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'तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई एक हिंदू लड़की से चैट करने की'
18 जनवरी, 2023 को मध्य प्रदेश के खंडवा में एक समूह द्वारा एक कॉलेज छात्र की निर्मम पिटाई का वीडियो वायरल होने के कुछ ही घंटों बाद, पुलिस ने इस मामले में छह लोगों की गिरफ्तारी कर मामला दर्ज कर लिया.
लेकिन पुलिस की इन कार्रवाईयों में पर्याप्त तेजी और दक्षता नहीं दिखाई पड़ती. दरअसल यह वीडियो 15 दिन पुराना है और पुलिस को पहले ही इसकी सूचना दे दी गई थी, फिर भी उन्होंने तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जब तक कि यह मामला सोशल मीडिया के जरिए वायरल नहीं हो गया. वियरल वीडियो तीन जनवरी को खंडवा के एक शॉपिंग काम्प्लेक्स की पार्किंग में शूट किया गया था. छात्र की पहचान शाहबाज खान के रूप में हुई है. उनके हमलावरों की पहचान हिंदू जागरण मंच और हिंदू स्टूडेंट आर्मी जैसे अनाम दक्षिणपंथी समूहों के तौर पर की गई है.
ये लोग शाहबाज पर "लव जिहाद" का आरोप लगाकर, उसे घसीटते हुए एक पुलिस स्टेशन ले गए जहां खंडवा पुलिस ने उसके खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया.
हमने पाया कि मध्य प्रदेश में ऐसे मामलों की भरमार है. राज्य में स्वघोषित उग्र हिंदुवादी संगठन "लव जिहाद" से निपटने के दावे कर रहे हैं.
हमारी जानकारी में आए मामले हिंदू स्टूडेंट आर्मी नामक संगठन से जुड़े हैं. इस संगठन की स्थापना 2018 में माधव झा ने मंदसौर में हुए एक बलात्कार की घटना के बाद की थी. इसकी स्थापना इंदौर में हुई, अब यह खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर तक फैल गया है.
हमने पाया कि कम से कम दो मामलों में, माधव झा का नाम मुसलमान युवकों पर हमले के लिए सामने आया है. लेकिन उसे न तो कभी गिरफ्तार किया गया न ही उसके खिलफ एफआईआर दर्ज हुई.
'उन्होंने मुझे यह कहने के लिए कहा कि मैं एक लड़की के साथ पकड़ा गया हूं'
अपने साथ हुई मारपीट के बाद शाहबाज़ बुरी तरह से डर गया है. तीन जनवरी की दोपहर वह अपनी बहन को एसएन कॉलेज छोड़ने गया था. इसके बाद वो अपनी बहन को लेने के लिए वापस कॉलेज लौटा. कॉलेज के गेट के पास, वह सिम कार्ड खरीदने के लिए रुका. दोपहर के करीब 2 बजे दो से तीन लड़कों ने उससे बात करने की कोशिश की.
शाहबाज ने हमें फ़ोन पर बताया, “उन्होंने मेरा नाम पूछा. जैसे ही मैंने उन्हें बताया, उन्होंने मुझे धार्मिक गालियां देना शुरू कर दिया.” शाहबाज़ के मुताबिक इसके बाद समूह ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया.
शहबाज बताते हैं, "लोग चुपचाप देख रहे थे. मैंने मदद मांगी लेकिन किसी ने बीच-बचाव नहीं किया. वो लोग मुझे कॉलेज के पास विशाल मेगामार्ट की पार्किंग में ले गए और मुझे बहुत मारा. उन्होंने मेरा फोन छीन लिया और उसके अंदर की तस्वीरें चेक की. फिर उन्होंने मेरी बहन और परिवार को गालियां दीं. मेरी कॉन्टैक्ट लिस्ट की जांच की और पूछा कि मेरे पास हिंदू लड़कियों के नंबर क्यों हैं.”
शाहबाज ने आरोप लगाया कि उन लोगों ने इसके बाद स्कूल के दिनों की दोस्त एक हिंदू लड़की के साथ चैट की जांच की और फिर से उसकी पिटाई की. उन्होंने कहा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई एक हिंदू लड़की से चैट करने की.”
शहबाज के मुताबिक यह सिलसिला दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक चलता रहा. उसने हमें बताया, “उन्होंने मुझे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा. साथ ही उन्होंने मुझे यह भी कहने का दबाव डाला कि मैं एक लड़की के साथ पकड़ा गया हूं, जो कि नग्न थी और मैं उसके बगल में लेटा हुआ था.” वो आगे कहता है, "शाम 5 बजे, वे मुझे कॉलेज के पास एक मंदिर में ले गए. मेरी हिंदू दोस्त के भाई को बुलाया, उसके साथ भी दुर्व्यवहार किया, और उसे अपनी बहन की ओर से मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए कहा."
