीआई अपना पक्ष कोर्ट में साबित नहीं कर सकी. मीडिया से बातचीत में पीड़िता पक्ष के वकीलों में से एक महिपाल सिंह के अनुसार, "इसका कारण सरकमस्टेंशियल एविडेंस पर ज्यादा निर्भरता हो सकता है."
वहीं पीड़िता पक्ष की मुख्य अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा, "ये दुख की बात है कि इस देश में रेप की पुष्टि के लिए सीमन को आधार माना गया है."
Also Read
-
On World Mental Health Day, a reminder: Endless resilience comes at a cost
-
Will Delhi’s air pollution be the same this winter?
-
Gurugram’s waste crisis worsens as garbage collection stalls
-
Two years on, ‘peace’ in Gaza is at the price of dignity and freedom
-
4 ml of poison, four times a day: Inside the Coldrif tragedy that claimed 17 children