Report
दिल्ली: उम्मीद और बदलाव की "भारत जोड़ो यात्रा"
24 दिसंबर, सुबह के छह बजे, लोसकभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन, रणदीप सुरजेवाला समेत अन्य नेता हज़ारों कार्यकर्ताओं के साथ फरीदाबाद में सड़क किनारे खड़े हैं. कड़ाके की ठंड के बावजूद कांग्रेस नेता जोश में नजर आते हैं. ये सभी तिरंगा लहराते और नारे लगाते हुए राहुल गांधी का इंतज़ार कर रहे हैं.
इसी बीच हमने एनएसयूआई से जुड़े कुलदीप यादव से पूछा कि ठंड के बावजूद आप लोग इतनी संख्या में यहां क्यों आए हैं? वे कहते हैं, ‘‘हमें तो इसी दिन का इंतज़ार था. ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस संघर्ष करना भूल गई. आज हमारे नेता सड़कों पर हैं तो हमें ठंड की परवाह नहीं है. यात्रा शुरू होने दीजिए, आसपास इतना जोश होता है कि ठंड का पता भी नहीं चलता.’’
बातचीत के बीच ही शोर-गुल शुरू होता है. रस्सी पकड़े हुए अर्द्धसैनिक बल के जवान भीड़ को हटाते हुए आगे बढ़ते हैं. राहुल गांधी ज़िंदाबाद के नारे लगने लगते हैं और यात्रा निकल पड़ती हैं. सफेद रंग की टीशर्ट पहने राहुल गांधी कार्यकर्ताओं से बात करते, उनका अभिवादन करते हुए आगे बढ़ते हैं. यात्रा तेजी से आगे बढ़ती है और कुछ ही दूर चलने के बाद दिल्ली में प्रवेश कर जाती है.
24 दिसंबर भारत जोड़ो यात्रा का 108वां दिन था. 9 राज्यों के 26 जिलों में सफर कर यात्रा दिल्ली पहुंची थी. बदरपुर में मिले कांग्रेस कार्यकर्ता संदीप बिधूड़ी भीड़ दिखाते हुए कहते हैं, ‘‘आप लोग (मीडिया) कहते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस खत्म हो गई. इतनी सुबह आई ये भीड़ क्या कह रही है? कांग्रेस है और रहेगी. दिल्ली दो ठगों के बीच फंस गई है. लोग भी जानते हैं कि कांग्रेस ही वास्तविक विकास करती है.’’
राहुल गांधी और उनके साथ चल रहे लोगों को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि कन्याकुमारी से अब तक ये लोग 2800 किलोमीटर से ज़्यादा पैदल चल चुके हैं. नारे लगाते, डीजे पर डांस करते यात्रा आगे बढ़ती है. लगातार तीन घंटे तक चलने के बाद ईश्वर नगर में बने सैंडोज़ रेस्टोरेंट में राहुल गांधी और दूसरे लोग आराम करने के लिए रुकते हैं.
यहां सड़क किनारे एक बुजुर्ग बुचीलाला पासवान खड़े थे. वो हमसे यात्रा के बारे में पूछते हैं. पासवान रिक्शा चलाते हैं. आज वे रिक्शा चलाने नहीं गए. वे राहुल गांधी को देखने के लिए बीते दो घंटे से सड़क किनारे इंतज़ार कर रहे हैं.
आप राहुल गांधी से क्यों मिलना चाहते हैं? इस सवाल पर पासवान कहते हैं, ‘‘मैंने राहुल गांधी को 16 साल की उम्र में देखा था. वे हमारे देश के नेता हैं, हम उन्हें देखने के लिए तरस रहे हैं. मैंने उनसे कहना चाहता हूं कि आप दोबारा सरकार में आयें ताकि हमें कुछ राहत मिले. आज हमें कुछ नहीं मिल रहा है. जब इंदिरा जी थीं तभी हमें सब कुछ मिला था. उन्होंने ही हमें मकान दिया था. उसी घर में आज भी हम रहते हैं. मोदी और केजरीवाल ने मुझे कुछ नहीं दिया.’’