शाहबाज ने बताया कि इसके बाद वो उन्हें "घसीटकर" कोतवाली पुलिस थाने ले गए.
“मुझे हवालात में डाल दिया गया. मेरे हमलावरों के कुछ और साथी भी तब तक आ गये. वो पुलिस पर मेरे खिलाफ 'लव जिहाद' का मामला दर्ज करने के लिए दबाव बनाने लगे." इसी वक्त उनकी दोस्त हिंदू महिला का परिवार भी थाने पहुंच गया.
शाहबाज के मुताबिक इसके बाद पुलिस उन्हें एक अस्पताल ले गई. उनके सीने में भयानक दर्द था. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली और उस पर जबरन दस्तख़त करवा लिया. एफआईआर में कहा गया है कि शाहबाज़ "एक लड़की से बात कर रहा था".
शाहबाज के मुताबिक यह झूठ है. वह किसी लड़की से बात नहीं कर रहे थे.
हमने खंडवा के पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा, "पुलिस के लिए यौन उत्पीड़न की शिकायतों को स्वीकार करना अनिवार्य है, इसलिए हम ये शिकायतें दर्ज करते हैं."
घटना के लगभग 15 दिन बाद 18 जनवरी को जब घटना का वीडियो वायरल हुआ तब पुलिस ने छह लोगों को मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया. इनके नाम हैं अनिकेत रायपुरे, रवि कुमायू, प्रथमेश पाटिल, सुनील महाजन, अभिषेक वर्मा और विशाल जावे को गिरफ्तार कर लिया. सभी खुद को हिंदू स्टूडेंट आर्मी के सदस्य बताते हैं.
शाहबाज का आरोप है कि उस पर हमले का "नेतृत्व" करने वाला व्यक्ति हिंदू जागरण मंच का कोऑर्डिनेटर माधव झा था. झा का नाम एफआईआर में नहीं है और उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया गया.
'उन्होंने कहा कि केवल राम ही हमें बचा सकते हैं'
शाहबाज पर हमले के सात दिन बाद इसी तरह के एक समूह ने कथित तौर पर खांडवा में दो अन्य मुस्लिम युवकों पर हमला किया था. यह हमला 10 जनवरी को 21 वर्षीय सरफराज़ खान और 19 वर्षीय सलमान मंसूरी पर किया गया. उस वक़्त ये दोनों के एक रेस्तरां में अपनी एक दोस्त के साथ बैठे थे.
सरफराज पेशे से एक ड्राइवर है और सरोला गांव के रहने वाला सलमान एक इलेक्ट्रीशियन है. सरफराज ने हमें बताया कि वे दोनों सलमान की एक महिला मित्र के साथ बसरा कोल्ड ड्रिंक्स में बैठे थे. दो आदमी उनके पास आए और महिला का नाम पूछा. सरफराज ने कहा, वह एक हिंदू थी, इसके कारण वो दोनों बेहद उग्र हो गए.
सरफराज बताते हैं, "मैंने उनसे पूछा कि क्या समस्या है तो उन्होंने हमें गालियां देना शुरू कर दिया." आरोप है कि उन दोंनों इसके बाद सलमान और सरफराज को रेस्तरां से बाहर निकाल कर पीटना शुरू कर दिया.
सरफराज बताते हैं, "इसी दौरान कुछ और लड़के आ गए थे. वो हमें लेकर एसएन कॉलेज के पास गए. इसे हिंदू झटका सेंटर कहा जाता है. उन्होंने हमारी पिटाई की. तब तक वहां करीब 20-25 लोग आ चुके थे और उन्होंने हमें बेल्ट और डंडों से करीब दो घंटों तक मारा. आप सोच भी नहीं सकते कि उन्होंने हमें कितनी बेरहमी से मारा."
सरफराज के मुताबिक उनकी महिला दोस्त ने हमलावरों को समझाने की कोशिश की लेकिन उल्टे भीड़ ने उस पर शिकायत दर्ज कराने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया और उसके माता-पिता को बुला लिया.
सरफराज बताते हैं, "इसके बाद वे हमें कोतवाली थाने ले गए और हमें गिरफ्तार करवा दिया. उन लोगों ने शिकायत दर्ज करवाने के लिए लड़की के नाम का इस्तेमाल किया कि हमने उस लड़की के साथ मारपीट की और हम उसे सलमान से शादी करने के लिए मजबूर कर रहे थे. पुलिस ने उन्हीं की बात सुनी. आखिर उन्होंने रात में जाकर हमारी शिकायत दर्ज की लेकिन हमें रात भर हवालात में रखा.”
