Report
दिल्ली विश्वविद्यालय: जीएन साईबाबा के समर्थन में कैंपेन करने पर छात्रों पर हमला
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और एक्टिविस्ट जीएन साईबाबा के समर्थन में कैंपेन कर रहे 15 छात्रों पर गुरुवार को लाठी-डंडे और ईंट से हमला किया गया. हमले में तीन छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं. कैंपेन कर रहे छात्रों का कहना है कि यह हमला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा किया गया.
हमले में घायल दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा बादल ने बताया, "हम लोग जीएन साईबाबा के समर्थन में कैंपेन करके दिल्ली विश्वविद्यालय के पास मौरिस नगर पुलिस स्टेशन के सामने बैठकर चाय पी रहे थे. तभी वहां पर एबीवीपी के 30- 40 लोग आए और हम पर लाठी-डंडे और ईंट-पत्थर से हमला करने लगे. जब तक मैं समझ पाती कि यह क्या हो रहा है, तभी अचानक से एक ईंट मेरे सिर पर आकर लगी और खून बहने लगा."
घायल छात्रा बादल के सिर पर दो टांके आए हैं. वहीं एहतराम के कान पर चोट लगने से खून बहने लगा. एहतराम ने बताया, "जब हम पर हमला हो रहा था, तो हम अपने साथियों को बचा रहे थे. तभी किसी ने लाठी से मुझे मारा और मेरे कान से खून बहने लगा."
इसके अलावा एक और छात्र को चोट आई. दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी स्कॉलर राजविंदर कौर ने बताया, "10 तारीख को जीएन साईबाबा की कोर्ट में सुनवाई है. जिसको लेकर हम 5 तारीख को प्रोग्राम करने वाले हैं और यह कैंपेन हमारे ‘कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन’ का हिस्सा है, जिसमें हम अपने प्रोफेसर के लिए आवाज उठा रहे हैं. लेकिन सरकार नहीं चाहती कि हम कैंपस के अंदर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करें, इसलिए यह हमला हम पर किया गया है."
वह आगे कहती हैं, "हमला करने वाले एबीवीपी के लोग कह रहे थे कि तुम लोग एक आतंकवादी के समर्थन में कैंपेन क्यों कर रहे हो. जीएन साईबाबा आतंकवादी नहीं प्रोफेसर हैं, और अपने प्रोफेसर के समर्थन में आवाज उठाना हमारा अधिकार है. लेकिन हमें वह भी नहीं करने दिया जा रहा है."
वही कैंपेन में शामिल एक अन्य छात्र रविंद्र सिंह कहते हैं, "सरकार नहीं चाहती कि कैंपस के अंदर कोई जीएन साईबाबा की बात करे. क्योंकि जब जीएन साईबाबा की बात होगी, तो आदिवासियों की बात होगी दलितों की बात होगी. यह हमला एक राजनीतिक हमला है जो सोच समझकर करवाया गया है."
बता दें कि हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने माओवादियों से कथित संबंधों के आरोपों से बरी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश भी दिया था. लेकिन महाराष्ट्र सरकार इस रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई. सुप्रीम कोर्ट ने जीएन साईबाबा समेत छह अन्य आरोपियों की रिहाई पर रोक लगा दी थी. तब से मामला सुप्रीम कोर्ट में है और आगामी 10 दिसंबर को सुनवाई होनी है. इसी को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित देश के तमाम विश्वविद्यालयों में जीएन साईबाबा के समर्थन में कैंपेन किया जा रहा है.
Also Read
-
Billboards in Goa, jingles on Delhi FMs, WhatsApp pings: It’s Dhami outdoors and online
-
Behind India’s pivot in Kabul: Counter to Pak ‘strategic depth’, a key trade route
-
‘Justice for Zubeen Garg’: How the iconic singer’s death became a political flashpoint in Assam
-
TMR 2025: The intersection of art and activism
-
दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एनसीआर में ग्रीन पटाखे चलाने की सशर्त इजाजत