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एनएल चर्चा 231: ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ का निधन और राहुल की भारत जोड़ो यात्रा
एनएल चर्चा के इस अंक में ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर जीत, विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत, भारत के कई राज्यों में बारिश की चेतावनी और बेंगलुरु के जलमग्न होने, पीएम मोदी के द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ती का उद्घाटन और राज पथ के पुनर्नामकरण, लिज ट्रस के यूके की प्रधानमंत्री बनने, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की चार दिवसीय भारत यात्रा, उत्तर प्रदेश में 17 ओबीसी जातियों को एससी कैटेगरी में डालने के फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक और ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई होने आदि विषयों का जिक्र हुआ.
चर्चा में इस हफ्ते वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन और न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत राहुल गांधी की “भारत जोड़ो यात्रा” से शुरू की. स्मिता और आनंद से सवाल पूछते हुए अतुल कहते हैं, “कांग्रेस पार्टी हर मामले में इस समय खराब हालात में है. इस यात्रा से कांग्रेस पार्टी अपनी स्थिति सुधारना चाहती है लेकिन पार्टी के साथ दिक्कत नेतृत्व की भी है. यात्रा का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनना चाहते. दूसरा कांग्रेस पार्टी का संगठन जमीन पर नहीं दिखता, जैसे बीजेपी या उसके सहयोगी संगठनों का है. तो इस स्थिति में राहुल गांधी की यह पदयात्रा जमीन पर कितना बदलाव कर पाएगी?”
आनंद कहते हैं, “यात्रा का प्रभाव पड़ने के लिए एक राजनीतिक कहानी होनी चाहिए जो कांग्रेस पार्टी के पास नहीं है. ऐसा नहीं है कि यात्राओं का चुनावी लाभ नहीं हुआ है. लेकिन इस तरह की यात्राओं के साथ एक मुद्दा होना चाहिए, जो इस यात्रा से गायब है. दूसरा इस यात्रा का समय एक साल बाद का होना चाहिए था क्योंकि अभी पार्टी को संगठन स्तर पर काम करना चाहिए. साल 2018 के बाद कांग्रेस अपने दम पर कोई चुनाव नहीं जीती है तो पार्टी को इस पर सोचना चाहिए. दूसरी पार्टियां भी चुनाव हारती हैं, लेकिन उसके कैडर का मनोबल नहीं टूटता, लेकिन कांग्रेस पार्टी का कैडर बिखर जाता है.”
स्मिता अपनी बात रखते हुए कहती हैं, “अच्छी बात है राहुल गांधी जमीन पर दिख रहे हैं, जिसको लेकर उनकी सबसे ज्यादा आलोचना होती है. कांग्रेस पार्टी के साथ नेतृत्व की दिक्कत तो है ही. वहीं देश में अलग-अलग पार्टियों द्वारा हुई यात्राओं में से कुछ का असर हुआ तो वहीं कुछ का नहीं हुआ. कांग्रेस पार्टी के समर्थक जो सोशल मीडिया पर नहीं हैं, उनसे जुड़ने के लिए जमीन पर जाना ही होगा. इस यात्रा के जरिए अगर कांग्रेस पार्टी जनता से जुड़े मुद्दों को साध लेती है तो हो सकता है उसे इस यात्रा से फायदा हो.”
शार्दूल अपनी टिप्पणी करते हुए कहते हैं, “कांग्रेस पार्टी में सत्ता की वह भूख नजर नहीं आ रही, जैसी भाजपा में दिखती है, जिसके लिए वह दिन-रात काम करती है. राजनीति में साम-दाम-दंड-भेद सब होता है, नियत से चुनाव नहीं जीता जाता. इतिहास में वही व्यक्ति संगठन खड़ा कर सका है, जो संगठन में जमीन से जुड़े कार्यकर्ता के साथ काम कर सकता है. यात्रा अगर अच्छे से हैंडल किया गया, तो लोग जुड़ते जाएंगे. जिसका फायदा चुनावों के अलावा पार्टी के संगठन में भी होगा.”
इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. साथ में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की चार दिन की भारत यात्रा की भी बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:18:40 - इंट्रो और महारानी एलिजाबेथ का निधन
00:18:40 - 00:24:45 - हेडलाइंस
00:24:45 - 00:58:44 - कांग्रेस पार्टी की यात्रा
00:58:44 - 01:18:45 - बांग्लादेश और भारत के रिश्ते
01:18:45 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
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प्रोड्यूसर- रौनक भट्ट
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
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