Media

द वायर के संपादकों के घर दिल्ली पुलिस की दबिश, जब्त किया मोबाइल-लैपटॉप

भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय द्वारा द वायर  व उसके संपादकों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर के सिलसिले में, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कई जगहों पर तलाशी ली. इस दौरान पुलिस ने उनके दफ्तर से मोबाइल और लैपटॉप जब्त किए.

यह तलाशी क्राइम ब्रांच द्वारा नई दिल्ली स्थित सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, डिप्टी एडिटर और एग्जीक्यूटिव न्यूज़ प्रोड्यूसर जाह्नवी सेन और मुंबई में रहने वाले सिद्धार्थ भाटिया के घर पर की गई.

दिल्ली स्थित सिद्धार्थ वरदराजन के घर पर पुलिस की टीम सोमवार शाम करीब 4:10 बजे पहुंची और करीब तीन घंटे बाद 7 बजे वहां से वापस गई. तलाशी के बाद पुलिस ने सिद्धार्थ के दो मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और एक आईपैड को जब्त कर लिया, साथ ही उनकी निजी और कंपनी ईमेल आईडी का पासवर्ड भी पुलिस ने ले लिया. 

दिल्ली पुलिस ने यह तलाशी सीआरपीसी की धारा 91 के तहत की, जिसके तहत दस्तावेज और अन्य सामान प्रस्तुत करने का समन भेजा जाता है.

तलाशी को लेकर वरदराजन ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “पत्रकारिता में एक प्रकाशन संस्था से कोई गलती हुई जिसे उसने स्वीकारा है, वापस लिया है और उसके लिए माफी भी मांगी है. उसे अपराध में बदलने की कोशिश पूरे भारतीय मीडिया के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए.”

वरदराजन ने चिंता जताते हुए कहा कि जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की हैश वैल्यू को उनके साथ साझा नहीं किया गया. उन्होंने कहा, "हमने पुलिस से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के हैश वैल्यू को साझा करने के लिए कहा है, लेकिन उन्होंने अभी तक हमें हैश वैल्यू नहीं दी है. पुलिस ने कहा कि वह बाद में देंगे. हमारे उपकरण वापस करने के बारे में भी कुछ नहीं बताया.”

बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के मुताबिक जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के हैश वैल्यू को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजे जाने से पहले लिया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके साथ कोई छेड़छाड़ न हो. किसी इंसान की उंगलियों के निशानों की तरह ही हर उपकरण की हैश वैल्यू भी अलग-अलग होती है. डिजिटल उपकरण में कोई दस्तावेज या फाइल डालने या निकलने या छेड़छाड़ से यह वैल्यू बदलती है, जिससे उपकरण के साथ हुई छेड़छाड़ का पता चल जाता है.

दिल्ली पुलिस की एक टीम ने वायर के दूसरे संपादक एमके वेणु के घर से भी दो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जब्त किया है. वेणु के साथ भी कोई हैश वैल्यू साझा नहीं की गई.

दिल्ली पुलिस के 10 अधिकारी वेणु के घर तलाशी के लिए पहुंचे थे. वेणु के वकील ने बताया, "जब्ती के लगभग चार घंटे बाद भी हमें कोई हैश वैल्यू नहीं दी गई है. किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचने के लिए संबंधित पक्ष की मौजूदगी में उपकरणों की क्लोनिंग की जानी चाहिए.”

इससे पहले बीते सप्ताह द वायर ने मेटा को कटघरे में खड़ा करने वाली अपनी रिपोर्ट्स को वापस ले लिया था. साथ ही रिपोर्ट्स में हुई भूल के लिए माफी भी मांगी थी. द वायर द्वारा रिपोर्ट्स को वापस लिए जाने के एक दिन बाद अमित मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468, 469(फर्जीवाड़ा), 471(ठगी), 500(मानहानि), 120 बी(आपराधिक साजिश) और धारा 34(आपराधिक गतिविधि) के तहत केस दर्ज कर लिया.

मालवीय ने अपनी शिकायत में कहा था कि द वायर ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश की है.

एक ओर दिल्ली पुलिस ने द वायर और उसके संपादकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. दूसरी तरफ द वायर ने इस विवाद के केंद्र में रहे अपने रीसर्चर देवेश कुमार के खिलाफ भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. सिद्धार्थ वरदराजन ने न्यूज़लॉन्ड्री को कहा, “देवेश के खिलाफ पुलिस में शिकायत देने के बाद भी अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. जबकि मालवीय की शिकायत पर एक दिन में ही एफआईआर दर्ज हो गई.”

सिद्धार्थ ने कहा कि द वायर ने रिपोर्ट में हुई गलती के लिए अपने पाठकों से माफी मांग ली. लेकिन अमित मालवीय से माफी नहीं मांगने के सवाल को उन्होंने ये कह कर टाल दिया, “हम इसे अदालत में देखेंगे.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी क्राइम अमित गोयल से इस विषय पर बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मीटिंग में होने की बात कह कर बात करने से इनकार कर दिया.

कॉपी को 12 :23 पर अपडेट किया गया है.

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए दिल्ली पुलिस के डीसीपी क्राइम अमित गोयल ने बताया, “पुलिस टीम ने सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ही जब्त किए हैं. जल्द ही सभी को हैश वैल्यू दी जाएगी.”

यह पूछे जाने पर कि द वायर द्वारा देवेश कुमार के खिलाफ दर्ज शिकायत पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई, इस पर वह कहते हैं, “एक ही मामले में दो एफआईआर नहीं हो सकती हैं. कागजात में छेड़छाड़ को लेकर ही अमित मालवीय ने शिकायत की थी. वही शिकायत वायर ने भी दी है. मामले की जांच चल रही है. जो भी लोग दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.”

क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.

Also Read: लखनऊ कोर्ट ने खारिज की पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका

Also Read: एनएल चर्चा 238: यूके के नए प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, नोटों पर भगवान के फोटो की मांग और द वायर बनाम मेटा