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एमसीडी चुनाव: क्या 50 फीसदी आरक्षण महिला सशक्तिकरण के लिए काफी है?
एमसीडी के वार्ड नंबर 75 या जामा मस्जिद में पैर रखते ही बिजली के तारों के जंजाल से सामना होता है. यहां सड़कें खस्ता-हाल होने के साथ-साथ संकरी भी हैं, जिस वजह से ट्रैफिक जाम लगना आम बात है. ये वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित 135 वार्डों में एक सीट है.
यहां हमारी मुलाकात कांग्रेस प्रत्याशी शाहीन परवीन से हुई जो पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. हालांकि शाहीन की ओर से उनके बेटे मोहम्मद रब्बानी ही ज्यादातर मीडिया से मुखातिब होते हैं. ये पूछने पर कि प्रत्याशी खुद चुनावी अभियान में आगे क्यों नहीं आ रहीं, रब्बानी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, "हर किसी के पीछे एक हाथ होता है, जैसे न्यूज़लॉन्ड्री के पीछे एक टीम है. मेरी मां घरेलू महिला हैं और अगर लोगों ने हौसला दिया तो वो काम के लिए जरूर आगे आएंगी.”
पास ही के सदर बाजार वार्ड में आम आदमी पार्टी की तरफ से पूर्व कांग्रेस पार्षद ऊषा संजय शर्मा को टिकट दिया गया है. इनके चुनावी पोस्टर में इनके पति संजय शर्मा, पार्षद प्रतिनिधि के रूप में नजर आते हैं. पोस्टर के दूसरे कोने पर ऊषा के ससुर और तीन बार कांग्रेस पार्षद रहे सतबीर शर्मा भी दिखाई पड़ते हैं. जब हमने ऊषा संजय शर्मा से इस बारे में पूछा तो उनका जवाब था, "मैं अपने परिवार के साथ चलने वालों में से हूं, राजनीति अपनी जगह है.”
दिल्ली के एमसीडी चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान महिला उम्मीदवारों के लिए रखा तो गया है, लेकिन चुनावी अभियान को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या ये कदम महिलाओं को सबल बनाने के लिए काफी है?
जानने के लिए देखिये ये ग्राउंड रिपोर्ट-
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