Video
दिल्ली एसिड अटैक: द्वारका के लोगों में आक्रोश भी और कुछ सवाल भी
दिल्ली के द्वारका में मोहन गार्डन मोहल्ला आपको राजधानी के अन्य मिडिल-क्लास मोहल्लों ही जैसा लगेगा.
यहाँ की दीवारों पर जहाँ कुछ घरों के बहार देवी-देवताओं की फोटो संगमरमर में उकेरी गयी है, वहीँ गलियों और उबड़-खाबड़ सड़कों के बीच आपको हर कुछ कदम पर एक ब्यूटी पार्लर ज़रूर मिल जायेगा.
आज इसी मोहल्ले के लोग सदमे में हैं, कुछ आक्रोशित भी क्यूंकि 14 दिसंबर की एसिड अटैक की घटना ने सुरक्षा को लेकर काफी सवाल खड़े किये हैं.
17 वर्षीय पीड़िता स्कूल की परीक्षा के लिए निकली थी जब आरोपी सचिन अरोरा ने उस पर एसिड फ़ेंक दिया.
उसका इलाज फिलहाल सफदरजंग अस्पताल में चल रहा है. घटना के एक दिन बाद जब न्यूज़लॉन्ड्री यहाँ पहुंचा और पास ही की कुछ दुकानों में एसिड माँगा तो हमे मात्रा Rs 20 में तेज़ाब दुकानदार ने थमा दिया. हैरानी की बात ये की किसी भी दुकान पर न ही हमसे फोटो पहचान पत्र माँगा गया और न ही कहीं इस खरीदारी की एंट्री किसी रजिस्टर में करी गयी.
पीड़िता के ही घर के पास में रहने वाले एक स्थानीय निवासी, महेश कुमार, कहते हैं, "वो बहुत तेज़ बच्ची थी, उसका सपना जज बनने का था.” महेश ही पीड़िता के पिता के साथ घटना वाले दिन उसको अस्पताल लेकर पहुंचे थे. "वो आँख नहीं खोल रही थी, बार-बार कह रही थी अंकल बहुत जल रहा है, उसके सिर और गले से भाप सी उठ रही थी”, ये कह कर वो अपनी बड़ी बेटी की ओर इशारा करते हैं, "वो मेरी बेटी जितनी ही बड़ी थी.”
हालाँकि इस घटना में हुए इस्तेमाल एसिड को आरोपी द्वारा ऑनलाइन प्लेटफार्म से मंगवाया गया था लेकिन इस प्रकरण ने फिर से हमारे समाज की उस विकृत मानसिकता को भी उजागर किया है जो औरत को देवी रूप में पूजती तो है लेकिन एक नौजवान को कंसेंट या युवती की अनुमति का मतलब नहीं समझा पाती. ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एसिड या तेज़ाब तुल्य टॉयलेट क्लीनर की उपलब्धता सुप्रीम कोर्ट की एसिड की बिक्री को लेकर 2013 में लायी गयी गाइडलाइन्स के पालन को लेकर भी सवाल खड़े करती है.
Also Read
-
Wanted: Menacing dogs for TV thumbnails
-
Supreme Court’s stray dog ruling: Extremely grim, against rules, barely rational
-
Mathura CCTV footage blows holes in UP’s ‘Operation Langda’
-
Few questions on Gaza, fewer on media access: Inside Indian media’s Israel junket
-
चुनाव आयोग का फ़ज़ीता, राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस और धराली आपदा का सच