Report
नोएडा में किसानों पर लाठीचार्ज में 8 घायल, 12 हिरासत में
मंगलवार शाम, ग्रेटर नोएडा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के बाहर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. पहले पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए वाटर कैनन चलाई और फिर लाठीचार्ज किया. इस दौरान आठ किसान घायल हो गए, जिनमें महिला किसान भी शामिल हैं. यह प्रदर्शन भारतीय किसान परिषद के नेता सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में किया जा रहा था.
पुलिस का कहना है कि किसानों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें चार सिपाही घायल हो गए. पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 12 किसानों को शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिरासत में ले लिया. किसानों को हिरासत में लिए जाने के बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया और प्रदर्शनकारी महिलाओं ने दादरी के भाजपा विधायक तेजपाल नागर के आवास पर प्रदर्शन शुरू कर दिया. लेकिन काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को समझा-बुझाकर लौटा दिया.
दरअसल भारतीय किसान परिषद के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन पिछले कई हफ्तों से जारी है. इसके लिए पहले गांव-गांव में सभा की गई, फिर ऐलान किया गया कि अगर 31 अक्टूबर तक एनटीपीसी किसानों की मांग नहीं मानता तो फिर किसान उग्र प्रदर्शन करेंगे.
किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद एनटीपीसी प्रशासन ने 3 दिन पहले एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें एनटीपीसी टाउनशिप के निवासियों को एहतियात बरतने के लिए कहा गया था. 31 अक्टूबर तक मांगें पूरी नहीं होने की वजह से किसान एनटीपीसी टाउनशिप के मुख्य द्वार पर बैठ गए. पहले नारेबाजी होती रही लेकिन जैसे-जैसे भीड़ बढ़ी, किसानों ने एनटीपीसी टाउनशिप के द्वार से अंदर घुसने की कोशिश की, जिस को रोकने के लिए वहां मौजूद पुलिस और एनटीपीसी की सुरक्षा में लगे सीआईएसएफ के जवानों ने वाटर कैनन इस्तेमाल किया. वाटर कैनन चलाए जाने के बाद किसान और उग्र हो गए और वह कहीं ज्यादा तेजी से गेट की तरफ बढ़ने लगे. इसके बाद पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए लाठीचार्ज किया.
लाठीचार्ज में घायल किसान दलजीत सिंह ने बताया, "हम पहले शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. हमारी 35 साल पुरानी मांग है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हम गांव-गांव सभाएं कर रहे हैं, कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन हमारी मांगे हर बार अनसुनी कर दी जाती हैं. प्रदर्शन करने से पहले भी हमने एनटीपीसी को ज्ञापन दिया था कि हमारी मांगे मान ली जाएं, लेकिन एनटीपीसी ने हमारी मांग नहीं मानी जिसकी वजह से हमें घेराव करना पड़ा."
किसानों के उग्र प्रदर्शन और अंदर घुसने की कोशिश पर लाठीचार्ज की वजहें पूछने पर दलजीत सिंह कहते हैं, "किसान जब भी विरोध प्रदर्शन करते हैं तो उनकी बात तब तक नहीं सुनी जाती जब तक वह टोल न रोकें, कोई सरकारी सेवा बाधित न करें, तब तक किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता. हमने सोचा कि हम एनटीपीसी से बिजली की सेवा बाधित करेंगे, तो शायद सरकार हमारी सुने. हमारा मकसद कोई हिंसा करना नहीं था. हम चाहते हैं कि सरकार किसी भी तरह से हमारी बातों को सुने और अपने वादे पूरे करे."
ग्रेटर नोएडा के डीसीपी अभिषेक वर्मा ने बयान जारी कर कहा, "एनटीपीसी के जीएम ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे कुछ लोग एनटीपीसी प्लांट में घुसकर बिजली सप्लाई बाधित करना चाहते थे. जब पुलिस द्वारा वाटर कैनन चलाकर किसानों को रोका गया तो वह पुलिस पर पथराव करने लगे. इससे कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए. माहौल को काबू करने के लिए हमें हल्का सा बल प्रयोग करना पड़ा. एनटीपीसी के जीएम की शिकायत पर कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, और आगे की कार्रवाई की जा रही है."
वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता सुखबीर खलीफा ने बताया, "केंद्र सरकार ने 1985 में ग्रेटर नोएडा के दादरी के पास नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन का विद्युत उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए 30 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया था. इसके लिए किसानों को पांच से दस रुपए प्रति गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था. जबकि इसी दौर में एनटीपीसी की रेलवे लाइन के नाम पर 150 प्रति गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था. हमारी मांग है कि हमें भी समान मुआवजा दिया जाए. भूमि अधिग्रहण के समय सरकार ने वादा किया था कि अधिग्रहण से प्रभावित गांवों के लोगों को एनटीपीसी में रोजगार के अवसर दिए जाएंगे. लेकिन 35 वर्ष बाद भी सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए. न तो हमें समान मुआवजा दिया गया, न हमें रोजगार दिया गया और न ही हमारे गांवों का विकास किया गया."
एनटीपीसी दादरी के प्रबंधन की ओर से बयान जारी कर बताया गया कि भारतीय किसान परिषद ने 18 अक्टूबर को ज्ञापन दिया था. उनकी मांगों पर कंपनी के मौजूदा नियमों और नीतियों के तहत जांच की जा रही है. रिक्त पद खाली न होने के कारण स्थानीय निवासियों को स्थाई रोजगार प्रदान कर पाना संभव नहीं है. इसलिए रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल विकास और सीएसआर एनटीपीसी की प्राथमिकता में है.
इस परियोजना से प्रभावित गांव के युवाओं के लिए दादरी में हर साल कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसरों के लिए विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है. एनटीपीसी का कहना है कि दादरी शिक्षा व स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के विकास व कौशल पर जोर देते हुए वे अपने पड़ोसी गांवों के समग्र विकास के लिए कदम उठा रही है, और आगे भी ऐसा किया जाएगा.
Also Read
-
How Ajit Pawar became the comeback king of Maharashtra
-
South Central Ep 2: Nayanthara vs Dhanush, Sandeep Varier, and Kasthuri’s arrest
-
Newsance 275: Maha-mess in Maharashtra, breathing in Delhi is injurious to health
-
Reporters Without Orders Ep 347: Jhansi fire tragedy, migration in Bundelkhand
-
Narayana Murthy is wrong: Indians are working too long and hard already