कुछ देर के विश्राम के बाद यात्रा आगे बढ़ती है. रास्ते में होर्डिंग्स और कटआउट की भरमार नजर आती है. जगह-जगह लोग यात्रा में शामिल लोगों पर फूल बरसाते है. भरत नगर में सड़क किनारे एक स्टेज लगा हुआ है. इस स्टेज में 20 दृष्टिहीन युवक राहुल गांधी ज़िंदाबाद, भारत जोड़ो के नारे लगाते और फूल बरसाते नजर आते हैं.
आरके आश्रम स्थित इंस्टीटूशन फॉर द ब्लाइंड स्कूल में पढ़ने वाले लोकेश कुमार यादव यात्रा से जुड़ने के सवाल पर कहते हैं, ‘‘देश में नफरत का माहौल है. महंगाई और बेरोजगारी आज चरम पर है. ऐसे में सरकार का बदलना ज़रूरी है.’’
पास में खड़े एक दूसरे युवक जितेंद्र कहते हैं, ‘‘2014 में मोदी जी जब सत्ता में आये, उन्होंने कहा था कि प्रति वर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार दूंगा. दो करोड़ की जगह हासिल क्या हुआ. कुछ भी नहीं. कोई भी प्रोग्राम लेकर आये. उसकी वाहवाही लूट ली लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता है. हम यहां राहुल गांधी के देश को एकजुट करने का जो प्रयास है उसे समर्थन देने आये हैं.’’
11 बजे के करीब आश्रम में श्री जयराम ब्रह्मचर्य आश्रम ट्रस्ट में राहुल गांधी दूसरे नेताओं के साथ आराम करने के लिए रुक जाते हैं. यहां पी चितंबरम, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, पवन खेड़ा समेत दूसरे अन्य नेता भी मौजूद हैं. थोड़ी देर बाद सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा भी यहां पहुंचते हैं. यहां कार्यकर्ताओं के लिए खाने का इंतज़ाम भी कांग्रेस नेताओं की तरफ से किया गया था. 12 बजते-बजते हज़ारों कार्यकर्ता यहां जमा हो जाते हैं.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘दिल्ली, दिलवालों का कहा जाता है. जो हमें उम्मीद थी उससे कहीं ज़्यादा लोग यात्रा में शामिल हुए हैं. लोग राहुल जी के साथ चलना चाहते हैं. राहुल जी ने भी सबको प्यार दिया. लोग उनसे मिल भी रहे हैं. दिल्ली में पूरे देश के लोग रहते हैं. इसे मिनी हिंदुस्तान कहा जाता है. जिन प्रदेशों से यात्रा अब तक नहीं गुजरी उन प्रदेशों के लोग भी यात्रा में शामिल हुए.’’
आश्रम से लाल किला
दोपहर के विश्राम के बाद 1 बजकर 20 मिनट पर यात्रा आश्रम से लाल किला के लिए निकली. रास्ते में राहुल गांधी निजामुद्दीन दरगाह गए. वहां से निकलने के बाद इंडिया गेट होते हुए यात्रा लाल किला पहुंची.
दिल्ली गेट से आगे यात्रा के पीछे-पीछे एक बुजुर्ग साइकिल लेकर चलते नजर आए. साइकिल पर भारत की तस्वीर, तिरंगा और राहुल गांधी की तस्वीर लगी नजर आई. इस बुजुर्ग का नाम बंसीलाल मीना है. 83 वर्षीय मीना, मध्य प्रदेश के नीमच जिले के रहने वाले हैं. 17 नवंबर से वे इस यात्रा से जुड़ गए. उसके बाद लगातार साइकिल चलाकर यात्रा में शामिल हो रहे हैं. उनका इरादा कश्मीर जाने का है.
