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एनएल चर्चा 248: कंझावला की बर्बर दुर्घटना में अंजलि की मौत और सुप्रीम कोर्ट के फैसले
एनएल चर्चा के इस अंक मे दिल्ली के कंझावला इलाके की दुर्घटना, नोटबंदी पर उच्चतम न्यायालय के फैसले, सरकार में मौजूद मंत्रियों के बोलने की आज़ादी पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, उत्तराखंड के जोशीमठ के घरों में आ रही दरारें, लगभग 50,000 लोगों को हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से बेदखल करने पर सर्वोच्च न्यायालय की रोक, जम्मू के राजौरी जिले के एक गांव में आतंकवादियों द्वारा चार लोगों की निशाना बनाकर हत्या और तत्पश्चात विस्फोट में दो बच्चों की मौत, इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड की चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के अनुसार 2023 में लगभग एक तिहाई दुनिया भयंकर मंदी को झेलेगी, एयर इंडिया फ्लाइट में एक पुरुष के हवाई जहाज़ में एक महिला पर पेशाब करने के मामले समेत अन्य विषयों पर का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता और एंटी-रेप एक्टिविस्ट योगिता भयाना और न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत दिल्ली के कंझावला इलाके की दुर्घटना से की. साथ ही दिल्ली में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा और दिल्ली के माहौल पर मेहमानों से सवाल किए. उन्होंने कहा, “दिल्ली में आमतौर पर महिलाओं के प्रति असुरक्षित, गुस्सैल, अपमानजनक जैसी स्थिति देखने को मिलती है. पुरुषों के लिए छोटी से छोटी बात ‘अहं’ का मसला बन जाती है. वे अपने पुरुष साथियों की तरह ही महिला साथियों को क्यों नहीं देख पाते? यह जो महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता का अभाव है, इसकी क्या वजह है?"
इस सवाल के जवाब में योगिता कहती हैं, “हमारा जो सामाजिक परिप्रेक्ष्य है और जिस तरह की शिक्षा-दीक्षा दी जाती है, वह एकदम ही नकार देती है एक महिला की बात को, और पुरुषों के अहं को चोट पहुंचाती है. कंझावला में आधी रात को वो लड़की बाहर थी इस बात पर चर्चा बनी हुई है, लेकिन इस बात पर चर्चा नहीं हुई कि उस लड़की के साथ कितनी निर्दयता हुई. हमारे यहां जो सोच है कि लड़की आधी रात को बाहर नहीं निकल सकती या अपनी आवाज़ नहीं उठा सकती है, ये सवाल हमारे देश की सोच को दिखाता है. जिस तरह की संवेदनशीलता समाज में होनी चाहिए, वो है नहीं समाज में.”
स्मिता इस विषय पर कहती हैं, “मैं बंगाल में पली-बढ़ी हूं, लेकिन वहां एक सुरक्षा का अहसास था. कुछ शहरों में हम देखते है कि प्रवासी अधिक आ रहे हैं, जैसे कहा जाता है कि दिल्ली का कोई अपना कल्चर नहीं है. दिल्ली का अपना एक प्रभावशाली कल्चर रहा है प्रवासियों के कारण. इसके अलावा पितृसत्ता, जो हमारे घरों में पूरी तरह से जड़ें मजबूत किए हुए है, वो कुछ राज्यों में ज्यादा नज़र आती है.”
शार्दूल कहते हैं, “महिलाओं पर हो रहे अपराध किसी के लिए भी नए नहीं हैं, एक सर्वे के मुताबिक भारत में हर तीसरी महिला जीवन में कभी न कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती है. ये उस देश के लिए जो अपने आप को संस्कृति और समाज, नारी को देवी की पूजा करने वाला बताता है, ये उसके ऊपर एक धब्बा है. और यह बात उसी की नारियां बता रही हैं.”
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के नोटबंदी पर आए फैसले और हेट स्पीच को लेकर सरकार से जुड़े लोगों की बोलने की आज़ादी पर अदालत के फैसले को लेकर चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
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