Khabar Baazi
5 सालों में भारत सरकार ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए 3,305 करोड़ रुपए के विज्ञापन
भारत सरकार ने पांच सालों, यानी 2017 से 2022 के बीच प्रिंट मीडिया को 1736 करोड़ और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 1569 करोड़ रुपए के विज्ञापन दिए हैं. यानी इस दौरान भारत सरकार द्वारा कुल 3305 करोड़ रुपए विज्ञापनों पर खर्च किए गए. यह जानकारी राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी है.
वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में 12 जुलाई तक प्रिंट मीडिया को 19.26 करोड़ तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 13.6 करोड़ रुपए के विज्ञापन दिए जा चुके हैं.
28 जुलाई को राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद जी सी चंद्रशेखर ने सवाल पूछा कि सरकार द्वारा वर्ष 2017 से आज तक, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर व्यय का वर्षवार और मंत्रालय वार आंकड़ा क्या है?
सरकार की ओर से इसका जवाब केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिया. उनके जवाब के मुताबिक 2017 से 2022 के बीच प्रिंट मीडिया पर 1736 करोड़ और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 1569 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च हुए. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में 12 जुलाई तक प्रिंट को 19.26 करोड़ तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 13.6 करोड़ के विज्ञापन दिए गए हैं. ये सभी विज्ञापन केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) के माध्यम से दिए गए.
इस खर्च को अगर वर्षवार देखें तो 2017-18 में प्रिंट मीडिया को 636.36 करोड़ तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 468.92 करोड़, 2018-19 में प्रिंट मीडिया को 429.55 करोड़ और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 514.28 करोड़, 2019-20 में प्रिंट मीडिया को 295.05 करोड़ और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 317.11 करोड़, 2020-21 में प्रिंट को 197.49 करोड़ और इलेक्ट्रॉनिक को 167.86 करोड़ तथा 2021-22 में प्रिंट को 179.04 करोड़ रुपए और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 101.24 करोड़ रुपए विज्ञापनों के लिए दिए गए.
वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में 12 जुलाई तक, प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों पर 19.26 करोड़ रुपए और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विज्ञापनों पर 13.6 करोड़ रुपए सरकार के द्वारा खर्च किए गए.
सबसे ज्यादा वित्त मंत्रालय के विज्ञापन पर खर्च हुआ
अनुराग ठाकुर ने मंत्रालय वार खर्च के आंकड़े भी दिए हैं. 2017 से 12 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक 615.07 करोड़ रुपए के साथ विज्ञापनों पर सबसे ज्यादा खर्च वित्त मंत्रालय द्वारा किया गया. इस मामले में दूसरे नंबर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय है. जिसने इस अवधि में 506 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए. तीसरे नंबर पर स्वास्थ्य मंत्रालय रहा, जिसकी ओर से 411 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए गए.
वहीं रक्षा मंत्रालय ने 244 करोड़, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने 195 करोड़, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लगभग 176 करोड़ और कृषि मंत्रालय ने 66.36 करोड़ रुपए विज्ञापनों पर खर्च किए. रोजगार एवं श्रम मंत्रालय ने भी लगभग 42 करोड़ खर्च किए. हालांकि इसी दौरान कोरोना के कारण लाखों की संख्या में मज़दूरों का पलायन भी हुआ था.
विदेशी मीडिया को नहीं दिया गया विज्ञापन
जी सी चंद्रशेखर ने सरकार द्वारा विदेशी मीडिया में विज्ञापन पर किए गए खर्च की जानकारी भी मांगी. इसके जवाब में अनुराग ठाकुर ने बताया कि भारत सरकार के किसी विभाग या मंत्रालय द्वारा, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से विदेशी मीडिया में विज्ञापन पर कोई व्यय नहीं किया गया है.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes