Saransh
द वायर और मेटा के बीच चल रहे द्वंद का क्या है पूरा मामला?
पिछले दो हफ़्तों से इंटरनेट पर फेसबुक-इंस्टाग्राम की मालिक कंपनी मेटा और द वायर के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में मेटा पर कुछ आरोप लगाए थे. रिपोर्ट में कहा गया कि कंटेंट मॉडरेशन यानी सोशल मीडिया पर क्या दिखना चाहिए और क्या नहीं, इस नीति के तहत कुछ लोगों को विशेषाधिकार दिए गए हैं.
इन आरोपों को मेटा ने निराधार और मनगढ़ंत बताया. द वायर ने मेटा के दावों का खंडन करते हुए एक फॉलो-अप रिपोर्ट प्रकाशित की. इसमें मेटा के एक इंटरनल ईमेल के हवाले से दावा किया गया कि कंपनी ने इस आरोप से जुड़े तथ्य लीक होने की बात मानी है. लेकिन ये बात यहीं ख़त्म नहीं हुई. ईमेल की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे.
‘द वायर’ ने इन आरोपों का खंडन किया. एक और रिपोर्ट में उसने दावा किया कि उसके पास सारे सबूत मौजूद हैं और उसके सबूतों पर सवाल उठाने वाले ग़लत हैं. इस तरह द वायर ने इस मुद्दे पर लगातार तीन रिपोर्ट प्रकाशित कीं.
सारांश के इस अंक में जानेंगे कि द वायर की यह रिपोर्ट क्या थी? मेटा ने क्या तर्क दिए थे और इस रिपोर्ट पर किस-किस तरह के सवाल उठ रहे हैं?
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