सलमान ने हमें बताया, "बसरा कोल्ड ड्रिंक्स के रास्ते में, मैं गांव की अपनी एक दोस्त से मिला. मैंने ही उसे हमारे साथ नाश्ता करने के लिए बुला लिया. मुझे इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह मुझे इतना महंगा पड़ेगा. हम पर 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए दबाव डाला गया. उन्होंने कहा कि केवल राम ही हमें बचा सकते हैं.”
सलमान और सरफराज को पुलिस ने अगले दिन रिहा कर दिया. लेकिन स्थानीय मीडिया- जिसमें शिक्षा न्याक, दैनिक भास्कर और नवभारत टाइम्स जैसे प्रकाशन शामिल हैं- पहले ही रिपोर्टिंग कर दी थी कि एक नाबालिग हिंदू लड़की को उसकी "कॉम्प्रोमाइजिंग" फोटोज़ से "ब्लैकमेल" करने के आरोप में दो मुस्लिम पुरुषों को गिरफ्तार किया गया है.
दोनों मुस्लिम युवकों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत मामला दर्ज किया गया था. सलमान और सरफराज द्वारा एक क्रॉस-एफआईआर में, हमलावरों की पहचान अनीश अरझरे, मोनू गोर और हिंदू जागरण मंच के साथ ही हिंदू स्टूडेंट आर्मी के अज्ञात लोगों के तौर पर की गई थी. अरझरे हिंदू जागरण मंच का जिला समन्वयक भी हैं.
हालांकि अरझरे इस मामले को लेकर विजयी भाव में नजर आते हैं. उन्होंने सलमान और सरफराज को विधर्मी बताया, और दावा किया कि उनकी महिला मित्र "मदद के लिए चिल्लाई" थी तभी उनके संगठन ने मामले में हस्तक्षेप किया था.
अरझरे कहते हैं, “जब हम वहां पहुंचे, तो वे भागने लगे. लेकिन वे गिर गए और पब्लिक ने उन्हें पकड़ लिया, पब्लिक ने ही उन पर हमला भी किया. खांडवा में हमारा अच्छा नेटवर्क है. जब भी कोई मुस्लिम लड़का किसी हिंदू लड़की को फंसाने की कोशिश करता है तो हमें ख़बर मिल जाती है. लोग जानते हैं कि हिंदू जागरण मंच हिंदू लड़कियों की सुरक्षा के लिए यहां मौजूद है.”
अरझरे ने शेखी बघारते हुए बताया कि उनका संगठन इस तरह के "37 मामलों" में "न्याय" दिला चुका है.
वो कहते हैं, “हम लड़कियों और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं. हम उन्हें एफआईआर दर्ज करने के लिए राजी करते हैं और उन्हें वकील मुहैया कराते हैं. कुछ मामलों में, हमने होटल के कमरों में घुसकर भी मुस्लिम लड़कों को पुलिस को सौंपा है."
इन दोनों मामलों के बारे में पूछे जाने पर कोतवाली थाने के सिटी इंस्पेक्टर बलराम सिंह ने कहा, “हम नहीं चाहते कि कोई कानून अपने हाथ में ले. आम तौर पर लड़कियां खुद शिकायत दर्ज कराती हैं. लेकिन हम निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकते कि शिकायतकर्ता उन लड़कों से प्रभावित नहीं है जो कि शिकायत दर्ज करने में उनकी सहायता करते हैं.”
62 दिनों की जेल
2021 में, एक मुस्लिम युवक ने 62 दिन जेल में बिताए. एक हिंदुत्ववादी भीड़ ने उसे पकड़ा, उस पर हमला किया, और उस साल जुलाई में एक हिंदू महिला को उसके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए "मजबूर" किया गया. 23 साल के लाला सलमान खान ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि खांडवा में उस महिला से उनकी दोस्ती थी. महिला के अपने बयान से मुकरने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया.
खान और महिला ढाई साल से ज्यादा वक़्त से दोस्त थे.
उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “वह एसएन कॉलेज में पढ़ती थी. एक दिन, उसने मुझे कॉलेज में मिलने के लिए बुलाया, मैं पहले भी उससे वहां मिल चुका था. जब मैं वहां पहुंचा तो करीब 11 बजे थे. हम कॉलेज के गेट के पास बैठकर बातें कर रहे थे कि प्रिंसिपल और कॉलेज स्टाफ के दो सदस्यों ने मुझसे आईडी कार्ड मांगा. मैंने उनसे कहा कि मैं छात्र नहीं हूं और यहां सिर्फ अपनी दोस्त से मिलने आया हूं. मेरी दोस्त ने भी उन्हें यही बताया."