83 साल की उम्र में ये जज्बा हैरान करता है. यात्रा में शामिल होने की वजह पूछने पर बंसीलाल कहते हैं, ‘‘राहुल के बाप दादाओं ने हमको बोलना सिखाया, चलना सिखाया. लोकतंत्र का हमको अधिकार मिला. भारत में जो लोकतंत्र और संविधान है वैसे कहीं भी सुनने को नहीं मिलता है. हमें बराबरी और सम्मान का अधिकार मिला. इसी भावना को लेकर मैं यात्रा में शामिल हुआ हूं.’’
जब आपने अपने परिवार को साइकिल से यात्रा में शामिल होने की बात बताई, तो उन्होंने क्या कहा? इस पर बुजुर्ग कहते हैं, ‘‘परिवार के लोग तो चिंता करते हैं. मैं कश्मीर जाऊंगा इस बात से वे ज्यादा चिंतित हैं. मैंने फ़ोन रखना भी बंद कर दिया ताकि उनसे बार-बार बात न करनी पड़े. राहुल मेरे बेटे की उम्र के हैं. उनके परिवार ने हमारे लिए इतना किया है. ऐसे में मैं कुछ योगदान देने आया हूं. मैं अपना बिस्तर साथ रखता हूं. ठण्ड से बचने का इंतज़ाम कर लेता हूं. कश्मीर में जब राहुल झंडा फहराएंगे. मैं वहां मौजूद रहना चाहता हूं.’’
यात्रा आगे बढ़ी. करीब 11 घंटे बीत चुके थे. जैसे-जैसे यात्रा अपने अंतिम पड़ाव की तरफ बढ़ रही थी कांग्रेस कार्यकताओं में उत्साह बढ़ता जा रहा था. दिल्ली गेट पर सड़क किनारे कपड़े बेच रही गुजरात के अहदाबाद की रहने वाली साधना अपने छोटे से मोबाइल से यात्रा का वीडियो बनाते नजर आईं. वीडियो बनाते हुए वो चिल्ला-चिल्लाकर राहुल गांधी को बब्बर शेर पुकार रही थीं. हमने इसकी वजह पूछी तो कहती हैं, ‘‘आज 24 तारीख है. साल 2024 में राहुल गांधी लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे. उनकी दादी इंदिरा ने हमारे लिए बहुत किया. मोदी ने तो हमें बर्बाद कर दिया. मैं गुजरात की ही रहने वाली हूं.’’
पांच बजे के करीब यात्रा लाल किले पर पहुंच गई. यहां स्टेज बना हुआ था. उसके आसपास हज़ारों की संख्या में लोग राहुल गांधी का इंतज़ार कर रहे थे. भीड़ उन्हें एक बार देखने के लिए उत्साहित थी.
कुछ ही देर इंतज़ार के बाद राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, अभिनेता कमल हसन और अधीर रंजन समेत दूसरे कांग्रेस नेता मंच पर पहुंच गए. खड़गे ने अपने भाषण में आरोप लगाया कि कोरोना के बहाने केंद्र सरकार यात्रा को रोकना चाहती है. प्रधानमंत्री पर चुटकी लेते हुए खड़गे कहते हैं, ‘‘लोकसभा में प्रधानमंत्री मास्क लगाकर आते हैं और शाम को एक शादी समारोह में बिना मास्क के. यह हैरान करता है. सरकार कुछ भी बहाने कर ले, यह यात्रा चलेगी और कश्मीर में राहुल जी तिरंगा फहराएंगे.’’
