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लखनऊ में दलित पत्रकार ने उच्च जाति के पत्रकार के खिलाफ दर्ज कराया मुकदमा
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पत्रकार राजेंद्र गौतम ने अपने साथी पत्रकार हेमंत तिवारी के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, के तहत एफआईआर दर्ज कराई है. 44 वर्षीय गौतम दलित समुदाय से हैं. वही 56 वर्षीय हेमंत ब्राह्मण हैं.
3 अगस्त को दायर एफआईआर में गौतम ने आरोप लगाया कि तिवारी उनकी पत्नी और बेटे पर जातिगत टिप्पणी करते थे. हालांकि तिवारी ने पुलिस के सामने इन सभी बातों को नकार दिया.
गौतम कहते हैं, “मैं 2019 से हेमंत तिवारी को बर्दाश्त कर रहा हूं. जब उन्होंने मेरी पत्नी और बेटे के खिलाफ टिप्पणी करना शुरू किया, तो में इसे बर्दाश्त नहीं कर पाया. इसलिए मैंने पुलिस के पास जाकर शिकायत दर्ज की. यह मुश्किल था लेकिन मुझे ये करना ही था.”
गौतम लखनऊ में अपने अपार्टमेंट से दो अखबार चलाते हैं, जिन्हें तिजारत और निष्पक्ष दिव्य संदेश नाम से प्रकाशित किया जाता है. गौतम के अनुसार उनके एक साथी ने उन्हें प्रेस कॉउंसिल ऑफ इंडिया में भी शिकायत दर्ज करने की सलाह दी है. जिसके बारे में वह विचार कर रहे हैं.
गौतम ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव में उन्होंने तिवारी का समर्थन करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद तिवारी ने उनको जातिवादी गालियां दीं. यह चुनाव मार्च 2021 में हुआ था और वह अध्यक्ष चुने गए थे. तिवारी पहले दैनिक जागरण के साथ अन्य समाचार पत्रों में काम कर चुके हैं और अब नियमित रूप से एक टीवी टॉकिंग हेड के रूप में काम करते हैं.
गौतम ने बताया कि हेमंत तिवारी ने कहा कि, "चमार अब मीडिया में भी आएंगे और हमें हराएगे?'' बता दें कि चमार शब्द नीची जातियों के लिए उपयोग किया जाता है, जो कि एक असंवैधानिक शब्द है.
गौतम कहते है कि अगर मैंने छोटी जाति के परिवार में जन्म लिया तो इसमें मेरी क्या गलती है? मैं अपनी पत्रकारिता पूरी ईमानदारी से करता हूं, इसी वजह से मैं हेमंत तिवारी जैसे लोगो के लिए दिक्कत बन गया हूं. मैं निचले प्रष्ठभूमि से आने की बावजूद अपने दम पर अपना मुकाम बनाया है. मैं हेमंत की बहुत इज्जत करता था, पर उन्होंने सारी हदें पार कर दीं, जब उन्होंने हमारे विवाद में मेरे परिवार को भी शामिल कर लिया.
कुछ हफ्ते पहले, तिवारी ने गौतम की पत्नी रेखा गौतम और बेटे निर्भय राज के खिलाफ प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर एक “निराधार रिपोर्ट" अपने समाचार पत्रों में और इसे इंटरनेट पर फैलाने का आरोप है.
बता दें कि रेखा निष्पक्ष दिव्य संदेश और तिजारत की संपादक हैं और निर्भय संवाददाता हैं.
समाचार पत्र ही दोनों के बीच विवाद का प्रमुख कारण रहा है. अब इस मामले में प्रेस सूचना ब्यूरो जांच करेगी कि गौतम के अखबारों को कितने विज्ञापन मिलते हैं. गौतम के अनुसार उनके अखबार की छह हजार कापियां प्रकाशित होती हैं.
इस विवाद पर तिवारी कहते हैं, “राजेंद्र गौतम कुछ समय से मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, जो उन्हें सबसे अच्छी तरह से पता हैं. मैंने उन्हें कभी कोई जातिवादी गाली नहीं दी. मैं इस पेशे में 34 साल से हूं और यह पहली बार है जब मेरे खिलाफ इस तरह का आरोप लगाया गया है."
तिवारी ने अपने खिलाफ गौतम की एफआईआर को कानून का "दुरूपयोग" करार दिया. तिवारी ने आरोप लगाया, "यह मेरे खिलाफ बदले की कार्रवाई है, गौतम पत्रकार नहीं बल्कि ब्लैकमेलर है. उन्होंने यह सोचकर मुझ पर कीचड़ फेंकने की कोशिश की कि मैं झुक जाऊंगा लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि मैं पीछे नहीं हटूंगा. अब मेरी पुलिस शिकायत ने उसे डरा दिया है, इसलिए वह मुझे सलाखों के पीछे डालने के लिए कानून का दुरूपयोग कर रहा है.”
इस विवाद के बाद लखनऊ की पत्रकार बिरादरी के भीतर खलबली मच गई है. दैनिक भास्कर के पूर्व संपादक रतन मणि लाल ने विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण ” बताया. उन्होंने कहा, "पत्रकारों को हमेशा याद रखना चाहिए कि वे समाज में मानक स्थापित करने में मदद करते हैं. उन्हें उन मानकों पर टिके रहना चाहिए और खुद समाचार नहीं बनना चाहिए, लेकिन जातिवादी गालियों का इस्तेमाल, वह भी एक पत्रकार द्वारा, उचित नहीं ठहराया जा सकता है."
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