Media
प्रसार भारती में नौकरी के नाम पर ठगी
भारत के सरकारी प्रसारणकर्ता प्रसार भारती में नौकरी के नाम पर 308 उम्मीदवारों के साथ ठगी की गई. इन उम्मीदवारों से रजिस्ट्रेशन फॉर्म के नाम पर 2,500 से 3,000 रुपए लिए गए. ठगी का तरीका एक पिरामिड स्कीम या मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) की तरह था. इसमें उम्मीदवारों से कहा गया कि वह अपने साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाएं.
उम्मीदवारों ने ठगी की शिकायत दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में मई 2022 में की थी, लेकिन एफआईआर सात महीनों बाद जनवरी 2023 में आईपीसी की धारा 419, 420, 468, 471 और 120 बी के तहत दर्ज हुई. फिलहाल पुलिस ने शिकायतकर्ताओं को पूछताछ के लिए बुलाया है. वहीं न्यूज़लॉन्ड्री ने आरोपी पंकज गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन बंद था.
सरफराज अहमद, विशाल कुमार पांडेय, दीपक कुमार, दिलशाद अहमद ने इस फिल्मी स्टाइल में हुई ठगी की शिकायत की है. यह चारों एक दूसरे को जानते हैं. ठगी करने वाले पंकज गुप्ता से इन चारों की मुलाकात अक्टूबर 2021 में हुई थी. गुप्ता ने बताया था कि उसकी सरकारी विभागों में जान पहचान है, साथ ही कहा था कि उसके पिता प्रसार भारती में स्टेशनरी सप्लाई करते हैं, तो वहां उसकी अच्छी पकड़ है. अक्टूबर में ही पहली बार गुप्ता ने इन चारों को नौकरी के बारे में बताया था.
गुप्ता ने इन युवाओं को असिस्टेंट की नौकरी का ऑफर दिया था और बताया कि डीजी और डीडीजी स्तर के अधिकारियों को असिस्टेंट की जरूरत होती है, उसी के लिए यह भर्ती है. सरफराज बताते हैं कि शुरुआत में हमने नौकरी की बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में उसने हमें प्रसार भारती के एक बड़े अधिकारी का मेल दिखाया जिसके बाद ही हम लोगों ने उस पर विश्वास किया.
पिरामिड स्कीम की तरह नौकरी का झांसा
पंकज गुप्ता ने नौकरी का झांसा कुछ इस तरह दिया की इन उम्मीदवारों ने उस पर भरोसा कर लिया और साथ ही 300 अन्य उम्मीदवारों से भी पैसे भी ले लिए. गुप्ता ने इन युवकों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विक्रम सहाय की मेल दिखाकर नौकरी दिलाने का दावा किया.
जब युवकों ने गुप्ता से पूछा कि इस नौकरी की जानकारी प्रसार भारती की वेबसाइट पर तो नहीं है इस पर उसने कहा कि जब बड़े स्तर पर प्रसार भारती में भर्ती होती है तो थर्ड पार्टी के जरिए बड़े स्तर पर लोगों की भर्ती की जाती है. इसकी जानकारी वेबसाइट पर नहीं दी जाती है.
इन चारों उम्मीदवारों ने अपने परिचित और दोस्तों को प्रसार भारती में नौकरी की बात बताई. जिसके बाद धीरे-धीरे 300 से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन फॉर्म भरा. यह फॉर्म ऑफलाइन भरा जाता था. सरफराज ने 167, दीपक ने 25, दिलशाद ने 14 अन्य लोगों का फॉर्म भरा था और उनसे पैसे लिए थे. इस तरह कुल 5,98,000 हजार रुपए गुप्ता ने इन युवकों से लिए.
गुप्ता ने इन युवकों से वादा किया था कि अगर उनका चयन नहीं हुआ तो उनके पैसे वापस हो जाएंगे. सरफराज कहते हैं, “गुप्ता हमसे जिन भी प्रसार भारती के अधिकारियों का नाम लेता था, उन सबका नाम वेबसाइट पर था. इसलिए हमें कभी उस पर शक नहीं हुआ.”
