NL Interviews
लोग जो मुझमें रह गए: घुमक्कड़ी के दौरान एक नजरिया यह भी
स्वभाव से घुमक्कड़ और ख्यालों से आज़ाद अनुराधा बेनीवाल अपनी घुमक्कड़ी का आख्यान ‘यायावरी आवारगी’ नामक पुस्तक-शृंखला में लिख रही हैं. इस कड़ी में अब तक वह दो किताबें लिख चुकी हैं. उन्होंने पहली किताब ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ लिखी जो काफी पसंद की गई.
हरियाणा के रोहतक ज़िले के खेड़ी महम गांव में, 1986 में जन्मी अनुराधा ने अपनी 12वीं तक की शिक्षा अनौपचारिक रूप से घर में ही पूरी की. दिल्ली के मिरांडा कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में बी.ए. करने के बाद एलएलबी की पढ़ाई की और फिर अंग्रेजी साहित्य में एमए भी किया. 16 साल की उम्र में उन्होंने विश्व शतरंज प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व किया और फिलहाल वे लंदन में एक जानी मानी शतरंज कोच हैं.
मिज़ाज से ‘बैग पैकर’ अनुराधा ने अपनी एकाकी यात्राओं को शब्दों की माला में कुछ इस तरह पिरोया है कि जिसे पढ़कर आप खुद भी उनकी यात्रा का हिस्सा बन जाते हैं. उनकी दूसरी किताब जिसका नाम है ‘लोग जो मुझमें रह गए’. इस किताब में वे अपने सफर के ज़रिए बहुत सी धारणाओं को तोड़ने का दावा करती हैं. बसंत कुमार ने इस किताब से जुड़े विभिन्न पहलुओं और उनकी बेबाक ज़िन्दगी पर उनसे बातचीत की.
शादी, सेक्स, प्रेम और समलैंगिकता जैसे मुद्दों पर बात करते हुए अनुराधा कहती हैं, “हमें इस तरह डराया जाता है कि जैसे अगर शादी नहीं होगी तो समाज बिखर जाएगा लेकिन मैं इस बात से सहमति नहीं रखती क्योंकि हमारा समाज शादी करके भी ऐसा आदर्श समाज नहीं है जहां सब लड़कियां सुरक्षित हो गई हैं और सभी लड़के सुधर गए हैं.”
देखिए पूरा इंटरव्यू-
Also Read
-
Since Modi can’t stop talking about Nehru, here’s Nehru talking back
-
Indigo: Why India is held hostage by one airline
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?