NL Tippani
कैसे हवा में उड़ गए गौतम अडानी के लाखों करोड़, कौन है हिंडनबर्ग रिसर्च?
पिछले हफ्ते देश के सबसे बड़े रईस गौतम अडानी एक झटके में दुनिया के तीसरे रईस से 11वें पायदान पर खिसक गए. दुनिया के धनकुबेरों की सूची बनाने वाली फोर्ब्स के ताजा आंकड़े के मुताबिक 27 जनवरी 2023 तक गौतम अडानी की संपत्तियों में 19 फीसद की गिरावट दर्ज हुई. यह गिरावट अभी भी जारी है. उनकी संपत्ति में से 22.7 बिलियन डॉलर हवा में उड़ गए.
यही हाल अडानी समूह की कंपनियों का रहा. 24 से 27 जनवरी के बीच स्टॉक मार्केट में कंपनी के लगभग 4.17 लाख करोड़ रुपए डूब गए. ये आंकड़े लगातार बदल रहे हैं. कंपनी की नेटवर्थ में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसी तरह भारतीय जीवन बीमा निगम के शेयरों की कीमत 3.45% गिर गई. बैंक ऑफ बड़ौदा की कीमत 7.36%, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 5%, बैंक ऑफ इंडिया की 5.63% और पंजाब नेशनल बैंक 5.31% गिर गई है.
लगे हाथ दो छोटी-छोटी बातें. इस वीडियो को लाइक और शेयर जरूर कर लें. हमने इस वीडियो को तैयार करने में बड़ी मेहनत की है क्योंकि इसका लेनादेना आपकी ज़िंदगियों से है, आपकी खून पसीने की कमाई से है. और भारतीय मीडिया के बड़े हिस्से ने इस खबर को या तो दबाया है या तोड़मरोड़ कर पेश किया है. न्यूज़लॉन्ड्री इसे जस का तस आपके सामने रख रहा है क्योंकि हमें न तो किसी कोरपोरेट का विज्ञापन चाहिए न किसी सरकार का. हमारा नारा है मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करके हमें मजबूत करें.
पिछले हफ्ते भारत के शेयर बाजारों में एक तूफान आया था. इस तूफान में आम भारतीय निवेशकों की गाढ़ी कमाई का पैसा तिनके की तरह उड़ गया. इसकी शुरुआत हुई 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट से जिसका शीर्षक है- अडानी ग्रुप : हाउ द वर्ल्ड थर्ड रिचेस्ट मैन इज़ पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कारपोरेट हिस्ट्री
32 हजार शब्दों की यह लंबी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट हिंडनबर्ग रिसर्च नाम की अमेरिकी संस्था ने जारी की है. यह हमारे देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह अडानी ग्रुप के ऊपर है. इस रिपोर्ट में आरोप है कि आडानी समूह कई तरह की संदिग्ध, अवैध और गैरकानूनी गतिविधियों के जरिए अपना व्यापारिक साम्राज्य फैलाता रहा है.
भारत के लिहाज से यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें लाखों आम निवशकों का करोड़ों रुपया डूब गया, आगे भी डूबने की आशंका है, लेकिन मीडिया, खासकर खबरिया चैनलों ने इस खबर पर चुप्पी साध ली. हिंदी के पाठक, दर्शक वर्ग को पता ही नहीं चला कि इतना बड़ा तूफान कहां से आया और किस ओर जा रहा है. इसलिए इस हफ्ते टिप्पणी में सिर्फ हिंडनबर्ग रिपोर्ट की बात होगी.
Also Read
-
‘Foreign hand, Gen Z data addiction’: 5 ways Indian media missed the Nepal story
-
Mud bridges, night vigils: How Punjab is surviving its flood crisis
-
Adieu, Sankarshan Thakur: A rare shoe-leather journalist, newsroom’s voice of sanity
-
Corruption, social media ban, and 19 deaths: How student movement turned into Nepal’s turning point
-
Hafta letters: Bigg Boss, ‘vote chori’, caste issues, E20 fuel