गुप्ता ने इन उम्मीदवारों से कहा था कि बिना इंटरव्यू अगर नौकरी चाहिए तो उसके लिए अलग से पैसे देने होंगे. इसके लिए वह 10 हजार से लेकर 30 हजार रुपए तक की मांग रखता था. इस तरह गुप्ता ने करीब 800 लोगों से फॉर्म भरवा कर बड़े स्तर पर उम्मीदवारों से कथित नौकरी के लिए आवेदन लिए.
धोखाधड़ी पर दिलशाद कहते हैं, "हमने धोखाधड़ी के बारे में बहुत कुछ सुना है, लेकिन कभी नहीं सोचा था कि यह हमारे साथ होगा. वैसे भी आजकल रोजगार नहीं है तो हमें इस पर विश्वास हो गया, लेकिन बेवकूफ बन गए.”
फ्रॉड का खुलासा
पंकज गुप्ता ने 16 मई को, सभी उम्मीदवारों को देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित आकाशवाणी और दिल्ली के मंडी हाउस स्थित प्रसार भारती के ऑफिस उनके दस्तावेजों की पुष्टि के लिए बुलाया.
जब उम्मीदवार दिल्ली के प्रसार भारती ऑफिस पहुंचे, तो गेट पर मौजूद गार्ड ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया. इस पर जब आवेदकों ने बताया कि वह नौकरी के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कराने आए हैं, तो वहां मौजूद गार्ड ने बताया कि उन्हें इसके बारे में कोई सूचना नहीं है.
इसके बाद उम्मीदवारों ने गुप्ता को फोन किया लेकिन उसका फोन बंद आने लगा. इसके बाद कुछ छात्र गुप्ता के घर पहुंचे और उसकी मां व बहन से मिले, जिन्होंने बताया कि पंकज शहर से बाहर गया है और कुछ दिनों बाद लौटेगा.
16 मई के बाद गुप्ता से इन उम्मीदवारों का संपर्क नहीं हो सका. 17 मई को सरफराज फिर से प्रसार भारती के दफ्तर गए और वहां अधिकारियों से बात की, तो पता चला कि प्रसार भारती की भर्तियां केवल वेबसाइट के जरिए ही निकलती हैं. प्रसार भारती मेल के जरिए नौकरी नहीं निकालती, और इन लोगों के साथ फ्रॉड हुआ है.
पुलिस को गुप्ता के घर से कई अन्य सरकारी विभागों की मुहरें भी मिलीं. पुलिस ने बताया कि गुप्ता की तलाश की जा रही है. लेकिन विशाल का कहना था कि उन्होंने मई में शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने शिकायत पर एफआईआर तक दर्ज नहीं की.
सात महीनों बाद एफआईआर दर्ज होने को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने जांच अधिकारी श्री भगवान से बात करने की कोशिश की, लेकिन तीन दिन तक उनसे बात नहीं हो पाई.
तीन दिन बाद उन्होंने कहा, “यह केस अभी मिला है, इसलिए इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. वैसे भी मेरी ड्यूटी 26 जनवरी की तैयारियों में लगी है इसलिए अभी ज्यादा समय केस को नहीं दे पाया हूं.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के एसीपी सचिन्द्र मोहन शर्मा से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने कहा कि वह मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. हमने ईओडब्ल्यू की प्रमुख शालिनी सिंह से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
न्यूज़लॉन्ड्री ने प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी से भी बात की. द्विवेदी कहते हैं, "उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है. आप डिटेल्स भेज दीजिए. मैं दिखवाता हूं."
हमने उन्हें डिटेल्स भेज दी हैं लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया है."
Also Read
-
Mandate 2024, Ep 2: BJP’s ‘parivaarvaad’ paradox, and the dynasties holding its fort
-
The Cooking of Books: Ram Guha’s love letter to the peculiarity of editors
-
TV Newsance 250: Fact-checking Modi’s speech, Godi media’s Modi bhakti at Surya Tilak ceremony
-
What’s Your Ism? Ep 8 feat. Sumeet Mhasker on caste, reservation, Hindutva
-
‘1 lakh suicides; both state, central govts neglect farmers’: TN farmers protest in Delhi