Report
गुरुग्राम: कारखानों में घायल होने वाले श्रमिकों की बढ़ती घटनाएं और मालिकों की लापरवाही
भारत में एक ओर जहां अनगिनत मजदूरों को हर रोज काम मिलता है, वहीं कितने मजदूर अपनी बुनियादी शारीरिक क्षमताओं से हाथ धो रहे हैं.
मारुति, हीरो मोटर्स, बजाज और होंडा जैसी कई बड़ी कंपनियों में काम करने वाले जो श्रमिक मशीनों के साथ काम करते हैं; उनकी उत्पादन क्षमता मशीनों के बिना काम करने वालों की तुलना में ज्यादा होती है. ये मशीनें वस्तुओं और सेवाओं की लागत और कीमतों दोनों को कम करती हैं और उपभोक्ताओं को अमीर महसूस कराती हैं. इन कंपनियों का अधिकतम उत्पाद प्रेस मशीनों के माध्यम से होता है, लेकिन आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे की इन मशीनों पर काम करने की वजह से प्रतिदिन लगभग 20 मजदूरों के हाथ या उंगलियां कट जाती हैं.
यह रिपोर्ट गुरुग्राम के औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी-बड़ी कंपनियों के छोटे कारखानों में काम करने वाले उन मजदूरों की दुर्दशा को उजागर करती है, जिन्होंने अपनी दर्द और बेबसी से भरी कहानियां हमारे साथ साझा कीं. उत्तर प्रदेश के 20 वर्षीय सुनील कुमार एक पावर प्रेस मशीन पर काम करते समय दुर्घटना का शिकार हो गए थे. अपनी व्यथा बताते हुए सुनील कहते हैं, "सेफ्टी इंचार्ज ने मुझे मशीन से माल निकालने के लिए कहा, और मैंने अपने सहकर्मी से कहा की वे मशीन न चलाएं, लेकिन सहकर्मी शायद नहीं सुन सके और उन्होंने मशीन चला दी. नतीजतन मेरा हाथ मशीन में फंस गया और कोहनी से अलग हो गया."
सुनील 60 प्रतिशत विकलांगता के शिकार हैं.
उत्तर प्रदेश निवासी 23 वर्षीय बहादुर सिंह भी एक फैक्ट्री में पावर प्रेस मशीन पर काम करते थे. मशीन पर काम करने के दौरान वे तीन दुर्घटनाओं का शिकार हुए.
वहीं उत्तर प्रदेश की नीतू सिंह और हरियाणा के 42 वर्षीय सुशील कुमार भी खराब पावर प्रेस मशीन पर काम करने के कारण घायल हुए और अपने हाथ और उंगलियों को खो बैठे.
गौरतलब है कि पावर प्रेस मशीनों से घायल होने वाले अधिकांश मजदूर पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं और उनकी शिक्षा भी थोड़ी बहुत ही हुई है.
पावर प्रेस पर युवा और बूढ़े समान रूप से उंगलियां और हाथ खो देते हैं. अधिकांश कारखाने कई मौजूदा नियमों का उल्लंघन भी करते हैं. उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों द्वारा सुरक्षा उपायों को दरकिनार किया जाता है और उन्हें इयरप्लग और हेलमेट जैसे सुरक्षा गियर उपलब्ध नहीं कराए जाते. इसके अलावा श्रमिकों को अक्सर "अंडर मेंटेनेंस" पावर प्रेस मशीनों पर काम करने के लिए कहा जाता है.
इन लोगों का आरोप है कि श्रमिकों से कम समय में अधिक से अधिक उत्पादन का दबाव डालकर, देश के उद्योगपति बिना किसी सहारे के उन्हें लाचारी के गहरे दलदल में धकेल देते हैं. ज्यादा मुनाफे के लिए श्रमिकों से ओवरटाइम कराया जाता है, जिसमें उनका कोई हिस्सा भी नहीं होता और उल्टा उन्हें कई बार अपने हाथ पैर गंवाकर जीवन भर उसकी कीमत चुकानी पड़ती है.
यह स्पष्ट है कि इन मजदूरों के अधिकारों व सुरक्षा को उद्योगपतियों और फैक्ट्री के मालिकों के द्वारा असुविधाओं के रूप में देखा जाता है. जिन्हें कारखानों के मालिक लगातार दरकिनार करने की कोशिश करते हैं.
मजदूर काम के दौरान क्या क्या सहते हैं और उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यह सभी जानने के लिए इस वीडियो रिपोर्ट को देखें.
Also Read
-
7 FIRs, a bounty, still free: The untouchable rogue cop of Madhya Pradesh
-
‘Waiting for our school to reopen’: Kids pay the price of UP’s school merger policy
-
Putin’s poop suitcase, missing dimple, body double: When TV news sniffs a scoop
-
The real story behind Assam’s 3,000-bigha land row
-
CEC Gyanesh Kumar’s defence on Bihar’s ‘0’ house numbers not convincing