लेकिन प्रिंसिपल, मुकेश जैन, "गुस्सा हो गए".
खान बताते हैं, "उन्होंने मेरी दोस्त से पूछा कि उसे मुस्लिम लड़के से क्या काम है. इसके बाद प्रिंसिपल ने लड़की को धमकी दी कि वह एक मुसलमान के साथ घूम रही है इसलिए उसके माता-पिता को बुलाएंगे. हम समझाने की कोशिश करते रहे लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे. स्टाफ के सदस्यों में से एक मुझे खींचकर प्रिंसिपल के दफ्तर में ले गया. प्रिंसिपल ने मुझे दो थप्पड़ मारे और मेरा फोन छीन लिया.”
खान ने आरोप लगाया कि माधव झा प्रिंसिपल के कार्यालय के अंदर ही बैठा हुआ था. "प्रिंसिपल ने मुझे 'जिहादी' कहा, जबकि झा ने मुझे 'आतंकवादी' कहा. उन्होंने कहा कि मुसलमान अशांति पैदा करने के लिए ही पैदा हुए हैं,” खान ने बताया.
इस बीच, महिला दोस्त के माता-पिता को फोन किया गया. कार्यालय से कॉलेज गेट तक सैंकड़ों लोग जमा हो गए. थोड़ी देर में उन लोगों ने पुलिस को बुला लिया.
खान कहते हैं, “पुलिस ने मुझे कार्यालय से बाहर मार्च कराना शुरू कर दिया. तभी भीड़ ने मुझ पर हमला कर दिया. चोट के कारण मेरे सिर में तीन टांके आये."
खान के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई. खान का आरोप है कि केस दर्ज कराने के लिए महिला पर दबाव डाला गया था.
खान ने कहते हैं, "पुलिस ने एफआईआर में लिखा है कि मैं अपनी दोस्त पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहा था और शादी नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दे रहा था. मैं 62 दिनों तक जेल में रहा. बाद में मेरी दोस्त ने बयान दिया कि उसे शिकायत दर्ज कराने के लिए मजबूर किया गया था.''
खान ने आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिस से शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया.
'लव जिहाद' के विरुद्ध एक धर्मयुद्ध
माधव झा का नाम खान और शाहबाज़ ने उन पर हुए हमलों में "शामिल" होने के लिए लिया था, लेकिन किसी भी एफआईआर में माधव झा का नाम नहीं है.
झा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं कि उनका नाम इसलिए आया क्योंकि "ये सारे मामले लव जिहाद से जुड़े हुए हैं."
वो कहते हैं, "ये लोग शहर के कॉलेजों, इंटरनेट कैफे और कोचिंग सेंटरों पर नजर रखते हैं और हिंदू लड़कियों को फंसाते हैं. ऐसे मामलों को रोकने के लिए, थोड़ी हाथापाई हो जाती है. ताजा मामले में लड़का शाहहबाज़ लड़की को परेशान कर रहा था. हमारे लड़कों ने यह देखा. शाहबाज ने हिंदू स्टूडेंट आर्मी के हमारे छात्रों को धमकाया जिसके बाद थोड़ी-बहुत हिंसा हुई.”
यह "थोड़ी सी पिटाई" घंटों तक चलने वाली मारपीट थी. लेकिन झा ने इस सब से इनकार कर दिया. झा सफाई में कहते हैं, 'सरफराज और सलमान के मामले में उन्हें पीटा तक नहीं गया. उन्हें सिर्फ थप्पड़ मारे गये. ऐसे में पांच या छह थप्पड़ सामान्य बात है. उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया. वे लड़कियों को ब्लैकमेल कर रहे थे.”
झा ने बगैर कोई सबूत दिए कहा, "खांडवा में पिछले एक साल में लव जिहाद के 150 मामले हुए थे और उन्होंने पिछले दो महीनों में व्यक्तिगत रूप से ऐसे 30 या 40 मामलों को "हल" किया है.”
झा कहते हैं, “आम तौर पर, ऐसे मामलों में, हम हिंदू-मुस्लिम नजरिये से शुरू नहीं करते हैं. हम उन्हें उत्पीड़न और छेड़छाड़ के मामले के तौर पर पेश करते हैं.”
क्यों? "क्योंकि हम शहर के सद्भाव को बिगाड़ना नहीं चाहते हैं."
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