वहीं राहुल गांधी जब मंच पर बोलने आये तो उनका हमला मीडिया पर था. उन्होंने कहा कि मैं 2800 किलोमीटर चल यहां तक आया हूं. मैंने देखा कि देश में कहीं भी नफरत का माहौल नहीं है. लोग प्रेम से रह रहे हैं. तो आखिर ये टीवी चैनल वाले दिनभर हिंदू-मुस्लिम क्यों करते रहते हैं? दरअसल आपका जेब कोई काटने वाला होता है तो सबसे पहले आपका ध्यान भटकाता है. ये टीवी वाले ध्यान ही भटका रहे हैं. असली मुद्दों से आपका ध्यान भटका कर आपकी जेब काट ली जा रही है और आपको पता भी नहीं चलता है. इस यात्रा के जरिए हम आपका ध्यान असली मुद्दों की तरफ ला रहे हैं.’’
राहुल गांधी जब-जब मीडिया पर निशाना साध रहे थे तब पीछे खड़ी जनता और ज़्यादा उत्साह से नारे लगा रही थी.
यात्रा, मीडिया और मास्क
राहुल गांधी ही नहीं कांग्रेस के दूसरे नेता भी इस यात्रा के दौरान लगातार मीडिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका आरोप है की मीडिया भारत जोड़ो यात्रा में आ रही भीड़ को नहीं दिखा रही है. आश्रम में विश्राम के दौरान पवन खेड़ा ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा, ‘‘हमारी नाराजगी मीडियाकर्मियों से नहीं, मीडिया मालिकों से है.’’
शनिवार को यहां यात्रा के दौरान मीडिया का जमवाड़ा तो था. लगातार कवरेज भी हो रही थी, लेकिन कई चैनलों की नजर यात्रा में शामिल लोगों के मास्क पर थी. ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर यात्रा में शामिल लोगों के मास्क नहीं लगाने पर सवाल खड़े कर रहे थे लेकिन उन्होंने खुद भी मास्क नहीं लगाया था. ऐसे ही आज तक की एंकर चित्रा त्रिपाठी ने यात्रा में शामिल लोगों द्वारा मास्क नहीं लगाए जाने पर पूरा शो किया, लेकिन ग्राउंड पर रिपोर्टिंग के दौरान वो खुद बिना मास्क के थीं. आईटीओ पर रिपोर्टिंग के दौरान त्रिपाठी को कुछ युवाओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा. युवा वापस जाने के नारे लगाने लगे, तब वहां मौजूद पुलिसकर्मी उन्हें सुरक्षा देकर बाहर लाये.
टाइम नाउ के रिपोर्टर बकायदा मास्क लगाकर रिपोर्टिंग कर रहे थे. उनका पूरा ध्यान यात्रा के दौरान लोगों के मास्क पर था. टाइम नाउ ने अपने शो में लिखा, ‘कोरोना राहुल के लिए अब भी बहाना है.’’
कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की मानें तो कोरोना भाजपा के लिए यात्रा रोकने का बहाना भर है. उनकी नज़र में वे यात्रा की सफलता से डर गए हैं क्योंकि देश में कोरोना को लेकर कोई एडवाइजरी जारी नहीं हुई. उनका कहना है कि अगर सरकार को लगता है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, तो देश के लिए एडवाइजरी जारी करे. वो एडवाइजरी कांग्रेस की यात्रा पर भी लागू होगी. लेकिन कोरोना का डर दिखाकर वे यात्रा को नहीं रोक सकते हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विश्वास है कि यात्रा कश्मीर ज़रूर पहुंचेगी और राहुल गांधी वहां झंडा फहराएंगे.
बता दें कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा तीन जनवरी तक के लिए स्थगित रहेगी. तीन जनवरी को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से पुनः शुरू होकर हरियाणा, पंजाब के रास्ते कश्मीर जाएगी.
Also Read
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
Know Your Turncoats, Part 10: Kin of MP who died by suicide, Sanskrit activist
-
In Assam, a battered road leads to border Gorkha village with little to survive on
-
‘Well left, Rahul’: In Amethi vs Raebareli, the Congress is carefully picking its battles
-
Reporters Without Orders Ep 320: What it’s like to be ‘blacklisted’ by India