Report
एनडीएमसी दिल्ली के करीब 35 सफाई कर्मचारी नौकरी से क्यों हाथ धो बैठे?
"यहां पसलियों के पास अभी भी दर्द रहता है", ये कहते हुए करीब 50 वर्षीय राजवती अपनी कुर्ती उठाते हुए चोट दिखाने का प्रयास करती हैं जो उन्हें पुलिस द्वारा जबरदस्ती खींचने से लगी थी.
बीते दिनों राजवती एनडीएमसी के करीब उन 35 सफाई कर्मचारियों में थीं जो दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे थे. इसका कारण था उन्हें एक प्राइवेट कांट्रेक्टर द्वारा नौकरी से निकाले जाना.
इन कर्मचारियों का ये आरोप है कि तीन साल के बाद जब नया टेंडर निकला, तो नए कांट्रेक्टर की तरफ से नौकरी के ऐवज में 10 हजार रुपए की घूस की मांगी गई. जब कर्मचारियों ने इसका विरोध किया और इतनी बड़ी राशि देने में असमर्थता जताई तो उन्हें बिना किसी नोटिस के नौकरी से बेदखल कर दिया गया.
"आज कल मैं 10 रुपए की बुखार की दवा भी खरीदने से पहले कई बार सोचती हूं", राजवती कहती हैं. उनके सामने सबसे बड़ी समस्या इस समय महीने के खर्चे निकालने की है.
राजवती की ही एक सहकर्मी, शांति नायक, माता सुंदरी रोड के पास एक झुग्गी में रहती हैं. अपने कमरे को दिखाते हुए वो असहाय आवाज में पूछती हैं, "इसका चार हजार रुपए किराया कहां से दें?"
करीब 21 साल पहले, शांति, पुरी ओडिशा के एक गांव से दिल्ली आई थीं. यहां पर शुरुआत उन्होंने बेलदारी के काम से की, फिर घरों पर चौका-बर्तन का काम किया. अभी आठ महीने पहले ही उन्हें एनडीएमसी में नौकरी मिली थी. उनको उम्मीद थी की तनख्वाह के अलावा कुछ और लाभ जैसे की पीएफ और ईएसआई आदि के मिलने से उनकी कुछ मदद हो जाएगी.
इन कर्मचारियों की दुर्दशा कांट्रेक्ट वर्कर्स से जुड़े एक ऐसे पहलू को उजागर करती है जहां सरकारी तंत्र भी आउटसोर्सिंग के नाम पर अकसर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. लेकिन इन कर्मचारियों के इस तरह के शोषण के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? जानने के लिए देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट-
Also Read
-
Two-thirds of Delhi does not have reliable air quality data
-
FIR against Gandhis: Decoding the National Herald case
-
TV Newsance 323 | Distraction Files: India is choking. But TV news is distracting
-
‘Talks without him not acceptable to Ladakh’: Sonam Wangchuk’s wife on reality of normalcy in Ladakh
-
Public money skewing the news ecosystem? Delhi’s English dailies bag lion’s share of govt print ads